लगातार आठवें महीने में ‘जीएसटी’ संग्रह एक लाख करोड़ से भी अधिक

‘जीएसटी’ संग्रहनई दिल्ली – कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के कई इलाकों में कर्फ्यू होने के बावजूद, मई महीने में एक लाख करोड़ रुपयों से अधिक ‘जीएसटी’ संग्रह हुआ है। साथ ही, बीते वर्ष के मई महीने की तुलना में मौजूदा वर्ष के मई महीने में ‘जीएसटी’ संग्रह में ६५ प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है। कोरोना संक्रमण का भारत के आर्थिक कारोबार पर असर हुआ है, फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था मज़बूत स्थिति में होने का बयान विशेषज्ञ लगातार कर रहे हैं। देश के बड़े शहरों में लॉकडाउन जैसें प्रतिबंध होने के बावजूद, एक लाख करोड़ रुपयों से भी अधिक ‘जीएसटी’ संग्रह होना यही दिखाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले दौर में भी तेज़ गति से प्रगति करती रहेगी, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

भारत में कोरोना की दूसरी लहर चोटी पर पहुँचने के बाद, अब धीरे धीरे कुछ हिस्सों में स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही, संक्रमितों की संख्या में भी बड़ी गिरावट हुई है। महीने पहले ३७ लाख तक पहुँची एक्टिव्ह संक्रमितों की संख्या कम होकर १५ लाख हुई है। शनिवार की सुबह तक के चौबीस घंटों में देश में कोरोना के १.२० लाख नए मामलें सामने आए। बीते ५८ दिनों में इन मामलों की यह सबसे कम संख्या है। अब देश के ३०० से अधिक ज़िलों में पॉझिटिव्ह रेट ५ प्रतिशत से कम हुआ है।

इस वजह से कुछ राज्यों ने अब नियम शिथिल करना शुरू किया है। महाराष्ट्र में भी शनिवार के दिन कुछ ज़िलों में नियम शिथिल करने का ऐलान किया गया। ७ जून से ५ चरणों में ये प्रतिबंध शिथिल किए जाएँगे और पॉझिटिव्ह रेट को आधार बनाकर, ज़िलों को प्रतिबंधों से सहूलियत दी जाएगी, यह ऐलान हुआ है।

अप्रैल और मई महीने में सभी बड़े राज्यों में एवं शहरों में कर्फ्यू जैसें प्रतिबंध लगाए गए थे। इसके बावजूद जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी हुई है, यह बात अर्थव्यवस्था के नज़रिये से ध्यान आकर्षित करनेवाली साबित होती है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है। लगातार आठ महीनों से ‘जीएसटी’ संग्रह एक लाख करोड़ रुपयों से भी अधिक हो रहा है। अप्रैल महीने में १.४१ लाख करोड़ रिकार्ड़ ‘जीएसटी’ संग्रह हुआ था। अप्रैल महीने की तुलना में मई महीने में जीएसटी संग्रह में कमी देखी गई है। लेकिन, फिर भी प्रतिबंध होने के बावजूद ‘जीएसटी’ संग्रह एक लाख करोड़ से भी अधिक होना, अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत समझे जा रहे हैं।

कोरोना की पहली लहर में लगाए गए प्रतिबंधों का अर्थव्यवस्था पर जितना असर हुआ था, उतना असर दूसरी लहर के दौरान नहीं होगा, यह बात आर्थिक विशेषज्ञ पहले से ही कह रहे थे। लेकिन, दूसरी लहर की वजह से अर्थव्यवस्था के विकास की गति थोड़ी कम हुई है। इसी वजह से ‘आरबीआय’ ने भी शुक्रवार के दिन, अर्थव्यवस्था का अनुमानित विकास दर कम करके, वह ९.५ प्रतिशत रहेगा, यह अनुमान व्यक्त किया था। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास दर विश्‍व में सबसे अधिक ही रहेगा, ऐसा आर्थिक विशेषज्ञ एवं पत मानांकन संस्थाओं का कहना है।

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