प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और अमरीका की अनिवार्यता

यूक्रेन पर हमला करने वाली रशिया और रशिया का साथ कर रहा चीन यह दोनों देश ‘जी ७’ के लक्ष्य होंगे, ऐसा ऐलान किया गया था। इस वजह से रशिया के मित्र देश भारत के लिए जापान में आयोजित ‘जी ७’ बैठक आसान नहीं होगी, ऐसे दावे कुछ लोगों ने किए थे। अमरीका और यूरोपिय देश रशिया से काफी बड़ी मात्रा में ईंधन खरीद रहे भारत की खुली आलोचना भी कर रहे थे। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी हिरोशिमा में आयोजित ‘जी ७’ बैठक में शामिल हुए थे।  

प्रधानमंत्री मोदीइस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी से उनके पीछे से आए अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष गले मिले। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन इस तरह से प्रधानमंत्री से मिलेंगे यह बात भारत का सामर्थ्य दर्शाता है। इस वजह से पाकिस्तान कम से कम अब भारत के सामर्थ्य को देखकर नरम भूमिका अपनाए। इससे पाकिस्तान को ही लाभ प्राप्त होगा, ऐसा इस देश के कुछ विश्लेषकों ने कहा था। इसके बाद राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ‘क्वाड’ की बैठक में किए बयान से भारत के प्रधानमंत्री सिर्फ अपने देश में ही नहीं, बल्कि अमरीका में भी काफी लोकप्रिय होने की बात स्पष्ट हुई।

प्रधानमंत्री मोदी जून महीने में अमरीका के दौरे पर जा रहे हैं। तब ‘उनसे मुलाकात करने का अवसर प्राप्त हो, इसके लिए कई लोग हमसे ‘पासेस’ मांग रहे हैं। इनमें से कई लोगों ने तो पिछले कई सालों से हमसे संपर्क नहीं किया था, ऐसा दावा राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने किया। प्रधानमंत्री मोदी से बोलते समय यह जानकारी साझा करके राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने बरी सहजता से यह कहा कि, हमें आपका हस्ताक्षर लेना होगा। हमारा यह कहना मज़ाक ना समझे, सच में अमरीका में आप हमसे भी अधिक लोकप्रिय हैं’, यह दावा भी राष्ट्राध्यक्ष ने उस अवसर पर किया था। इसकी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री अल्बानीज ने भी पुष्टि की। क्यों कि, प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत करने के लिए सिड़नी का २० हज़ार आसन क्षमता का सभागृह भी कम होने की गवाही अल्बानीज ने इस दौरान दी।

प्रधानमंत्री मोदी के बड़े अहम अमरीका दौरे की तैयारी शुरू होने के संकेत राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की सराहनी से प्राप्त हो रहे हैं। इसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के साथ ही बायडेन प्रशासन की आवश्यकता भी इससे दुनिया के सामने आयी है। अमरीका की अंदरुनि राजनीति का असर बायडेन प्रशासन पर हुआ है। अमरीका ने राष्ट्रीय कर्ज की मर्यादा पार की है। यह कर्ज मर्यादा ‘डेब्‌‍ लिमिट’ अमरिकी संसद ने बढ़ाई नहीं तो अमरीका दिवालियां देश बन जाएगा। अमरिकी संसद के कनिष्ठ सभागृह में विपक्ष रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत हैं। अनुत्पादक और फिजूल योजनाओं पर बायडेन प्रशासन कर रहे खर्च को रोके बिना ‘डेब लिमिट’ बढ़ाकर नहीं देंगे, ऐसा रिपब्लिकन पार्टी ने घोषित किया है।

इस समस्या से परेशान बायडेन प्रशासन ने इसे परास्त किया तो भी कुछ समय बाद इस प्रशासन को भयंकर आर्थिक संकट का मुकाबला करना ही होगा। अमरीका के कई बैंक दिवालिया होने की दहलीज पर हैं। अर्थव्यवस्था पर मंदी का साया होने की स्थिति में अमरीका आधार देने की क्षमता का भारत ही एक देश बन सकता है। इसका अहसास अमरीका को हुआ है। क्यों कि, आने वाली आर्थिक मंदी का सफलता से मुकाबला करनेवाला, बल्कि इस मंदी का अधिक लाभ प्राप्त करने वाला भारत की एक मात्र देश होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश, विश्व बैंक ने यह अनुमान पहले ही दर्ज़ किया है। दुनियाभर के आर्थिक विशेषज्ञों की इस मुद्दे पर सहमति बनी है।

कुछ दिन पहले भारत की एअर इंडिया कंपनी ने अमरिकी बोइंग कंपनी से ४७० यात्री विमान खरीदने के लिए समझौता किया था। इस वजह से अमरीका में दस लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। यह एक ही मुद्दा भारत की अहमियत स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त हैं। इसके अलावा अनिश्चितता और अस्थिरता के दौर में भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता विश्व के लिए सहायक साबित होगी, ऐसा बयान प्रमुख विश्लेषक कर रहे हैं। भारत में नियुक्त अमरीका के राजदूत एरिक ग्रासिटी ने इस मुद्दे पर किया बयान ध्यान आकर्षित कर रहा हैं। भारत का नेतृत्व कुशल हाथों में सुरक्षित हैं, यह दावा अमरिकी राजदूत ने किया है।

प्रधानमंत्री मोदी की अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने की हुई सराहना की छबि अमरिकी राजदूत के इस बयान में दिखाई दी है। यानी आगे के दौर में अमरीका को भारत से काफी बड़ी उम्मीदें हैं और महाशक्ति अमरीका अब भारत को यानी भारत के नेतृत्व को बड़ी उम्मीद से देख रही हैं, यह भी इस अवसर पर स्पष्ट हुआ है। हिरोशिमा में आयोजित ‘जी ७’ की बैठक का यह संदेश पूरे विश्व को प्राप्त हुआ है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published.