पश्चितम अफ्रीका के गिनी में लष्करी विद्रोह के बाद राष्ट्राध्यक्ष काँडे गिरफ्तार

कॉनाक्रि – पश्‍चिम अफ्रीका के खनिजों से भरे देश गिनी में हुए लष्करी विद्रोह के बाद राष्ट्राध्यक्ष अल्फा काँडे को गिरफ्तार करके बंदी बनाया गया है। सेना ने सरकार और संविधान को खारिज़ किया है और अगले कुछ हफ्तों में नए राष्ट्रीय सरकार का गठन करने का ऐलान भी किया है। गिनी के विद्रोह के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में एल्युमिनियम की कीमतों में उछाल आने की खबरें मिल रही हैं। बीते छह महीनों में अफ्रीकी महाद्विप में सेना द्वारा बगावत की यह तीसरी घटना है। इससे पहले चाड़ और माली में सेना ने विद्रोह करके सत्ता हथियाई है।

guinea-military-01रविवार सुबह के समय गिनी की सेना ने विद्रोह करके सत्ता हथियाई। इस बगावत का नेतृत्व ‘स्पेशल फोर्सस युनिट’ के प्रमुख कर्नल ममादी बोम्बोया ने करने की बात सामने आयी है। सरकार के भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ यह बगावत होने की जानकारी कर्नल बोम्बोया ने प्रदान की। विद्रोह के बाद राष्ट्राध्यक्ष काँडे को गिरफ्तार करके अज्ञात स्थान पर नज़रबंद किया गया है। सरकार और संविधान को भंग किया गया है और स्थानीय प्रांतों की ज़िम्मेदारी सेना अधिकारियों के हाथों में सौंपी गई है।

विद्रोह के बाद देश की सभी सीमाएं सील की गई हैं और सरकारी अधिकारी और नेताओं की विदेश यात्रा पर रोक लगाई गई है। देश की खनिज कंपनियों को उनका रोज़मर्रा का कारोबार जारी रखने का आवाहन भी किया गया है। देश के अन्य गुटों के साथ बातचीत शुरू की गई हैं और अगले कुछ हफ्तों में राष्ट्रीय सरकार गठित करने के संकेत भी दिए गए हैं। पूरे देश में कर्फ्यु लगाया गया है और पूर्व अधिकारी एवं नेताओं के खिलाफ प्रतिशोध की भावना से कार्रवाई ना करने का आश्‍वासन सेना अधिकारियों के गुट ने दिया है।

राष्ट्राध्यक्ष अल्फा काँडे ने बीते वर्ष लगातार तीसरी बार सत्ता प्राप्त करने में सफलता हासिल की थी। लेकिन, उनके खिलाफ भारी मात्रा में भ्रष्टाचार एवं मानव अधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगाए जा रहे हैं। उनके खिलाफ प्रदर्शन भी हुए थे। देश की जनता में काँडे के कारोबार के खिलाफ नाराज़गी होने की बात कही जा रही है। इस वजह से रविवार के दिन हुए विद्रोह के बाद राजधानी कॉनाक्रि समेत कुछ शहरों में नागरिक सेना के समर्थन में सड़कों पर उतरे हुए देखे गए।

guinea_alpha_konde-02गिनी में हुए लष्करी विद्रोह को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीव्र प्रतिक्रियाएँ दर्ज़ हुई हैं। अफ्रीकन महासंघ, ‘इकोवास’ नामक अफ्रिकी देशों का गुट, संयुक्त राष्ट्रसंगठन ने इस विद्रोह की कड़े शब्दों में निंदा की है। अमरीका और रशिया ने भी लष्करी विद्रोह पर नाराज़गी जताकर इससे शांति और स्थिरता के लिए खतरा निर्माण हुआ है, ऐसा बयान किया। रशिया ने काँडे को फिर से तुरंत राष्ट्राध्यक्ष नियुक्त करने की माँग की है। गिनी के रक्षाबल एवं खनिज क्षेत्र से रशिया के हित जुड़े होने की बात कही जा रही है। इस वजह से वर्णित विद्रोह का रशिया गंभीर संज्ञान लेती हुई सामने आ रही है।

गिनी खनिजों से भरा हुआ देश है और इसे बॉक्साईट उत्पादन के प्रमुख देश के तौर पर पहचाना जाता है। गिनी के लष्करी विद्रोह के बाद बॉक्साईट के निर्यात पर असर होने के संकेत विश्‍लेषकों ने दिए हैं। बॉक्साईट खनिज एल्युमिनियम के निर्माण का प्रमुख घटक है। गिनी के विद्रोह की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में एल्युमिनियम की कीमतों में उछाल आया है और यह कीमतें दशक के उच्चतम स्तर पर जा पहुँचने का समाचार मिला है। गिनी से बॉक्साईट आयात कर रहे देशों में चीन सबसे आगे है और यह भी कहा जा रहा है कि, इस विद्रोह से चीनी उत्पादकों को बड़ा नुकसान पहुँच सकता है।

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