अफगानिस्तान में हिंसा में काफ़ी बढ़ोत्तरी; २०१६ में मरनेवालें और जख़्मियों की संख्या ६० हज़ार से ज़्यादा

काबुल, दि. २६: अफगानिस्तान में चल रहे युद्ध के लगभग १६ साल होने के बाद भी इस देश में हिंसा और उसमें मरनेवालों की तादाद तेज़ी से बढ़ रही है| अफगानिस्तान के रक्षाविभाग तथा अंतर्गत रक्षामंत्रालय द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, इस साल में अफगानिस्तान में हिंसा में मारे जानेवालों का आँकड़ा तथा जख़्मियों की संख्या ६० हज़ार से ज़्यादा है| मरनेवालों में १८ हज़ार से अधिक आतंकवादी और पाँच हज़ार पाँचसौ से अधिक अफगानी जवान हैं|

Afghanistan_violence- अफगानिस्तान में हिंसा

कुछ दिन पहले अफगानिस्तान स्थित अमरिकी अधिकारियों ने, ‘देश में तालिबान के क़ब्ज़े में रहनेवाले क्षेत्र में वृद्धि हो रही है’ ऐसी चेतावनी दी थी| अमरीका के बाद अफगानिस्तान के कुछ अधिकारी तथा विश्‍लेषकों ने भी इस बात का समर्थन किया था| अमरीका ने नाटो की सहायता से शुरू किए युद्ध को करीबन १६ साल होने के बाद भी तालिबान का वर्चस्व तथा प्रभाव बरक़रार है, यह बात इस घटना से साफ हो रही है|

दूसरी तरफ अमरीका ने भी अफगानिस्तान में अपनी तैनाती बर्रकरार रखने की और जरूरत पड़ी तो फिर सेना में बढ़ोत्तरी के संकेत दिये थे| इस वजह से अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी मुहीम को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है, ऐसा साफ दिखाई दे रहा है| अफगानी एजन्सींयों द्वारा जारी किये अहवाल से इस बात का समर्थन मिल रहा है| १६ साल तक चल रही मुहिम के बाद भी अफगानिस्तान में हिंसा में बढ़ोत्तरी होना, यह बात तालिबान के खिलाफ शुरू कार्रवाई के नाक़ामयाब होने के संकेत देती है|

अफगाणी एजन्सियों ने दी जानकारी के अनुसार, सन २०१६ में १८ हज़ार से ज़्यादा आतंकवादी मारे गये थे और १२ हज़ार से अधिक घायल हुये हैं| अमरिकी एजन्सियों ने अफगाणी सेना की जीवितहानि की जानकारी जारी की है| इसके अनुसार, अक्तूबर महिने तक लगभग ५ हज़ार ५०० अफगाणी जवानों को अपनी जान गँवानी पड़ी है| घायल हुये अफगानी जवानों की तादाद १० हज़ार से ज़्यादा है, ऐसा अमरीका द्वारा कहा गया है|

तालिबान के खिलाफ शुरू संघर्ष में देश के तीन हज़ार लोंगो को भी अपनी जान गँवानी पड़ी है, ऐसी जानकारी संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दी गई है| इसके साथ ही, देश के लगभग साढ़ेपाँच लाख लोगों को बढ़ती हिंसा की वजह से विस्थापित होना पड़ा है, यह बात भी सामने आयी है|

तालिबान ने अफगानी सरकार के चर्चाप्रस्ताव को ठुकराया है| साथ ही, रशिया और ईरान ये देश तालिबान की सहायता करने लगे हैं| कुछ समय पहले रशिया ने, तालिबान के साथ चर्चा करने का फैसला किया था| अमरीका के खिलाफ तालिबान को पाकिस्तान समेत ईरान और रशिया से भी सहायता मिली, तो तालिबान की क्षमता में बढोत्तरी हो सकती है| ऐसा हुआ, तो अफगानिस्तान में और ज़्यादा खूनख़राबा होगा| इसलिए आनेवाले समय में अफगानिस्तान में स्थिरता और सुव्यवस्था प्रस्थापित करने की चुनौती अधिक कठीन होनेवाली है|

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