अमृत काल में देश पंच प्रण संकल्पों पर ध्यान केंद्रित करें

नई दिल्ली – स्वतंत्रता के अमृतमहोत्सव के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने अगले २५ सालों के लिए ‘पंचप्राण संकल्प’ रखा है। ‘इसके आगे देश को अपने सामने भव्य संकल्प रखने होंगे। गुलामी का छोटासा अंश भी अपने भीतर बचने नहीं देना। हमें प्राप्त हुई गौरवशाली विरासत पर गर्व महसूस करना। एकजूट और एकता के लिए कोशिश करना। साथ ही, नागरिकों के कर्तव्य का ध्यान रखना, इन पांच संकल्पों का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से किए अपने भाषण से किया।

देश स्वतंत्रा का अमृतमहोत्सव मना रहा है और इस बीच स्वतंत्रता के लिए योगदान देनेवाले नेताओं का प्रधानमंत्री ने बड़ी गौरवता से ज़िक्र किया। साथ ही, हमने जो भी आजतक प्राप्त किया है, उसीसे संतुष्ट होकर नहीं चलेगा, इसका एहसास भी प्रधानमंत्री ने कराया। ‘आज हम देश के स्वतंत्रता के अमृतकाल में प्रवेश कर रहे हैं। अगले २५ साल हमारे देश के लिए काफी अहम होंगे। देश उस समय आज़ादी का शतक मनाएगा। उस समय भारत को विकसित देश बनाने का ध्येय सबने अभी से रखना होगा। इसके लिए पंचप्राण संकल्पना पर हमारी शक्ति और सामर्थ्य केंद्रित करना होगा’, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा।

इसके आगे देश को अपने सामने बड़े संकल्प रखने होंगे। विकसित भारत के निर्माण के अलावा दूसरा कुछ भी हमारें सामने नहीं होना चाहिये। संकल्प बड़ा यानी पुरुषार्थ भी बड़ा, उसके लिए ज़रूरी शक्ति भी बड़ी, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने यह आवाहन किया कि भारत ने अपने सामने भव्य संकल्प ही रखने होंगे। साथ ही, पिछले कुछ सालों में देश ने विश्‍व को चौकानेवाला प्रदर्शन करके यह दिखाया है कि हम असाधारण क्षमता रखते हैं और कोरोना की महामारी के दौरान भारत ने काफी कम समय में कोरोना के २०० करोड़ टीके प्रदान करने का रिकार्ड़ क़ायम किया, इस मुद्दे पर भी प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

गुलामी का अंश भी हमारें बीच बचना नहीं चाहिये, हमारीं आदतें और सोच में इसका साया नहीं रहना चाहिये, इसका ध्यान रखने की सूचना प्रधानमंत्री ने दूसरें संकल्प में की। तीसरा संकल्प घोषित करते हुए प्रधानमंत्री यह कहा कि हमें प्राप्त हुई गौरवाशाली विरासत पर हमें गर्व होना ही चाहिये। इसी विरासत ने भारत को स्वर्णकाल दिखाया था। भारत की विरासत, समय के अनुसार उचित बदलाव करने के साथ ही नई बातें स्वीकारने की क्षमता रखती है, इसपर हमें गर्व होना ही चाहिए।

१३० करोड़ देशवासियों में एकता और एकजूट रहें, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ ही हमारा ध्येय हो, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने चौथें संकल्प की जानकारी प्रदान की। इसके अलावा नागरिकों के कर्तव्यों का भान रखना, यह पंचप्राण संकल्प का पांचवा संकल्प है, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। नागरिकों के इस कर्तव्य के एहसास से प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को भी अलग नहीं रखा जा सकता, ऐसा इशारा प्रधानमंत्री ने दिया है।

पूरा विश्‍व भारत की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहा है। अपनी समस्याओं का समाधान भारत से प्राप्त होगा, यह विश्‍वास विश्‍व महसूस कर रहा है। विश्‍व की भारत के प्रति रहनेवाली सोच में हुआ यह बदलाव, पिछले ७५ सालों में भारत ने की हुई प्रगति से हुआ है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा।

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