‘आरबीआय’ द्वारा ब्याजदर में बड़ी कटौती

मुंबई – लॉकडाऊन के अर्थव्यवस्था पर होनेवाले परिणामों को मद्देनज़र रखते हुए रिझर्व्ह बँक ने शुक्रवार को बड़ीं घोषणाएँ कीं। रेपो रेट में ०. ७५ प्रतिशत की, तो रिव्हर्स रेपो रेट में ०.९० प्रतिशत की कटौती की। इससे होम और कार लोन की किश्त कम होनेवाली होकर ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही, लॉकडाऊन के कारण निर्माण हुए हालातों पर ग़ौर करके, ग्राहकों के लोन की तीन महीनों की किश्तें स्थगित करने का मशवरा ‘आरबीआय’ ने बँकों को दिया है। ‘आरबीआय’ की इन घोषणाओं का स्वागत किया जा रहा होकर, इससे मार्केट में ३ लाख ७४ हज़ार करोड़ रुपयों की नकदी उपलब्ध होगी।

कोरोनावायरस का फैलाव रोकने के लिए सरकार द्वारा जारी किये गए लॉकडाऊन तथा अन्य उपायों का अर्थव्यवस्था पर विपरित परिणाम हो रहा है। इस पार्श्वभूमि पर ‘आरबीआय’, ब्याजदर में कटौती कर आम ग्राहक, उद्योगक्षेत्र तथा मार्केट को राहत दिला दें, ऐसी माँग हो रही थी। साथ ही, ‘आरबीआय’ बँकों को तीन महीनों के लिए कर्ज के ईएमआय स्थगित करने के निर्देश दें, ऐसी भी माँग की जा रही थी।

शुक्रवार को इन माँगों का प्रतिबिंब ‘आरबीआय’ ने ने लिये हुए निर्णय में दिखायी दिया। लॉकडाऊन की पार्श्वभूमि पर ‘आरबीआय’ की द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा आढावा (बाई-मन्थली मॉनेटरी पॉलिसी) बैठक समय से कुछ दिन पहले ही बुलायी गयी। जैसा कि उम्मीद की जा रही थी, इस बैठक के बाद ‘आरबीआय’ ने बड़े निर्णय घोषित किए। ‘आरबीआय’ ने रेपो रेट में ०.७५ प्रतिशत की कटौती की; वहीं, रिव्हर्स रेपो रेट को ०.९० प्रतिशत से घटाया। रेपो रेट यानी बँकों को आरबीआय की ओर से दिये जानेवाले कर्ज के ब्याजदर। इसी कर्ज में से बँक ग्राहकों को कर्ज उपलब्ध करा देते हैं। वहीं, रिव्हर्स रेपो यानी बँकों ने ‘आरबीआय’ के पास रखे डिपॉज़िट्स् पर उन्हें मिलनेवाले ब्याज का रेट। शुक्रवार को ‘आरबीआय’ ने की कटौती के कारण रेपो रेट ५.१५ प्रतिशत से ४.४ प्रतिशत पर आया और रिव्हर्स रेपो रेट ४.९० प्रतिशत से ४ प्रतिशत तक नीचे आया।

बँक्स् ब्याजदर कटौती का फ़ायदा जल्द ही ग्राहकों को देंगे, ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है। बँकों ने ब्याजदर कटौती घोषित की, तो होम तथा कार लोन्स् सस्ते हो जायेंगे।

‘आरबीआय’ ने सीआरआर रेट भी एक प्रतिशत से घटाये हैं। बँकों को अपने पास होनेवाले डिपॉज़िट्स् में से कुछ रक़म नक़द रूप में रखनी पड़ती है। उसे सीआरआर रेट कहा जाता है। यह रेट चार प्रतिशत से तीन प्रतिशत पर लाया जाने के कारण मार्केट में १ लाख ३७ हज़ार करोड़ की नक़दी (लिक्विडिटी) उपलब्ध होगी। साथ ही, ‘आरबीआय‘ ने एसएलआर रेट भी तीन प्रतिशत से दो प्रतिशत तक नीचे लाये हैं। इससे देशभर के बँकों को १.३७ लाख करोड़ रुपये इस्तेमाल (लिक्विडिटी) उपलब्ध होंगे। ‘आरबीआय’ के इस निर्णय से मार्केट में नक़दी (लिक्विडिटी) बढ़ेगी। वित्तीय मार्केट में अधिक लिक्विडिटी आने का फ़ायदा अर्थव्यवस्था को होगा।

‘आरबीआय’ ने कर्जदारों को किश्तें भरने के लिए तीन महीनों की अतितिक्त अवधि देने की सहूलियत भी बँकों को दी। वाणिज्य बँक, सहकारी बँक, बिगर बँकिंग वित्त संस्था (एनबीएफसी), ग्रामीण बँका यह सुविधा कर्जदारों को उपलब्ध करा दे सकेंगे। लेकिन इसके लिए कर्जदारों के रिपेमेंट की कालावधि की पुनर्रचना बँकों को करनी पड़ेगी, ऐसा ‘आरबीआय’ ने स्पष्ट किया है। बँकों ने इसपर अमल करने पर ग्राहकों को ठेंठ फ़ायदा मिलेगा, ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है। ‘आरबीआय’ के इस निर्णय का उद्योग जगत द्वारा और आम ग्राहकों द्वारा स्वागत हो रहा है।

इसी बीच, ‘आरबीआय’ गव्हर्नर शक्तिकांत दास ने, कोरोनावायरस की वजह से दुनिया बहुत बड़ी मंदी (रिसेशन) की चपेट में आयेगी, ऐसा डर ज़ाहिर किया है। इस वायरस के कारण दुनियाभर की आर्थिक गतिविधियाँ थमीं होकर, दुनिया का बड़ा हिस्सा मंदी (रिसेशन) के साये में आने की चेतावनी गव्हर्नर शक्तिकांत दास ने दी।

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