भारत-पाकिस्तान को चर्चा के माध्यम से मतभेद सुलझाने चाहिए : संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव का आवाहन

संयुक्त राष्ट्र, दि. २२: भारत और पाकिस्तान ने आपस के मतभेद चर्चा के माध्यम से सुलझाने चाहिए, ऐसा आवाहन संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव ‘बान की मून’ ने किया है| पिछले कुछ दिनों में भारत और पाकिस्तान में तनाव भारी मात्रा में बढ़ रहा है| उरी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राईक किया था| साथ ही, पाकिस्तान के साथ ‘सिंधु जलवितरण समझौते’ पर दोबारा सोचने के संकेत दिये थे| जम्मू-कश्मीर में नदी के जलवितरण पर दोनो देशों में शुरू हुये इस झगड़े का रूपान्तर बड़े संघर्ष में हो सकता है, ऐसा ड़र आंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा जताया जा रहा है| इस पृष्ठभूमि पर, ‘बान की मून’ ने यह आवाहन किया है|

Baan-ki-moon

संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव बान की मून का दस साल का कार्यकाल इस महीने के अन्त में पूरा हो रहा है| तत्पश्‍चात भारत और पाकिस्तान में बढ़ते तनाव पर मून ने चिंता ज़ाहिर की| ‘दोनो देशों ने अपने विवाद चर्चा के माध्यम से सुलझाने चाहिए’ यह मून की भूमिका रही है, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव के प्रवक्ता फरहान हक ने कहा|

पाकिस्तानी आतंकवादियों ने उरी में, भारतीय सेना के अड्डे पर किये आतंकवादी हमले के बाद दोनो देशों के बीच का तनाव बहुत बढ़ गया| पाकिस्तान जब तक आतंकवादी नीति छोड़ता नहीं, तब तक पाकिस्तान के साथ चर्चा होगी नहीं, ऐसा भारत ने कई बार स्पष्ट किया है| लेकिन पाकिस्तान द्वारा लगातार आतंकवादियों को सहयोग मिल रहा है| इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने ‘सिंधु जलवितरण समझौते’ पर पुनर्विचार करने के संकेत दिये थे| जम्मू-कश्मीर की नदियों का पानी पाकिस्तान में बहने से रोकने के लिये, भारत ने कुछे जलविद्युत प्रकल्प हाथ में लिये हैं| लेकिन पाकिस्तान इन जलविद्युत प्रकल्पों का विरोध कर रहा है| इसके खिलाफ जागतिक बैंक के पास, ‘कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन’ स्थापित करने की माँग करनेवाले पाकिस्तान के पल्ले निराशा आयी है|

दो महीने पहले पाकिस्तान की माँगों का विचार करते हुए ‘कोर्ट ऑफ आर्बिटेशन’ स्थापित करने की माँग जागतिक बैंक ने मंजूर की थी| इसके साथ ही, निष्पक्ष विशेषज्ञों की नियुक्ति करने का फ़ैसला किया था| इसपर भारत की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आयी थी| दोनों माँगें मंज़ूर करना कानून के खिलाफ और अव्यवहार्य है, ऐसा भारत ने कहा था| भारत की सख़्त भूमिका के बाद जागतिक बैंक ने अपना फैसला पीछे लिया था|

पिछले हफ्ते पाकिस्तान द्वारा इसपर प्रतिक्रिया आयी थी| पाकिस्तान किसी भी हालत में ‘सिंधु जलवितरण समझौते’ की पुनर्रचना करने के खिलाफ है, ऐसा इस देश ने स्पष्ट किया था| दोनो देशों के बीच का यह जल का विवाद अधिक बढ़ेगा और इससे युद्ध भी शुरू हो सकता है, ऐसा ड़र आंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ ज़ाहिर कर रहे हैं|

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