भारत और युरोपिय महासंघ की सामरिक चर्चा संपन्न

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युरोपीय महासंघ के नेताओं के साथ वर्चुअल चर्चा संपन्न हुई। भारत और महासंघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते की चर्चा पर हुआ एकमत, यह इस चर्चा की सबसे बड़ा बड़ी विशेषता मानी जाती है। इसके द्वारा भारत और युरोपीय महासंघ के सहयोग का नया अध्याय शुरू हुआ है, ऐसा युरोपीय कौन्सिल के अध्यक्ष चार्ल्स मायकेल ने कहा है। वहीं, कोरोना की महामारी की दूसरी लहर में युरोपीय देशों ने भारत से किये सहयोग के लिए भारत के प्रधानमंत्री ने इस समय शुक्रिया अदा किया।

india-eu-strategic-talksयुरोपिय महासंघ का विद्यमान अध्यक्षपद पुर्तगाल के पास है। इस कारण पुर्तगाल ने इस वर्चुअल परिषद का आयोजन किया। इस परिषद के लिए प्रधानमंत्री मोदी पुर्तगाल का दौरा करनेवाले थे। लेकिन कोरोना के कारण उन्हें यह दौरा रद्द करना पड़ा। लेकिन इस वर्चुअल बैठक में युरोपीय महासंघ के भारत के साथ सहयोग का नया अध्याय शुरू होने का विश्वास युरोपियन कौन्सिल के अध्यक्ष चार्ल्स मायकेल ने जाहिर किया। युरोपीय महासंघ के सदस्य होनेवाले २७ देशों के प्रमुख नेता इस वर्चुअल परिषद में सहभागी हुए थे।

भारत और महासंघ के बीच व्यापार, निवेश और कनेक्टिव्हिटी यानी बुनियादी सुविधाओं की विभिन्न परियोजनाओं के लिए सहयोग व्यापक करने पर इस परिषद में सहमति हुई। भारत और युरोपीय महासंघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू करने का, सामरिक दृष्टि से बहुत ही अहम फैसला इस समय किया गया। भारतीय उद्योग क्षेत्र ने इसका स्वागत किया है उत्सव। इनके साथ निवेशविषयक समझौता स्थगित करने के बाद महासंघ ने भारत के संदर्भ में किया यह फैसला, यही संकेत दे रहा है कि महासंघ की नीतियों में बदलाव हुए हैं।

आनेवाले समय में भारत का महासंघ के साथ सहयोग बढ़ेगा, साथ ही युरोपीय महासंघ के सदस्य देशों के साथ भारत का व्यापार बड़े पैमाने पर बढ़ेगा, ऐसा दिखाई देने लगा है। मुख्य बात यानी युरोपीय महासंघ का भारत में निवेश इससे भारी मात्रा में बढ़ेगा। कोरोना की महामारी आने के बाद, ‘दुनिया की फैक्ट्री’ माने जानेवाले चीन पर उत्पादन के लिए निर्भर नहीं रह सकते, इसका एहसास युरोपीय देशों को भी हुआ है। इसी कारण जागतिक सप्लाई चैन में भारत को अहम स्थान देने की तैयारी युरोप के देशों द्वारा भी की जाने के संकेत मिल रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की युरोपीय महासंघ के साथ हुई चर्चा से यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई। इस समय बात करते हुए प्रधानमंत्री ने, कोरोना की महामारी के समय युरोपीय देशों ने भारत से किए सहयोग का स्वागत किया। साथ ही, कोरोना के टीके को बुद्धिसंपदा कानून के दायरे से हटाने के लिए भारत ने शुरू की मुहिम में सहभाग लें, ऐसा युरोपीय देशों को आवाहन किया। युरोपीय देशों में इस मुद्दे पर मतभेद निर्माण हुए हैं। इस कारण महासंघ ने इसपर अभी भी स्पष्ट भूमिका नहीं अपनाई है। लेकिन आनेवाले समय में भारत द्वारा की जा रही इस माँग को नज़रअंदाज करना युरोपीय महासंघ के लिए भी मुश्किल बन सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.