अफ्रीकी महासंघ ‘साहेल’ क्षेत्र में तीन हजार सैनिकों की तैनाती करेगा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरआदिस अबाबा: अफ्रीकी देशों के प्रमुख संगठन अफ्रीकी महासंघ ने साहेल क्षेत्र में फैला आतंकवाद रोकने के लिए तीन हजार सैनिक तैनात करने का ऐलान किया है| कुछ दिन पहले इथियोपिया में हुई महासंघ की बैठक में यह निर्णय होे की जानकारी सूत्रों ने साझा की| फ्रान्स ने पीछले दो महीनों में साहेल क्षेत्र के लिए ८०० से भी अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती करने का ऐलान किया था| इस पृष्ठभूमि पर महासंघ ने किया निर्णय अहम समझा जा रहा है|

वर्ष २०१२ में उत्तरी माली में चरपंथी गुटों ने बगावत की कोशिश की थी| यह कोशिश नाकाम हुई हो फिर भी इसके बाद बनी अस्थिरता का लाभ आतंकी संगठनों ने उठाया दिख रहा है| पिछले कुछ वर्षों में अल कायदा, आयएस और अन्सरउल इस्लाम जैसी आतंकी संगठनों ने अपना प्रभाव बढाना शुरू किया है| वर्ष २०१९ में एवं नए वर्ष में माली, नाइजेरिया और नायजर में एक के पीछे एक लगातार हो रहे हमलों से इन संगठनों की ताकत बढने की बात दिख रही है|

फ्रान्स ने इससे पहले ही इसी क्षेत्र में करीबन ४,५०० सैनिक तैनात किए है| पर, आतंकी संगठनों ने अफ्रीकी देशों समेत फ्रान्स के लष्करी अड्डों पर ही हमलें करना शुरू किया है| साहेल क्षेत्र के देशों ने अबतक की हुई कार्रवाईयां और मुहीम को काफी झटका लगा है| ऐसे में लगातार हुए आतंकी हमलों से साहेल क्षेत्र के देशों की सेना उचित प्रशिक्षण, हथियार और जानकारी नही रखती है, यह भी स्पष्ट हुआ था|

अफ्रीकी देशों ने पीछले वर्ष की हुई एक बैठक के दौरान साहेल क्षेत्र के देशों में फैला आतंकवाद खतम करने के लिए एक अरब डॉलर्स का प्रावदान करने के संकेत दिए थे| इसमें आर्थिक सहायता के साथ ही लष्करी तैनाती का भी समावेश था| महासंघ की बैठक और इस में किए गए निर्णय के अनुसार अफ्रीकी देशों ने आखिर में साहेल के लिए निर्णय करके अमल करना शुरू करने की बात स्पष्ट हुई है|

पिछले दो महीनों में फ्रान्स ने स्थानिय अफ्रीकी देशों के सहयोग से की हुई कार्रवाई को अधिक गति दी थी| नवंबर महीने में ‘ऑपरेशन बोर्गो ५’ नाम की संयुक्त लष्करी मुहीम में फ्रान्स समेत अफ्रीकी देशों की ‘जी ५ साहेल?फोर्स’ के डेढ हजार सैनिक शामिल हुए थे| पिछले दोन वर्षों से फ्रान्स ने अफ्रीका में जारी मुहीम के लिए यूरोपिय देशों की सहायता प्राप्त करने की कोशिश शुरू की है| पर, यूरोपिय महासंघ और प्रमुख देशों ने अबतक इसपर आवश्यक जवाब नही दिया है|

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