भारत को अमरीका से ‘प्रिडेटर ड्रोन्स’ की होगी आपूर्ति

वॉशिंग्टन – अमरीका के दौरे पर दाखिल हुए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने अमरिकी विदेश मंत्री से मुलाकात की। दोनों देशों के रणनीतिक भागीदारी का मुद्दा इस चर्चा में सबसे उपर था, ऐसा बयान अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने किया है। तथा, भारत और अमरीका इन जनतांत्रिक देशों का नवीनतम प्रौद्योगिकी क्षेत्र में होने वाला सहयोग आनेवाले समय में सबसे अहम मुद्दा साबित होगा, ऐसा विचार अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष रखते हैं, यह बयान व्हाईट हाऊस के माध्यम सचिव कैरन जीन-पेरी ने किया है। साथ ही अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और अजित डोवल की हुई चर्चा में दोनों देशों के रुके हुए ‘एमक्यू-९बी प्रिडेटर ड्रोन’ के कारोबार को लेकर चर्चा होने की बात कही जा रही है।

पिछले पांच सालों से भारत और अमरीका के बीच ‘एमक्यू-९ बी प्रिडेटर ड्रोन’ संबंधित चर्चा जारी थी। लेकिन, दोनों देशों के बीच यह समझौता हो नहीं सका था। करीबन ३ अरब डॉलर्स के इस समझौते के तहत अमरीका भारत को ३० प्रिडेटर ड्रोन्स यानी गश्त के साथ सटीक हमला करने वाले ड्रोन्स प्रदान करने वाली थी। भारत ने अपने तीनों रक्षा बलों के लिए ऐसे दस-दस ड्रोन्स खरीदने की तैयारी रखी है। लेकिन, यह कारोबार पांच साल से भी अधिक समय से पूरा नहीं हो सका है। लेकिन, इस कारोबार में बने रोड़े हटाए गए हैं और अब इस ड्रोन के खरीद का निर्णय भारत को करना है, यह दावा इससे संबंधित चर्चा से जुड़े अधिकारी ने किया। लेकिन, इसमें हुई देरी की वजह और इसका ब्योरा साझा करने से इस अधिकारी ने नकारा।

अमरीका की ‘जनरल ऑटोमिक्स-जीई’ कंपनी भारत को यह प्रिडेटर ड्रोन्स प्रदान करेगी और पाकिस्तान एवं चीन से जुड़ी सीमा से हिंद महासागर तक के इलाके में गश्त, खुफिया जानकारी पाने के साथ आवश्यकता होने पर सटिक हमला करने का काम भी यह ड्रोन कर सकता है। इस वजह से कोई भी खतरा उठाए बिना सुरक्षा के लिए उभर रहे खतरे को खत्म करना मुमकिन होगा, ऐसा ‘जीई ग्लोबल कार्पोरेशन’ के भारत में नियुक्त वरिष्ठ अधिकारी विवेक लाल ने कहा है। साथ ही ‘जीई’ कंपनी ने भारत में तीन प्रकल्पों पर काम शुरू किया है, यह जानकारी भी लाल ने प्रदान की। इनमें ‘आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स’, ‘ड्रोन्स’ और ‘सेमीकंडक्टर’ से जुड़े प्रकल्पों का समावेश होने की बात उन्होंने स्पष्ट की।

इसी बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और अमरिकी सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन की मौजूदगी में दोनों देशों की ‘आईसीईटी’ (इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल ॲण्ड इमर्जिंग टेक्नॉलॉजी) से संबंधित परिषद हुई। साल २०२२ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन की जापान के टोकियो में हुई चर्चा के बाद ‘आईसीईटी’ का गठन किया गया था। इसके अनुसार भविष्य की तकनीक पर दोनों देशों ने सहयोग करने का निर्णय किया था। आनेवाले समय की तकनीक से संबंधित संयुक्त अनुसंधान एवं निर्माण के मुद्दे पर दोनों देशों के नेताओं की सहमति हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर डोवल और सुलिवन की हुई इस चर्चा पर अमरीका के व्हाईट हाऊस का बया प्राप्त हुआ है।

‘आईसीईसीटी’ के स्तर का यह सहयोग भारत और अमरीका के लिए आगे सबसे बड़ी बात होगी। जनतांत्रिक देशों का तकनीकी मोर्चे का यह सहयोग काफी अहम साबित होगा, यह विचार अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष रखते हैं, ऐसा व्हाईट हाऊस के माध्यम सचिव कैरन जीन-पेरी ने कहा हैं। साथ ही भारत और अमरीका के सहयोग को रणनीतिक अहमियत है, फिर भी यह सहयोग चीन या अन्य किसी देश के विरोधी नहीं है, यह दावा कैरन जीन-पेरी ने किया है।

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