भारत-भूटान में ‘कनेक्टिविटी’ बढ़ाने के लिए प्रयास

नई दिल्ली – भारत और भूटान में रेलवे लाइन का निर्माण करके दोनों देशों के बीच ‘कनेक्टिविटी’ बढ़ाने का विचार हो रहा है। इस रेलवे लाइन की फ़ीज़िबिलिटी जाँच के लिए एक अध्ययन शुरू किया गया है। दो दिन पहले, चीन ने फिर से एक बार भूतान के सकेतंग अभ्यारण्य पर दावा किया। भारत के अरुणाचल की सीमा से सटे भूटानी क्षेत्र पर दावा करके चीन भारत पर अपना दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। चीन भूटान पर भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने भूटान के साथ ‘कनेक्टिविटी’ बढ़ाने के लिए विभिन्न परियोजनाओं पर काम शुरू किया है। इसमें, इस रेलवे परियोजना का प्रस्ताव महत्वपूर्ण है।

'कनेक्टिविटी'

कुछ दिन पहले, पश्चिम बंगाल के जाईगांव से भूटान के पासाखा तक के एक नए व्यापारी मार्ग का उद्घाटन किया गया था। इसके साथ ही, चीन द्वारा दावा किए गए सकेतंग अभयारण्य के बीच से जानेवाला गुवाहाटी से तवांग तक के सड़क का प्रस्ताव भी भारत ने भूटान के सामने रखा था। इस मार्ग से, पूर्व में और अरुणाचल प्रदेश के चीन से सटे सीमाक्षेत्र में तेजी से सैन्य तैनाती की सुविधा होगी। इसके बाद, अब रेलवे ‘कनेक्टिविटी’ पर विचार किया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल के मुजनाई और भूटान के न्यूपनपेंलिंग तक इस रेलवे लाइन का प्रस्ताव है। इसके अलावा, ‘लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में एक एकात्मिक चेकपोस्ट विकसित करने की भी योजना बना रही है। भूटान ने भारत को व्यापार के लिए स्थाईस्वरूपी ‘सीमा शुल्क स्टेशन’ (लैंड कस्टम स्टेशन-एलसीएस) स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया है।

चीन के दावे के मुताबिक, भूटान के साथ सीमा तय नहीं है और भूटान की मध्य, पूर्व और पश्चिमी सीमाओं पर विवाद है। इसी बात को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। परंतु इस विवाद को बहुपक्षीय बनाने के लिए चीन के विदेश मंत्रालय ने विरोध दर्शाया है। यह स्पष्ट है कि चीन का यह संकेत भारत की ओर था। भूटान के विदेशी मामलों और सुरक्षा का जिम्मा भारत संभालता है। इस पर चीन ने आपत्ति जताई है।

भारत भूटान की ओर से उनकी सीमा सुरक्षा को संभालता है, इस वजह से चीन को भूटान का इलाका निगलना मुश्किल हो गया है। २०१७ में डोकलाम में चीन भूटान के इलाके में सड़क बनाने की कोशिश कर रहा था और भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को रोका था। इस वजह से, ७३ दिनों तक दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के सामने खड़े थे। भारत की सख्त भूमिका की वजह से चीन को यहाँ से पीछे हटना पडा था। लद्दाख के गलवान में संघर्ष के बाद तनाव बढ़ गया था और चीन भूटान के सकेतंग अभयारण्य के इलाके पर अपना दावा भी, भारत को निशाना बनाने के लिए कर रहा है, यह स्पष्ट होता है। इस पृष्ठभूमि पर, भूटान के साथ ‘कनेक्टिविटी’ बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयास महत्वपूर्ण हैं।

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