तालिबान के अब भी अल कायदा से ताल्लुकात हैं – संयुक्त राष्ट्रसंघ की रपट

संयुक्त राष्ट्रसंघ – तालिबान के अब भी अल कायदा के साथ संबंध जारी हैं। अफ़गानिस्तान में जैसे-जैसे में तालिबान की हुकूमत अपने पैर जमा रही है, वैसे-वैसे अल कायदा को इस देश में सुरक्षित ठिकाने प्राप्त हो रहे हैं। लेकिन, आतंकी संगठन ‘आयएस’ तालिबान को अफ़गानिस्तान में चुनौती दे रही है, ऐसी जानकारी साझा करनेवाली रपट संयुक्त राष्ट्रसंघ ने जारी की। अफ़गानिस्तान में नए-नए आश्रय प्राप्त करने के बावजूद अल कायदा २०२३ से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी हमले नहीं कर पाएगी, ऐसा दावा भी इस रपट में किया गया है। फिर भी अफ़गानिस्तान में गतिविधियाँ पड़ोसी देशों के लिए चिंता का मुद्दा बनने की बात भी इस रपट में कही गयी है।

राजधानी काबुल पर कब्ज़ा करके अफ़गानिस्तान की सत्ता हथियानेवाली तालिबान ने ऐलान भी किया था कि, हमारे देश में आतंकवाद को स्थान नहीं दिया जाएगा। साथ ही अफ़गानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल किसी अन्य देश के विरोध में नहीं होने देंगे, यह वचन तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समूदाय के समक्ष कहे थे। फिलहाल अफ़गानिस्तान पर पूरा नियंत्रण पाने के लिए तालिबान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी हुकूमत को स्वीकृति की कोशिश कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तसंस्था और अन्य देशों से सहायता पाकर  अफ़गानिस्तान की आर्थिक स्थिति संभालने के लिए तालिबान प्राथमिकता दे रही है, ऐसा इस रपट में कहा गया है।

इसके बावजूद तालिबान को अफ़गानिस्तान के सभी वांशिक गुटों को साथ किए बिना देश में सरकार चलाना मुमकिन नहीं होगा। इसी बीच तालिबान के विभिन्न गुट अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पहल कर रहे हैं, ऐसा कहकर इस रपट में तालिबान के हक्कानी नेटवर्क की जानकारी प्रदान की गयी है। यह तालिबान का सबसे प्रभावी गुट माना जाता है। इस गुट ने तालिबान की सरकार के अहम पदों पर अपने लोग नियुक्त किए हैं। अंदरुनि सुरक्षा, पासपोर्ट एवं राजधानी काबुल की सुरक्षा की बागड़ोर हक्कानी गुट के हाथों में है। इस पर वर्णित रपट ने ध्यान आकर्षित किया।

इसी हक्कानी गुट के अल कायदा के साथ अच्छे संबंध हैं। अल कायदा का वर्तमान प्रमुख नेता आयमन अल जवाहिरी के साथ हक्कानी नेटवर्क से संबंधों का स्पष्ट ज़िक्र इस रपट में किया गया है।

लेकिन, अल कायदा को तालिबान की सहायता मिले ना मिले, यह आतंकी संगठन साल २०२३ से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े आतंकी हमले करने की क्षमता प्राप्त नहीं कर सकेगा, ऐसा इस रपट ने स्पष्ट किया है। फिर भी अफ़गानिस्तान के आतंकियों की बढ़ती क्षमता की वजह से पड़ोसी देशों को खतरा है, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ की यह रपट कहती है। इस वजह से अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों की चिंता इस रपट से अधिक बढ़ेगी।

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