रिज़र्व्ह बैंक ने लगातार सातवीं बार ब्याज दरों में बदलाव नही किया – उद्योग जगत ने किया निर्णय का स्वागत

interest-rates-rbi-1नई दिल्ली – ऋणनीति का जायज़ा लेने के लिए ‘आरबीआय‘ की द्विमासिक बैठक का आयोजन हुआ। इस दौरान ‘आरबीआय’ ने लगातार सातवीं बार रेपो और रिव्हर्स रेट में किसीभी तरह से बदलाव ना करने का निर्णय किया। कोरोना काल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था की गति धीमी हुई थी। इसी दौर में अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए रिज़र्व्ह बैंक ने ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव ना करने का निर्णय किया था। शुक्रवार के दिन हुई बैठक में भी ‘आरबीआय’ ने ब्याज दरों में बदलाव नही किया। उद्योग जगत ‘आरबीआय’ के इस निर्णय का स्वागत किया हैं। व्यावसायिक और ग्राहकों के मन में अधिक विश्‍वास बढ़ेगा। त्यौहार के काल में माँग और बिक्री बढ़ेगी, यह विश्‍वास उद्यमी व्यक्त कर रहे हैं।

आरबीआय’ ने अपनी ऋणनीति में रेपो दर ४ प्रतिशत और रिव्हर्स रेपो दर ३.३५ प्रतिशत कायम रखा हैं। रेपो रेट यानी ‘आरबीआय’ बैंकों को जीस दर से कर्ज प्रदान करती हैं, वह दर। रिव्हर्स रेपो रेट यानी बैंकों द्वारा ‘आरबीआय’ में रखे जानेवाले रदम पर प्राप्त होनवाले ब्याज का दर। यह दोनों दर बाज़ार में कैश फ्लो को नियंत्रित करते हैं। रेपो रेट कम होने पर बैंक इसका लाभ ग्राहकों को प्रदान करते हैं और इस वजह से ग्राहकों के लिए गृह कर्ज, वाहन कर्ज एवं घरेलू सामान के कर्ज की मासिक किश्‍त का भार कम होता हैं। साथ ही रिव्हर्स रेपो कम होने की स्थिति बैंक अपने पैसें ‘आरबीआय’ में रखने से ज्यादा बाज़ार में उतारते हैं। इस वजह से कैश फ्लो बढ़ता हैं।

कोरोना की दूसरी लहर से संभाला जा रहा हैं और ऐसें में अर्थव्यवस्था को मौजूदा बाज़ार में कैश फ्लो बरकरार रखने की आवश्‍यकता हैं और आनेवाले त्यौहारों के दिनों को सामने रखें तो गृह निर्माण, वाहन खरीद को गति देने के लिए ब्याज दर कम रखने की ज़रूरत हैं, ऐसा विश्‍लेषक एवं उद्योग जगत का कहना हैं। ‘आरबीआय’ ने उम्मीद के अनुसार ब्याज दर में बदलाव ना करने से उद्योग जगत इस निर्णय का स्वागत कर रहा हैं। ‘आरबीआय’ ने रेपो दर वर्ष २०१९ से ढ़ाई प्रतिशत कम करने के बाद स्थिर रखा हैं।
‘आरबीआय’ की ऋणनीति समिती (एमपीसी) की बैठक में सार्वमत से ब्याज दरों में बदलाव ना करने का निर्णय किया गया। ‘देश की अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित करके यह निर्णय किया गया हैं। महंगाई के दर की बढ़ोतरी हुई हैं। महंगाई दर चार से छह प्रतिशत के बीच रहने के लिए कोशिश जारी हैं। फिलहाल अर्थव्यवस्था की गति अच्छी हैं और कोरोना की लहर से अर्थव्यवस्था संभलकर सामान्य होने के आसार दिखाई दे रहे हैं। टीकाकरण की वजह से अब काफी ठिकानों पर अर्थचक्र सामान्य हो रहा हैं। लेकिन, हमारा लक्ष्य माँग और आपूर्ति में अधिक सुधार करने का हैं। इसी नज़रिये से ब्याज दर में बदलाव ना करने का निर्णय किया गया हैं’, ऐसा आरबीआय के गव्हर्नर शक्तिकांत दास ने कहा हैं।

इसी बीच, ‘पीएचडी चेंबर्स ऑफ कॉमर्स ॲण्ड इंडस्ट्री’ (पीएचडीसीसीआय) के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने महंगाई दरों में बढ़ोतरी होने के दौरान ब्याज दर जैसे थे रखने का निर्णय ब्योपारी और ग्राहकों के बीच विश्‍वस बढ़ाएगा। साथ ही माँग बढ़ाने के लिए भी सहायता करेगा, यह कहा है। साथ ही ‘आरबीआय’ ने ब्याज दर में अब तक जो भी कटौती की थी, इसका पुरा लाभ बैंक ग्राहकों को प्रदान करें, यह आवाहन भी अग्रवाल ने इस दौरान किया। ‘द असोसिएटेड चेंबर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया’ (एसोचैम) ने भी इस निर्णय का स्वागत किया हैं और ‘आरबीआय’ ने अपनाई उतारता की नीति से अर्थव्यवस्था को लाभ प्राप्त होगा, यह विश्‍वास भी व्यक्त किया हैं।

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