बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर अमरीका और चीन के विदेश मंत्री की हुई पांच घंटे लंबी चर्चा

बीजिंग/वॉशिंग्टन – अमरीका और चीन के बीच बना तनाव चरम स्तर पहुंचा हैं और ऐसे में अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन चीन के दौरे पर दाखिल हुए हैं। रविवार को विदेश मंत्री ब्लिंकन और चीन के विदेश मंत्री किन गैन्ग की पांच घंटे लंबी चर्चा होने की जानकारी सामने आयी है। अमरिकी विदेश मंत्री ने इसमें चीन के साथ जारी तनाव के लिए ज़िम्मेदार मुद्दे उठाने का दावा अमरिकी माध्यम और सूत्रों ने किया। लेकिन, चीन ने इसपर बयान दर्ज़ नहीं किया है।

रविवार को अमरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने चीन की राजधानी बीजिंग में विदेश मंत्री गैन्ग से मुलाकात की। ब्लिंकन पिछले पांच सालों में चीन का दौरा करने वाले पहले अमरिकी विदेश मंत्री बने हैं। बायडेन ने राष्ट्राध्यक्ष पद की बागड़ोर संभालने के बाद चीन का दौरा करने वाले वह सबसे वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारी भी बने हैं। इस पृष्ठभूमि पर उनके इस दौरे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़रे लगी हैं।

अमरीका के पूर्व राष्ट्रध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन विरोधी व्यापार युद्ध शुरू करके आक्रामक रवैया अपनाया था। लेकिन, बायडेन प्रशासन ने इसे सौम्य किया और चीन के साथ संबंध बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम लगातार उठाए हैं। पिछले महीने में ही अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा सीआईए के प्रमुख विल्यम बर्न्स ने चीन का गुप्त दौरा किया था। अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने ने यूरोप में चीन के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात भी की थी।

इसके बाद अमरीका ने विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंक के चीन दौरे का ऐलान किया था। लेकिन, चीन में इसपर ठंड़ी प्रतिक्रिया सामने आयी थी। ब्लिंकन का दौरा तय ना होने से और उनसे ज्यादा उम्मीद ना होन के बयान चीनी माध्यम एवं विश्लेषकों ने किए थे। इससे पहले ब्लिंकन का तय चीन दौरा यकायक रद्द होने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गाय था। ऐसा होने के बावजूद अमरीका ने ब्लिंकन को चीन दौरे पर भेजने का किया निर्णय बायडेन प्रशासन की कमज़ोरी दर्शाता है, ऐसी आलोचना विशेषज्ञ एवं विश्लेषक कर रहे हैं।

चीन अब ताइवान पर हमला करने की तैयारी में होने की चेतावनियां लगातार दी जा रही हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों को चीन की हरकतों से खतरा होने की बात भी सामने आ रही हैं। यूक्रेन युद्ध के साथ अन्य कई मुद्दों पर चीन ने अमरीका और यूरोपिय देशों को चुनौती देने वाली आक्रामक भूमिका अपनाई है। यह सभी मुद्दे चीन और अमरीका का तनाव तीव्र होने के संकेत देते हैं और इसके बावजूद अमरीका ने अपने वरिष्ठ अधिकारी को चीन रवाना करके गलत संकेत दिए हैं, ऐसी चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरू हुई हैं।

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