अमरिका-पाकिस्तान के संबंध टूटने की स्थिति में – विख्यात विश्लेषक मोईद युसूफ का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकराची – ‘अमरिका और पाकिस्तान के संबंध टूट गए हैं’, ऐसा दावा ‘एशिया सेंटर, युएस इंस्टिट्यूट फॉर पीस’ के विश्लेषक मोईद युसूफ ने किया है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान और अमरिका के हितसंबंध आमने सामने आने की वजह से यह परिस्थिति निर्माण होने का दावा युसूफ ने किया है। अक्टूबर महीने के आखिर में अफगानिस्तान में चुनाव पूरे होंगे। अफगानिस्तान में नई सरकार सत्ता पर आने से पहले अमरिका के साथ सहकार्य प्रस्थापित करने का मौका अमरिका के पास होगा। यह मौका हाथों से छूट गया तो पाकिस्तान के अमरिका साथ अच्छे संबंध निर्माण होना संभव नहीं है, ऐसी चेतावनी भी युसूफ ने पाकिस्तान की नई सरकार को दी है।

पाकिस्तान में इम्रान खान की सरकार सता में आई है। इस सरकार ने अमरिका के सामने घुटने टेकने के बजाय स्वाभिमान दिखाने की नीति अपनाई है। विशेषतः अफगानिस्तान के युद्ध में अमरिका को सहकार्य न करने की भूमिका इस सरकार ने अपनाई है। इम्रान खान ने ऐसी घोषणा भी की है। इस पर अमरिका की तरफ से तीव्र प्रतिक्रिया आ रही है। अमरिका के विदेश मंत्री माईक पोम्पिओ ने अपने पाकिस्तान के दौरे में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान को कठोर शब्दों में समझाया है। उसके बाद भी अमरिका की तरफ से पाकिस्तान को आतंकवादियों पर कार्रवाई के लिए कठोर चेतावनियाँ दी जा रहीं हैं। लेकिन इम्रान खान की सरकार हम अमरिका की सूचनाओं का पालन करने के लिए कटिबद्ध नहीं हैं ऐसा कहकर, जनता से शाबासी ले रही है।

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इस पृष्ठभूमि पर, पाकिस्तान के विश्लेषक अपनी सरकार को नीतियों के परिणमों का एहसास कराके दे रहे हैं। पाकिस्तान के कराची शहर में आयोजित किए गए एक परिसंवाद में बोलते समय युसफ ने भी ऐसी ही कोशिश की है। अमरिका और पाकिस्तान के संबंध खंडित हुए हैं, ऐसा कहकर युसूफ ने पकिस्तानी जनता को वास्तवता का एहसास कराके दिया है। साथ ही आने वाले समय में भी अमरिका और पाकिस्तान के संबंध सुधारने का संभावना नहीं है, ऐसा भी युसूफ ने कहा है। दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान को लेकर तीव्र मतभेद हैं और यही इस दूरी की वजह है, ऐसा दावा युसूफ ने किया है।

१७ साल के संघर्ष के बाद भी अमरिका तालिबान को अफगानिस्तान के युद्ध में हरा नहीं सका है। इसका कारण तालिबान पाकिस्तान में स्थित अपने अड्डों का इस्तेमाल करके अफगानिस्तान में युद्ध कर रहा है। ऐसे तालिबान पर पाकिस्तान कार्रवाई नहीं कर रहा है, ऐसी अमरिका की शिकायत है। लेकिन हमने अफगानिस्तान के मामले में आवश्यकता से अधिक किया है, ऐसी पाकिस्तान की भावना है। इस वजह से यह मतभेद शिखर तक पहुँचने का दावा युसूफ ने किया है।

ऐसा होते हुए भी दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के लिए अक्टूबर महीने के आखिर तक मौका उपलब्ध है। अगर इस मौके का इस्तेमाल नहीं किया तो उसके बाद अफगानिस्तान में चुनाव होंगे और नई सरकार सत्ता पर आएगी। ऐसा हुआ तो अमरिका के साथ संबंध सुधरने की संभावना खत्म हो जाएगी, ऐसी युसूफ ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है। लेकिन पाकिस्तान की सरकार इस मौके का फायदा उठाने की संभावना नहीं है, इस बात को भी युसूफ ने स्पष्ट किया है। युसूफ और उनके जैसे अन्य विश्लेषक बहुत पहले से ही पाकिस्तानी सरकार और लष्कर को अफगानिस्तान के बारे में सावधानी की चेतावनी देते आ रहे हैं। तालिबान की सुरक्षा और सहायता करने वाले पाकिस्तानी लष्कर को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी, वर्तमान में भी पाकिस्तान इसकी बहुत बड़ी कीमत चुका रहा है, ऐसी युसूफ ने चेतावनी दी है। लेकिन अमरिका की सेना जल्द ही अफगानिस्तान से पीछे हट जाएगी और अफगानिस्तान का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा सकेगा, ऐसे सपने देखने वाले पाकिस्तानी लष्कर ने इस चेतावनी को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया था।

लेकिन अब अफगानिस्तान से सेना की वापसी की संभावना खत्म होने की वजह से पाकिस्तानी लष्कर की सभी योजनाएं धुल में मिल गई हैं। उसी समय पाकिस्तानी लष्कर का तालिबान पर प्रभाव कम हुआ है, ऐसा भी कहा जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में अमरिका के दबाव का सामना करते हुए अफगानिस्तान में तालिबान को सहकार्य करने का आत्मघाती खेल पाकिस्तान खेल रहा है। पहले के समय में पाकिस्तान ने यह कसरत करके दिखाई है, लेकिन राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के नेतृत्व में आक्रामक बना अमरिका का प्रशासन इस बार पाकिस्तान को छोड़ने वाला नहीं है। ऐसा स्पष्ट रूपसे दिखाई दे रहा है। युसूफ जैसे विश्लेषक पाकिस्तान की नई सरकार को इस बात का एहसास कराके दे रहे हैं।

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