शीत युद्ध के बाद जागतिक स्तर पर पहली बार हुई हथियारों की खरीद में बढोतरी – ‘सिप्री’ का अहवाल

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरस्टॉकहोम – अमरिका एवं सोवियत रशिया में शीतयुद्ध के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शस्त्र खरीदारी में बढ़ोतरी हुई है| पर इस समय अमरिका और चीन इन दोनों प्रतिस्पर्धी देशों के शस्त्र खरीदारी में बढ़ोतरी हुई है और इस अग्रणी पर रशिया छठवें स्थान पर गिरा है| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शस्त्र खरीदारी एवं रक्षा खर्च पर बारीकी से ध्यान देनेवाले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी उजागर की है|

वर्ष २०१७ की तुलना में २०१८ में दुनिया भर में शस्त्र की खरीदारी २.६ प्रतिशत से बढ़ी है| पिछले वर्ष १.८२ ट्रिलियन डॉलर्स इतने बड़े तादाद में शस्त्र की खरीदारी हुई थी| अकेले अमरिका ने शस्त्र खरीदारी पर ६४९ अरब डॉलर्स खर्च किए थे और जागतिक शस्त्र खरीदारी में अमरिका का ३६ प्रतिशत हिस्सा है| पिछले ७ वर्षों में पहली बार अमरिका के शस्त्र खरीदारी में बढ़ोतरी होने की बात सिप्री ने दर्ज की है| इसके लिए अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने देश के रक्षा तैयारी को दिया महत्व जिम्मेदार होने की बात सिप्री ने कही है| सीरिया एवं अफगानिस्तान में अमरिका के सैनिकों की संख्या में कटौती करके देश के सुरक्षा पर अधिक खर्च करने को राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने प्राथमिकता दी है|

अमरिका के बाद चीन ने २५० अरब डॉलर खर्च करके शस्त्रों की खरीद की है और चीन के रक्षा खर्च में भी ५ प्रतिशत बढ़ोतरी होने की बात सिप्री ने ध्यान में दिलाई है| १९९४ की तुलना में चीन का रक्षा खर्च १० गुना बढ़ने की बात भी सिप्री ने कही है और इसके लिए अमरिका के साथ चीन की शस्त्र स्पर्धा जिम्मेदार होने का दावा किया है| व्यापार युद्ध, साउथ चाइना सी एवं अन्य मुद्दों पर अमरिका के साथ निर्माण हुए तनाव की पृष्ठभूमि पर चीन के रक्षा खर्च में बढ़ोतरी शुरु हुई है|

अमरिका एवं चीन ने जागतिक रक्षा खर्च में से लगभग आधा खर्च अपनी रक्षा तैयारी पर किया है और उसके बाद सौदी अरब ने ६७.६ अरब डॉलर के शस्त्र खरीदे है| ईरान के साथ तनाव एवं येमन में शुरू संघर्ष की वजह से सौदी ने अपनी रक्षा तैयारी में बढ़ोतरी की है| तथा पाकिस्तान और चीन के साथ बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर पिछले वर्ष भारत ने भी अपने रक्षा खर्च में ३.१ प्रतिशत बढ़ोतरी करके ६६.५ अरब डॉलर्स शस्त्र खरीदारी पर खर्च किए हैं| तथा इस स्पर्धा में अधिक समय पर अग्रणी पर होनेवाला रशिया इस दौरान छठवे स्थान पर गिरा है और पिछले वर्ष रशिया ने हथियारों की खरीद के लिए ६१.४ अरब डॉलर्स खर्च किए हैं|

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