‘टेरर फंडिंग’ मामले में यासीन मलिक को आजीवन कारावास

नई दिल्ली – पिछले साढेतीन दशकों से जम्मू-कश्मीर में आतंक और अलगाववाद का चेहरा बने ‘जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट’ (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को ‘टेरर फंडिंग’ मामले में ‘एनआईए’ की अदालत ने सज़ा सुनायी है। यासीन मलिक को इस मामले में दो धाराओं के तहत उम्रकैद की सज़ा दी गयी। इसके अलावा भारतीय दंड़ संहिता और यूएपीए कानून की अन्य आठ धाराओं के तहत उसे कारागृह और आर्थिक जुर्माने की सज़ा सुनाई गई है। यासीन मलिक की इस सज़ा के बाद जम्मू-कश्मीर समेत देशभर में खुशियां मनाई जा रही हैं। कश्मीर घाटी में कुछ स्थानों पर माहौल तनावपूर्ण होने की बात कही जा रही है।

‘टेरर फंडिंग'साल २०१७ में पाकिस्तानी आतंकी संगठनलश्कर-ए-तोयबा’ के प्रमुख हफीज सईद और अलगाववादी नेता कश्मीर में हिंसा और अस्थिरता फैलाने के लिए स्थानीय स्तर पर एवं विदेश से भारी मात्रा में पैसा जुटा रहे थे। ‘एनआईए’ ने इसके विरोध में अपराधिक मामला दर्ज़ किया था। इस टेरर फंडिंग के मामले में यासीन मलिक के साथ कई अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी। साल २०१९ में यासीन मलिक को एनआईए ने हिरासत में लिया था। इस मामले में यासीन मलिक पर चलाए गए मुकदमे का निर्णय बुधवार को हुआ। इससे पहले १० मई को हुई सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने उसके खिलाफ लगाए गए आरोप स्वीकार किए थे। इसके बाद अदालत ने मलिक को दोषी करार दिया था। १९ मई को यासीन मलिक की सज़ा पर अदालत ने अपना निर्णय आरक्षित रखा था।

बुधवार को ‘अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट’ (यूएपीए) और भारतीय दंड़ संहिता की १० अलग-अलग धाराओं के तहत अदालत ने यासीन मलिक को सज़ा सुनाई। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने भारतीय दंड संहिता की धारा १२१ आईपीसी के तहत देश के खिलाफ युद्ध करने के मामले में उम्रकैद और छह वर्ष की जेल की सज़ा सुनाई। साथ ही १० हज़ार का जुर्माना भी लगाया। इसके अलावा यूएपीए कानून की धारा १७ के अनुसार आतंकी गतिविधियों के लिए निधि जुटाने के मामले में भी यासीन को उम्रकैद और ढ़ाई साल जेल की सज़ा हुई है। इस धारा के तहत यासीन को १० लाख रुपयों का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की रकम ना भरने पर अधिक सज़ा काटनी होगी।

इसके अलावा आईपीसी की धारा १२०-बी के अनुसार अपराधिक साज़िश, आईपीसी धारा १२१ए के तहत साज़िश करने के गुनाहों के लिए सोलह साल जेल और दस हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा हुई है। अवैध हरकतों में शामिल होने के मामले में यूएपीए की धारा १३ के तहत आठ साल जेल की सज़ा अदालत ने सुनाई है। इसके अलावा यूएपीए कानून की धारा १५ के अनुसार भारत की जाली मुद्रा के कारोबार के मामले में उसे १६ वर्ष जेल हुई है।

इसके अलावा यूएपीए की धारा १८, ३८, ३९, २० के तहत क्रम के अनुसार ८, ८ और १६ साल कारावास की सज़ा भी यासीन मलिक को भुगतनी होगी। उसे यह सभी सज़ाएं एकसाथ भुगतनी होंगी। इस वजह से मलिक का अगला जीवन जेल में ही बीतेगा। मलिक के पास ऊपरी अदालत में अपील करने का अवसर है। लेकिन, उसने इस सज़ा को चुनौती देने के लिए ऊपरी अदालत में जाने से इन्कार किया है।

इसी बीच ‘टेरर फंडिंग’ के मामले में ही फारुक अहमद दार उर्फ बिट्टा कराटे, शाबीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अब्दुल रशीद देश के साथ अन्य कई अलगाववादी नेताओं पर मुकदमे जारी हैं। इन मुकदमों के नतीज़े भी जल्द ही आने की उम्मीद है। यासीन मलिक पर आतंकी गतिविधियों से संबंधित भी कई मामले दर्ज़ हैं।

साल १९९० में उसी के नेतृत्व में जेकेएलएफ के आतंकियों ने वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या की थी। इस मामले से संबंधित अधिकारियों के परिवारों ने अब हमें न्याय की उम्मीद होने का बयान किया है। यासीन मलिक की सज़ा की पृष्ठभूमि पर दिल्ली में एनआईए की अदालत के बाहर भी लोगों की भीड़ देखी गई। उसे सजा सुनाने के बाद तुरंत खुशियां मनाई गईं और मिठाईयाँ बांटी गयी। पूरे देश में कई स्थानों पर ऐसा दृश्य दिखायी दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published.