उइगरवंशियों पर होनेवाले अत्याचारों के मुद्दे पर चीन के ‘विंटर ऑलंपिक्स’ का बहिष्कार करने की माँग – चीन द्वारा प्रतिबंधों की धमकी

लंडन/बीजिंग – उइगरवंशियों पर होने वाले अत्याचारों के मुद्दे पर, अगले साल चीन में हो रहे ‘विंटर ऑलंपिक्स’ को होने वाला विरोध धीरे-धीरे तीव्र होता चला जा रहा है। ब्रिटेन के सांसदों समेत दुनिया के १८० प्रमुख मानवाधिकार संगठनों ने इन ऑलंपिक्स का बहिष्कार करने की मांग की है। वहीं, कनाडा के सांसदों ने इस प्रतियोगिता को चीन से अन्य देशों में स्थानांतरित करने करने का प्रस्ताव रखा है। इस बढ़ते विरोध पर चीन से धमकी के सूर अलापे जाने लगे हैं और पाबंदी की मांग करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे, ऐसी चेतावनी दी गई है।

uighur-genocideअगले साल फरवरी महीने में चीन में ‘विंटर ऑलिंपिक्स’ का आयोजन किया गया है। राजधानी बीजिंग समेत हेबेई प्रांत के शहरों में प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाने वाला है। सन २०१५ में हुई बैठक में चीन के पास आयोजन की बागडोर सौंपी गई थी। लेकिन पिछले साल भर में हॉंगकॉंग, उइगरवंशिय, तिब्बत, साऊथ चायना सी में जारी हरकतें और कोरोनावायरस का हैंडलिंग इन जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के विरोध में असंतोष तीव्र हुआ है। इस कारण चीन के मित्र तथा साझेदार रहने वाले देशों से भी आक्रामक भूमिका अपनाई जा रही है।

ब्रिटन तथा कनाडा के सांसदों से सामने आने वाली मांग भी उसी का ही भाग दिख रहा है। ब्रिटेन के खिलाड़ी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के प्रचार युद्ध का भाग होने वाली सन २०२२ की ओलंपिक प्रतियोगिता में सहभागी ना हों, ऐसी मांग लिबरल डेमोक्रॅट पार्टी के नेता एड डेव्हि समेत लेबर पार्टी के सांसदों ने की है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने भी, इस मांग पर सकारात्मक भूमिका अपनाने के संकेत दिए हैं।

uighur genocide कनाडा में सभी पार्टियों का सहभाग होने वाले सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में भी, चीन के ‘विंटर ऑलिंपिक्स’ का बहिष्कार करने की मांग करके इस प्रतियोगिता को दूसरे देशों में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें चीन की सत्ताधारी हुकूमत द्वारा उइगरवंशियों पर किए जाने वाले अत्याचारों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। दुनिया के १८० मानवाधिकार संगठनों ने भी, चीन के विंटर ओलंपिक प्रतियोगिताओं का बहिष्कार करने की मांग की होकर, इस मांग का कनाडा के सांसदों ने भी समर्थन किया है। उइगरवंशियों का प्रमुख संगठन होने वाले ‘वर्ल्ड उघुर कॉंग्रेस’ ने तो, सन २०२२ मैं होने वाली प्रतियोगिताओं का उल्लेख ‘जिनोसाईड गेम्स’ करके जोरदार आलोचना की है।

आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले इस बढ़ते विरोध के बाद चीन से भी धमकियों के सूर अलापे जाने की शुरुआत हुई है। सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुकूमत का मुखपत्र होने वाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ में भी प्रतिबंधों की चेतावनी दी गई। ‘सन २०२२ में होने वाले बीजिंग विंटर गेम्स का बहिष्कार करने के आवाहन को कुछ खास प्रतिसाद मिला दिख नहीं रहा है। जो देश ऐसे आवाहन को प्रतिसाद देंगे, उन पर चीन द्वारा कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे’, इन शब्दों में ‘ग्लोबल टाईम्स’ के संपादक हु शिजिन ने धमकाया है।

uighur genocideचीन की इस धमकी का ब्रिटेन के सांसदों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। ‘अल्पसंख्यक समुदाय का वंशसंहार जारी रहते हुए भी चीन की हुकूमत द्वारा दी जाने वालीं ये चेतावनियाँ, यह खुलेआम मगरूरी होकर, ब्रिटन ऐसे दमनतंत्र के सामने नहीं झुकेगा’, ऐसा संसद सदस्य एड डेव्हि ने डटकर कहा। इसी बीच, ब्रिटेन में भी, उइगरवंशियों पर होनेवाले अत्याचारों की घटनाओं का उल्लेख अधिकृत रूप में ‘वंशसंहार’ ऐसा किया जायें, इसके लिए गतिविधियां शुरू हुई हैं। ब्रिटन के एक वरिष्ठ कानून विशेषज्ञ ने उइगरवंशियों पर के अत्याचारों के संदर्भ में स्वतंत्र रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि चीन में उइगरवंशियों के विरोध में किये गए अत्याचारों को ‘वंशसंहार’ करार देने जितने सारे आवश्यक सबूत उपलब्ध हैं। उसी समय, वंशसंहार के लिए चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ही जिम्मेदार होने का दोषारोपण भी किया गया है।

आने वाले समय में ब्रिटेन में यदि उइगरवंशियों के संदर्भ में कानूनी मामले सामने आये, तो उन पर फैसला करते समय इस रिपोर्ट का इस्तेमाल ‘लीगल ओपिनियन’ के तौर पर किया जा सकता है, ऐसे संकेत सूत्रों द्वारा दिए गए हैं।

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