पाकिस्तान को कर्ज़ा चुकता करने के लिए युएई से अवधि बढ़ाकर मिलेगी – पाकिस्तानी अधिकारियों का विश्‍वास

इस्लामाबाद – संयुक्त अरब अमिरात (युएई) से पाकिस्तान ने लिए कर्ज़े में से लगभग एक अरब डॉलर्स का कर्ज़ा चुकता करने की अवधि बीत चुकी है। लेकिन युएई पाकिस्तान को अवधि बड़ा कर देगा, ऐसा विश्वास पाकिस्तान के मित्र मंत्रालय ने व्यक्त किया है। इससे अपने देश की अधिक से अधिक बेइज्जती हो रही है, ऐसा खेद पाकिस्तान के पत्रकार प्रदर्शित कर रहे हैं। उसी समय, और कितनी देर तक पाकिस्तान आज की मौत को कल पर धकेलता रहेगा? ऐसा सवाल भी इन पत्रकारों द्वारा किया जा रहा है।

सन २०१८ में युएई ने पाकिस्तान को लगभग ६.२ अरब डॉलर्स के कर्ज़े की आपूर्ति की थी। उसका कुछ हिस्सा पाकिस्तान के फॉरेन रिजर्व्ज़ में रखा गया था। साथ ही, पाकिस्तान को ईंधन विषयक सहूलियतों के रूप में भी इस कर्जसहायता की आपूर्ति की गई थी। इस कर्ज़े में से एक अरब डॉलर्स पाकिस्तान मार्च २०२१ में चुकता करनेवाला था। लेकिन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था रसातल को पहुँची है। अन्य कहीं से कर्ज़ा लिए बगैर पाकिस्तान इस कर्ज़े को चुकता नहीं कर सकता। कुछ महीने पहले सऊदी ने कर्ज़ा चुकता करने की माँग करने के बाद, पाकिस्तान ने चीन से नया कर्ज़ा लेकर सऊदी का कर्ज़ा चुकता किया था। इस बार भी वैसा किए बगैर पाकिस्तान के सामने विकल्प नहीं है, ऐसा दिख रहा है।

लेकिन पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के सचिव कामरान अली फजल ने, युएई अपने देश को कर्ज़ा चुकता करने के लिए अवधि बढ़ाकर देगा, ऐसा विश्वास ज़ाहिर किया है। पाकिस्तान और युएई ये मित्रदेश हैं और पाकिस्तान को अपने मित्रदेश से यकीनन ही यह सहायता मिलेगी, ऐसा दावा फझल ने किया है। वहीं, पाकिस्तान की यह हालत देखकर इस देश के पत्रकारों ने खेद ज़ाहिर किया है। किसी भी मोरचे पर पाकिस्तान संतोषजनक प्रदर्शन नहीं कर रहा। आर्थिक मोरचे पर तो पाकिस्तान पूरी तरह डूबा हुआ दिख रहा है। ऐसी स्थिति में युएई ने की कर्ज़े की माँग यह पाकिस्तान का अपमान है, ऐसा खेद पत्रकारों ने ज़ाहिर किया है।

भारतीय माध्यम युएई के कर्ज़े की खबर को चर्चा का विषय बनाकर, पाकिस्तान का मजाक उड़ा रहे हैं। दूसरे देशों से मिलने वाले कर्ज़े पर निर्भर पाकिस्तान, इस कर्ज़े का ब्याज चुकता करने की भी स्थिति में नहीं है। ऐसी दयनीय अवस्था में होते हुए पाकिस्तान को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी महत्व नहीं दे रहा है। कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान की सुनने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। क्योंकि पाकिस्तान हमेशा दूसरे देशों के सामने हाथ फैलाता है, ऐसी आलोचना पाकिस्तानी माध्यम कर रहे हैं। उसी समय, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से कर्ज़ा प्राप्त करने के लिए जानतोड़ कोशिश करनेवाली पाकिस्तानी सरकार को कठोर शर्तों का पालन करना पड़ेगा, ऐसी चिंता माध्यम व्यक्त कर रहे हैं। इस सारी असफलता के लिए प्रधानमंत्री इम्रान खान की नीतियां जिम्मेदार होने का आरोप विपक्षों द्वारा किया जा रहा है।

कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान का साथ नहीं दे रहे, इसलिए इम्रान खान की सरकार ने सऊदी अरब और युएई के विरोध में भूमिका अपनाई थी। साथ ही, तुर्की और मलेशिया का साथ प्राप्त करके इस्लामधर्मिय देशों का नया संगठन बनाने की तैयारी प्रधानमंत्री इम्रान खान ने की थी। उसके बाद सऊदी-युएई ने पाकिस्तान को उसकी जगह दिखा देने के फ़ैसले एक के बाद एक करना शुरू किया था। बार-बार कर्जा और इंधन के लिए हाथ फैलाने वाले पाकिस्तान की मजाल उन्हें चुनौती देने तक गई है, यह ध्यान में आने के बाद सऊदी और युएई ने, पाकिस्तान को दिया कर्जा चुकता करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाया था। इसके बाद पाकिस्तान की सरकार को हालातों का एहसास हुआ होकर, अपनी गलती सुधारने के लिए प्रधानमंत्री इम्रान खान जानतोड़ कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उसके लिए अब बहुत देर हो चुकी है, ऐसा पाकिस्तान के ही कुछ विशेषक बता रहे हैं।

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