रशिया ईमानदारी से भारत को अत्याधुनिक तंत्रज्ञान प्रदान कर रहा है – रशिया के राजनीतिक अधिकारी का दावा

नई दिल्ली – ‘रशिया के लिए भारत यह निकटतम मित्र और सहयोगी देश है। युक्रेन के मुद्दे पर भारत ने अपनाई भूमिका का रशिया सम्मान करता है। भारत को अत्याधुनिक तंत्रज्ञान की आपूर्ति करने के मामले में रशिया ने हमेशा ही ईमानदारी की भूमिका अपनाई थी। इसके आगे भी दोनों देशों के बीच का सहयोग इसी प्रकार अबाधित रहेगा’, ऐसा विश्वास भारत स्थित रशियन दूतावास के व्यवस्थापक रोमन बाबुश्कीन ने ज़ाहिर किया।

कुछ ही घंटे पहले अमरीका और युरोपीय देशों ने युक्रेन के मसले पर रशिया पर प्रतिबंध घोषित किए हैं। इन प्रतिबंधों का असर भारत-रशिया सहयोग पर पड़ सकता है, ऐसा कुछ लोगों का कहना है। उसपर भारत में नियुक्त रशियन राजनीतिक अधिकारी से यह प्रतिक्रिया आई है।

रशिया यह भारत का पारंपरिक सहयोगी मित्र देश है। वहीं, पिछले कुछ सालों से अमरीका ने भी भारत के साथ सामरिक सहयोग स्थापित किया है। ऐसी परिस्थिति में अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भारत, युक्रेन के मसले पर अमरीका की भूमिका का समर्थन करें, ऐसी बायडेन प्रशासन को उम्मीद है।

अमरीका के विदेशमंत्री अँथनी ब्लिंकन ने इसके लिए भारत पर दबाव डालने की कोशिश भी की थी। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संगठन की बैठक में युक्रेन के मुद्दे पर भारत ने तटस्थ भूमिका अपनाई है। पिछले हफ्ते में राष्ट्र संगठन की बैठक में, रशिया विरोधी प्रस्ताव पर किसी के भी समर्थन में अथवा विरोध में मतदान न करते हुए भारत ने अनुपस्थित रहने का फ़ैसला किया था।

रशिया ने भारत की भूमिका का स्वागत किया था। अमरीका और युरोपीय देशों ने हालाँकि रशिया पर प्रतिबंध लगाए हैं, फिर भी उसका परिणाम भारत-रशिया सहयोग पर नहीं होगा, ऐसा विश्वास बाबुश्कीन ज़ाहिर कर रहे हैं। पिछले साल दिसंबर महीने में भारत और रशिया के बीच हुई ‘टू प्लस टू’ बैठक में तय किएनुसार दोनों देशों के बीच का सहयोग नई बुलंदी को छू लेगा, ऐसा बाबुश्कीन ने आगे कहा।

इसी बीच, अमरीका ने रशिया पर सख़्त आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की होकर, युरोपीय देश भी इस मोरचे पर अमरीका का साथ दे रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में रशिया के साथ सहयोग कायम रखते हुए, अमरीका तथा युरोपीय देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखने की कसरत भारत को करनी पड़ेगी। भारत ने इसकी तैयारी की होकर, किसी भी हालत में अपनी विदेश नीति का संतुलन ढलने नहीं देंगे, ऐसे स्पष्ट संकेत भारत द्वारा दिए जा रहे हैं।

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