ब्रिटन के नेतृत्व में युरोप की स्वतंत्र सेना; फिनलंड और स्वीडन भी शामिल

लंडन, दि. ७ : नाटो, युरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्रसंघ के अभियानों के लिए सहायता करनेवाली प्रस्तावित स्वतंत्र युरोपीय सेना में फिनलंड और स्वीडन भी शामिल होंगे| इसके लिए ब्रिटन द्वारा की गयी पहल में, ब्रिटन के अलावा छह देशों ने सहभाग की निश्‍चिती दर्शायी है| ‘जॉईंट एक्सपिडिशनरी फोर्स’ नामक इस सेना में १० हज़ार जवान शामिल होंगे| एक तरफ़ ब्रिटन युरोपीय संघ की अलग सेना को जोरशोर से विरोध कर रहा है; वहीं, दूसरी तरफ़ खुद के नेतृत्व में अलग युरोपीय सेना करने की तैयारी करना, यह ग़ौर फ़रमानेवाली घटना साबित हो रही है|

फिनलंड और स्वीडनब्रिटन द्वारा ‘जॉईंट एक्सपिडिशनरी फोर्स’ का निर्माण करने की तैयारी सन २०१२ से ही की गयी होने की जानकारी सामने आयी है| इस सेना में भूदल, नौसेना तथा हवाईदल के स्पेशल युनिट्स शामिल होंगे| सेना का नेतृत्व पूरी तरह ब्रिटीश अधिकारियों के पास रहेगा| ब्रिटन ने इस सेना के लिए डेन्मार्क, नॉर्वे, नेदरलॅण्ड, इस्टोनिया, लाटविया और लिथुआनिया इन देशों के साथ स्वतंत्र समझौते किये है| ये देश उनके संरक्षणदल का हिस्सा रहनेवाले ‘स्पेशलिस्ट ट्रुप्स’ और युनिट्स स्वतंत्र सेना के लिए तैनात करेंगे|

‘जॉईंट एक्सपिडिशनरी फोर्स’ को सन २०१८ तक पूरी तरह सक्रिय करने का उद्देश रखा गया है| लेकिन यदि अभी ज़रूरत पड़ती है, तो यह सेना तैनात हो सकती है, ऐसा दावा सूत्रों द्वारा किया गया है| आनेवाले समय में यह सेना किसी भी अभियान के लिए स्वतंत्र रूप में तैनात करने का प्रावधान भी रखा गया है| उसी समय नाटो, युरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्रसंघ के अभियानों को सहायता करने के लिए यह सेना सक्रिय रहेगी, ऐसी जानकारी दे दी गयी है|

‘फिनलंड और स्वीडन को सेना में सहभागी होने के लिए दिया गया प्रस्ताव नाटो की भागीदारी से जुडा है| ब्रिटन के साथ इससे पहले किये हुए संयुक्त अभियानों का अनुभव अच्छा है|’ इन शब्दों में फिनलंड के रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जान कुसेला द्वारा, फिनलंड इस सेना में सहभागी होने के संकेत दिये गये हैं| इस नयी सेना में शामिल होना फिनलंड की रक्षाक्षमता बढ़ाने के लिए उपयोगी साबित होगा, ऐसी आशा भी उन्होंने जतायी है|

Swedish-Defence-Minister-Peter-Hultqvist‘जॉईंट एक्सपिडिशनरी फोर्स यह नाटो का हिस्सा नहीं है| ब्रिटन द्वारा इसकी पहल की गयी है| इसके अभियान ब्रिटन के नेतृत्व में होंगे| इसलिए हम बिना किसी दिक्कत के शामिल हो सकते हैं| इस बारे में फिनलंड से पहले ही बातचीत की गयी है|’ ऐसी जानकारी स्वीडन के रक्षामंत्री पीटर हल्टक्विस्ट ने दी है|

स्वीडन और फिनलंड नाटो के शांतिअभियानों में सहभाग देते आये हैं| मगर उन्होंने सैनिकी अभियानों से दूर रहने की नीति अपनायी है| इस पृष्ठभूमि पर, ब्रिटन के नेतृत्व में खड़ी हो रही सेना, यह इन देशों का सैनिकी अभियानों में सहभाग बढानेवाली घटना साबित होगी| रशिया की आक्रामक नीतियों को देखते हुए यह बढ़ता हुआ सहभाग युरोपीय देशों के लिए दिलासा देनेवाला रहेगा|

लेकिन उसी समय, ‘नाटो’ के मुद्दे का बहाना बनाकर स्वतंत्र युरोपीय सेना का विरोध करनेवाला ब्रिटन, अब खुद युरोपीय देशों की अलग सेना का नेतृत्व कर रहा है, यह बात ब्रिटन की दोमुँहा नीति के संकेत देनेवाली है|

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