तुर्की ने ग्रीस के साथ अमरीका को भी धमकाया

अंकारा – ‘ग्रीस दिवास्वप्न देखना छोड़ दे। तुर्की के खिलाफ प्रतिक्रिया देना और कार्रवाई करने का विचार भी ग्रीस ना करे। वरना ग्रीस को ठिकाने पर लानेवाला जोरदार प्रत्युत्तर तुर्की से प्राप्त होगा’, ऐसा गंभीर इशारा तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप तय्यीप एर्दोगन ने दिया। कुछ घंटे पहले ग्रीस के सैन्य ठिकाने का विस्तार करनेवाली अमरीका को भी तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने चेतावनी दी थी। ग्रीस में अमरिकी सेना की मौजूदगी पर एर्दोगन ने सवाल किए थे। इसी बीच, नाटो का सदस्य तुर्की ने नाटो के अन्य सदस्य देशों के विरोध में भूमिका अपना रहा है, यह पिछले पंद्रह दिनों से लगातार देखा जा रहा है।

पूरे विश्व का ध्यान रशिया-यूक्रेन युद्ध पर लगा है। इसका लाभ उठाकर तुर्की अपनी मंशा पूरी करने की कोशिश में होने का आरोप ग्रीस के प्रधानमंत्री ने हाल ही के दिनों में लगाया था। ग्रीस के कब्ज़े के द्वीपों पर मौजूद सेना हटाने की माँग कर रहा तुर्की आनेवाले समय में इन द्वीपों पर कब्ज़ा कर सकता है, यह ड़र ग्रीस को सता रहा है। सेना के जोर पर इन द्वीपों पर कब्ज़ा करना मुमकिन नहीं हुआ तो शरणार्थियों के झुंड़ ग्रीस के द्वीपों पर भेजने की तैयारी तुर्की ने की है। ग्रीस ने खुलेआम यह आरोप लगाया था।

लेकिन, तुर्की की उकसानेवाली हरकतों से हम नहीं ड़रते, ऐसा कहकर ग्रीस ने अपनी सेना को अलर्ट रहने के आदेश दिए थे। इसी दौरान अमरीका ने ग्रीस के साथ युद्धाभ्यास करके सैन्य ठिकाने का विस्तार करने की खबरें प्रसिद्ध हुई हैं। इससे बेचैन हुए तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने अमरीका और ग्रीस को धमकाया। ‘ग्रीस में अमरीका के फिलहाल ९ सैन्य ठिकाने हैं। यह तैनाती रशिया विरोधि होने का दावा अमरीका कर रही है। लेकिन, तुर्की का इस बात पर बिल्कुल विश्वास नहीं है’, इन शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने ग्रीस में मौजूद अमरिकी तैनाती पर आशंका जतायी।

तुर्की ‘एजियन समुद्र’ पर बना अपना दावा कभी नहीं छोड़ेगा, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने ड़टकर कहा। ‘इस समुद्री क्षेत्र पर तुर्की का अधिकार है। उसकी सुरक्षा के लिए तुर्की अपने अधिकारों का हर हाल में इस्तेमाल करेगा’, इन शब्दों में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने ग्रीस को धमकाया। साथ ही ग्रीस ने तुर्की के खिलाफ कार्रवाई करने का विचार किया तो फिर इस पर जोरदार प्रत्युत्तर प्राप्त होगा, यह इशारा भी राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने दिया।

ग्रीस और तुर्की, दोनों नाटो के सदस्य देश हैं। इसके बावजूद इन दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हैं। पिछले पांच दशकों में सीमा विवाद को लेकर ग्रीस और तुर्की के बीच तीन बार युद्ध शुरू होने की स्थिति बनी थी। साल १९९६ में एजिअन समुद्र में स्थित द्वीपों के अधिकार को लेकर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हुई थीं। भूमध्य समुद्र और एजिअन समुद्र के क्षेत्र में भारी मात्रा में खनिज भंड़ार हैं। इस समुद्री संपत्ति पर कब्ज़ा पाने के लिए ग्रीस और तुर्की के बीच तनाव निर्माण होने की बात कही जाती है।

इसी बीच, तुर्की और ग्रीस का विवाद काफी पुरना है। लेकिन, हाल ही के हफ्तों में तुर्की ने ग्रीस के साथ नाटो के अन्य सदस्य देशों पर लगातार तीव्र आलोचना करना शुरू किया। फ्रान्स, जर्मनी, नेदरलैण्ड नाटो के सदस्य देश आतंकवाद के समर्थक होने का आरोप तुर्की ने लगाया था। इसके अलावा यूक्रेन युद्ध में अमरीका की भूमिका पर भी तुर्की ने सवाल किए थे। इसके बाद नाटो में स्वीडन और फिनलैण्ड का समावेश होने पर आपत्ति जताकर तुर्की ने अमरीका और यूरोपिय महासंघ के निर्णय का विरोध किया था। इस वजह से ग्रीस के साथ नाटो के अन्य सदस्य देश भी तुर्की से नाराज़ हैं।

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