अमरिकी वायु सेना और ‘डार्पा’ ने किया ‘हायपरसोनिक मिसाइल’ का परीक्षण

वॉशिंग्टन – अमरीका की वायु सेना और रक्षा अनुसंधान संगठन (डार्पा) ने ‘हायपरसोनिक मिसाइल’ का सफल परीक्षण करने का ऐलान किया। यह हायपरसोनिक मिसाइल ‘हायपरसोनिक एअर-ब्रीदिंग वेपन कन्सेप्ट’ (एचएडब्ल्यूसी) वर्ग का है। विमान से दागी गई इस मिसाइल ने ‘मैक २’ से भी अधिक गति से यात्रा करने का दावा ‘डार्पा’ ने किया। अमरिकी रक्षा विभाग ने ‘एचएडब्ल्यूसी’ हायपरसोनिक मिसाइल का २०१३ के बाद किया हुआ यह पहला परीक्षण होने की बात कही जा रही है। बीते वर्ष ‘बी-५२ बॉम्बर’ से इस मिसाइल का परीक्षण असफल हुआ था।

‘डिफेन्स एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्टस्‌ एजन्सी’ ने सोमवार के दिन इस मिसाइल परीक्षण की जानकारी साझा करनेवाला निवेदन जारी किया था। इसके अनुसार ‘रेथॉन टेक्नॉलॉजी’ नामक कंपनी ने तैयार किए ‘हायपरसोनिक एअर ब्रीदिंग वेपन कन्सेप्ट’ (एचएडब्ल्यूसी) वर्ग के मिसाइल का परीक्षण किया गया। इसके लिए ‘नॉथ्रॉप ग्रुमन’ कंपनी के ‘स्क्रैमजेट इंजन’ का इस्तेमाल किया गया। ‘वेहिकल इंट्रिगेशन ऐण्ड रिलिज सिक्वेन्स’, ‘सेफ सेपरेशन फ्रॉम लाँच एअरक्राफ्ट’, ‘बूस्टर इग्निशन ऐण्ड बूस्ट’, ‘बूस्टर सेपरेशन ऐण्ड इंजन इग्निशन’ और क्रूज़ जैसे मुद्दों का परीक्षण इस मुहिम का उद्देश्‍य था, ऐसा ‘डार्पा’ ने कहा।

‘डार्पा’अमरिकी रक्षाबलों को प्रगत क्षमता की यंत्रणा प्रदान करना हमारा उद्देश्‍य है और इस परीक्षण से इस दिशा में एक कदम उठाया गया है, ऐसा ‘डार्पा’ के वरिष्ठ अधिकारी अँड्य्रू क्लॉडनर ने कहा। अमरिकी रक्षा विभाग फिलहाल सेना, नौसेना, वायु सेना के लिए अगल अलग तरह के १० से अधिक हायपरसोनिक मिसाइलों के प्रकल्प पर काम कर रहा है। बीते वर्ष सेना और नौसेना के लिए संयुक्त कोशिशों से विकसित किए जा रहें हायपरसोनिक यंत्रणा का सफल परीक्षण किया गया था। नवंबर २०२० में अमरीका ने ऑस्ट्रेलिया के साथ हायपर मिसाइल का संयुक्त निर्माण करने के लिए भी समझौता किया है।

अमरीका के अलावा रशिया और चीन ने हायपरसोनिक मिसाइलों के निर्माण में बढ़त पाई है। रशिया ने अपने रक्षाबलों में तीन हायपरसोनिक मिसाइल दाखिल किए हैं, ऐसा कहा जा रहा है। चीन ने भी हायपरसोनिक मिसाइलों का सफल परीक्षण किए हैं और इन मिसाइलों को रक्षाबलों में शामिल किया होने की बात मानी जा रही है। जापान, भारत, फ्रान्स और जर्मनी यह देश भी हायपरसोनिक मिसाइल का निर्माण करने की कोशिश में होने की बात कही जा रही हैं।

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