चीन के सामान का बहिष्कार करने की वँगचुक की अपील को मिल रहा है ज़बरदस्त समर्थन

लेह – लद्दाख में भारत और चीन की सेनाएँ एक-दूसरे के सामने खड़ी हुई हैं और तभी लद्दाख के ही ‘सोनम वँगचुक’ इस पर्यावरण विशेषज्ञ ने ‘बॉयकॉट मेड इन चायना’ की अपील की थी। ‘सेना देगी बुलेट से ज़वाब, नागरिक देंगे वॉलेट से’, इस घोषवाक्य के ज़रिये वँगचुक ने देशवासियों को चीन के सामान का बहिष्कार करने का संदेश दिया। भारतीय नागरिक भी उनके इस निवेदन को ज़बरदस्त समर्थन दे रहे हैं।

Wangchukलद्दाख की सिंधू नदी के तट पर बैठकर सोनम वँगचुक ने हाल ही में एक वीडियो तैयार किया। वहाँ से कुछ ही दूरी पर भारत और चीन के सैनिक एकदूसरे के सामने खड़े हुए हैं। उन्होंने इस वीडियो के ज़रिए दूर से ही उस ज़गह को दिखाया है। इस वीडियो के ज़रिये उन्होंने देशवासियों को चीन के सामान का बहिष्कार करने का निवेदन किया है। ‘भारतीय पाँच लाख करोड़ रुपयों के चीन के सामान की खरीद करते हैं। भारतीयों का यही पैसा चीन सरकार हथियार खरीदने के लिए इस्तेमाल करती है। यही पैसा भारतविरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसी वज़ह से भारतीयों को ‘मेड इन चायना’ का बहिष्कार करना होगा। भारतीय लोगों की यह ताकत ही चीन के होश ठिकाने पर लायेगी, यह विश्‍वास वँगचुक ने ज़ताया है।

‘फिलहाल विश्‍वभर में चीन के विरोध में असंतोष बना है। ऐसे में ‘बॉयकॉट मेड इन चायना’ यह मुहीम इतने तक ही सीमित ना रहें, इसका दुनियाभर में प्रसार करना होगा। यदि चीन के व्यापार को झटका लगा, तो ही चीन की अर्थव्यवस्था कमज़ोर होगी’ यह बात वँगचुक ने कही है। साथ ही, दो स्तर पर हम भारतीय चीन के सामान का बहिष्कार कर सकते हैं। पहले चरण में भारतीय नागरिक अपने स्मार्टफोन में मौजूद चीन के ॲप डिलीट करें। दूसरें चरण में नागरिक चिनी कंपनियों के बनें स्मार्टफोन्स और कम्प्युटर्स का बहिष्कार करें। इसके लिए भले ही एक साल का समय लगा, तो भी चलेगा, ऐसा वँगचुक का कहना है।

उनके इस निवेदन को ज़बरदस्त समर्थन प्राप्त हो रहा है। कई भारतीय नागरिक अपने स्मार्टफोन से चीन के ॲप्स हटा रहे हैं। साथ ही, वँगचुक का यह वीडियो बड़ी मात्रा में शेअर हुआ है। चीन के सामान का बहिष्कार करने के आवाहन पहले भी हुए थे। लेकिन, कुछ दिनों में ही ऐसी मुहीम ठंड़ी पड़ी थी। पुलवामा के साथ भारत में कई आतंकी हमले करनेवाले मौलाना मसूद अझहर को ‘आंतर्राष्ट्रीय आतंकी’ घोषित करने में चीन अड़ंगे डाल रहा था। संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में चीन ने अपने नकाराधिकार (वेटो) का इस्तेमाल करके इससे संबंधित प्रस्ताव रोक रखा था, उस समय भी इसी तरह का आवाहन किया गया था। इससे पहले डोकलाम में दोनों देशों के सैनिक एकदूसरे के सामने खड़े थे, तब भी इसी तरह से कुछ लोगों ने आवाहन किया था। कुछ कारोबारियों ने भी चीन का सामान ना खरीदने का निर्णय किया था। लेकिन, उसके कुछ ही देर बाद इन मुहिमों का ज़ोर कम हुआ था।

पिछले वर्ष चीन सरकार के मुखपत्र होनेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने इस मुद्दे पर भारतीय लोगों का मज़ाक उड़ाया था। ऐसें आवाहनों के बाद भी भारत में चीन के सामान की कितनी बड़ी मात्रा में बिक्री हुई, इसके दाखिलें भी इस समाचार पत्र ने दिए थे। भारतीय नागरिकों के लिए चीन के सामान खरीदने के सिवा और कोई चारा ही नहीं है, क्योंकि भारत का उत्पादनक्षेत्र बहुत ही पिछड़ा हुआ है। भारत इस मोरचे पर चीन से बराबरी कर नहीं सकता, ऐसा मग़रूरीभरा बयान ग्लोबल टाईम्स ने किया था।

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