उत्तर पूर्व में निवेश को लेकर चीन का जापान को इशारा

बीजिंग: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में जापान न पड़े ऐसा चीन ने सूचित किया है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऐबे के भारत दौरे के बाद उत्तर-पूर्व भारतीय राज्यों में मूलभूत सुविधाओं के विकास के बारे में दोनों देशों के बीच करार संपन्न हुआ था। इस पर चीन से अपेक्षित प्रतिक्रिया आयी है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने जापान को भारत और चीन के विवाद ग्रस्त क्षेत्र में निवेश न करने का इशारा दिया है। तथा भारत एवं जापान के प्रधान मंत्रियों ने जारी किए संयुक्त निवेदन में ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र के बारे में उल्लेख पर भी चुनयिंग ने आक्षेप जताया है।

भारत के उत्तर-पूर्व राज्य में कई भूभाग पर चीन अपना अधिकार जता रहा है। विशेष रुप से अरुणाचल प्रदेश मतलब दक्षिण तिबेट होकर इस पर अपना संपूर्ण अधिकार होने की बात चीन कर रहा है। साथ ही जम्मू कश्मीर का भाग रहे लद्दाख पर भी अपना हक चीन दिखा रहा है। भारत ने समय-समय पर चीन के यह दावे झुठलाकर, यह भारत का सार्वभौम भूभाग होने की बात स्पष्ट की है। तथा इस बारे में किसी प्रकार का समझौता संभव न होने की भारत की भूमिका है। उसी में चीनने भारत के निकटतम के भूभाग में मूलभूत सुविधाओं का विकास करके लष्करी गतिविधियां शुरू करने के बाद भारतने अपने उत्तर-पूर्व राज्यों के विकास परियोजनाओं को गति दी है।

निवेशयह विकास परियोजनाओं के लिए भारत को सहायता करने की तैयारी दिखाने वाले जापान के बीच कई वर्षों से इस बारे में चर्चा शुरू थी। जापान इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए तांत्रिक तथा अन्य प्रकार के सहयोग करने की तैयारी दिखाकर समय, चीन ने इस पर आक्षेप जताया था। चीन के सरकारी माध्यमों ने भारत के साथ जापान को भी धमकियां दी थी। पर जापानने इस बारे में ठोस भूमिका लेकर यह भारत का भूभाग है ऐसा कहा था। तथा प्रधानमंत्री शिंजो ऐबेने इस दौरे में उत्तर-पूर्व राज्यों के मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए भारत को सहायता करने के बारे में करार किया है।

प्रधानमंत्री ऐबे के भारत दौरे से पूर्व इस करार की चर्चा भारतीय माध्यमों में शुरू हुई थी। तथा इसपर चीन से प्रतिक्रिया आने की गहरी आशंका भारतीय माध्यम से जताई जा रही थी। उसके अनुसार चीनने भारत एवं जापान के बीच हुए करार पर आक्षेप लिया है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने जापान, भारत एवं चीन के सीमा विवाद में न पड़े यह सूचित किया है। तथा दोनों देश चीन के आक्षेपों का विचार करके आगे निर्णय लेंगे ऐसी अपेक्षा चुनयिंग व्यक्त की है।

तथा भारत एवं जापान के प्रधानमंत्रीने प्रसिद्ध किए संयुक्त निवेदन में हिंद महासागर क्षेत्र से प्रशांत महासागर क्षेत्र तक सागरी क्षेत्र के बीच का विवाद चर्चा से सुलझाने के इस आवाहन पर भी चुनयिंग ने नाराजगी व्यक्त की है। अपने सागरी विवाद अंतरराष्ट्रीय नियमों के चौखट में रहकर सुलझाएं जाते हैं, इसका चीन को एहसास है ऐसा चुनयिंग ने कहा है। पर सागरी परिवहन एवं हवाई संचार के स्वतंत्रता का पुरस्कार करने वाले देशोंने अपने क्षेत्र में भी तत्वों का पालन करें, ऐसी सूचना चुनयिंग ने दी है। सीधा उल्लेख टालते हुए चुनयिंग ‘ईस्ट चाइना सी’ क्षेत्र में जापान की भूमिका पर निशाना साधते हुए दिखाई दिए।

इस सागरी क्षेत्र पर चीन अपना हक दिखा रहा है ऐसा जापान ने चीन का दावा झुठलाया है। इस क्षेत्र में सेंकाकू द्वीप समूह के स्वामित्व को लेकर दोनों देशों में शुरू यह विवाद बढ़ने बढा है जिसके लिए जापान जिम्मेदार है, यह चीन कह रहा है।

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