जम्मू-कश्मीर की जनता को शांति चाहिए : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

भाब्रा/नई दिल्ली, दि. ९ (पीटीआय) – ‘कश्मीर में जिन निष्पाप युवकों के हाथ में लैपटॉप, किताबें और क्रिकेट की बैट होनी चाहिए थी, उनके हाथों में पत्थर दिए जा रहे हैं| यह देखकर मन में तीव्र वेदना होती है| कश्मीर दुनियाभर में ‘नंदनवन’ के नाम से जाना जाता है| इस नंदनवन में शांति और भाईचारा क़ायम रखने के लिए कश्मीर की जनता सहायता करें’ ऐसा भावपूर्ण आवाहन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया| भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने दिये हुए मानवतावाद, लोकतंत्र और ‘कश्मिरीयत’ के दायरे में रहकर चर्चा करने की सरकार की तैयारी है, ऐसा प्रधानमंत्री ने घोषित किया|.

Prime Minister modiसोमवार को जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने, राजधानी नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और रक्षामंत्री के साथ हुई बैठक में, ‘जम्मू-कश्मीर की जनता हमारी है और इस जनता का दिल जीतने का अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने हैं’ ऐसा आवाहन किया था| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, मध्य प्रदेश के भाब्रा में हुए एक कार्यक्रम में यही धागा पकड़ते हुए, ‘कश्मीर की आम जनता को शांति चाहिए और इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार सर्वोत्तम कोशिश कर रही हैं’ ऐसा आश्‍वस्त किया| इसके लिए भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी ने तैयार किये हुए दायरे में रहकर संवाद शुरू करने की तैयारी दर्शायी|

‘अटलबिहारी बाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे, उस समय उन्होने इन्सानियत, जमुरियत और कश्मिरियत की राह का स्वीकार किया था| हम भी इसी राह पर चल रहे हैं| चंद्रशेखर आझाद जैसे स्वतंत्रतासेनानी की जन्मभूमि से मैं कश्मीर के मेरे भाई-बहनों को यक़ीन दिलाता हूँ कि स्वतंत्रतासेनानियों ने, भारत के अन्य राज्यों की तरह कश्मीर को भी सामर्थ्य दिया है| हर एक भारतवासी के पास जो आझादी है, वही कश्मीरी जनता के पास भी है’, इन शब्दों में प्रधानमंत्री ने, कश्मीर देश के अन्य इलाकों जैसा ही है, यह बात जतायी|

कश्मीर में मानवतावाद और कश्मिरियत को हानी नहीं पहुँचने देगें, ऐसा कहते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘लोकतंत्र और चर्चा के लिए अभी भी अवसर है, ऐसा दावा किया| कश्मीर के कुछ असंतुष्ट गुट राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं, इसपर प्रधानमंत्री ने सख्त नारा़ज़गी जतायी| राजनीति करते समय, कश्मीर के आम युवकों का क्या होगा, इस बात को क्या ध्यान में रखा है, ऐसा सवाल प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा|

पिछले कुछ महीनों से, कश्मीर मसले का हल ढूँढ़ने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चर्चा की नीति अपनानी चाहिए, ऐसा आवाहन प्रमुख राजनीतिक दल तथा विशेषज्ञ कर रहे हैं| इस प्रकार के राजनीतिक प्रयास हुए, तो ही कश्मीर मसले का हल निकाला जा सकता है, ऐसा विश्‍वास कुछ बुद्धिवादियों ने व्यक्त किया था| ‘भारत सरकार ने, केवल पाकिस्तान का हस्तक्षेप और न्याय और सुव्यवस्था का प्रश्‍न इनपर ऊँगली उठाते हुए जम्मू-कश्मीर की ओर देखना नहीं चाहिए’ ऐसा आवाहन राज्य के नेताओं ने किया था| प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के बारे में किये हुए विधानों पर, इस राज्य के विरोधी दल ‘नैशनल कॉन्फरन्स’ के नेता और भूतपूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूख अब्दुल्लाह ने प्रतिक्रिया दर्ज की| जम्मू-कश्मीर की मूलभूत समस्या को सुलझाने के प्रयास कीजिए, ऐसी सलाह अब्दुल्लाह ने प्रधानमंत्री मोदी को दी है|
पाकिस्तान गिनेचुने अलगाववादी नेताओं का इस्तेमाल करते हुए, बेरोजगार युवाओं को बहकाकर पथराव जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहा है, यह बात कई बार सामने आयीं है| पथराव करनेवाले युवाओं को प्रति दिन पाँचसौ रुपया दिया जाता हैं, यह जानकारी पकड़े गए युवाओं ने दी थी| जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने इस बात की दखल लेते हुए, अपने राज्य में कुछ लोग हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं और इसके पीछे बहुत बड़ी साज़िश है, ऐसा आरोप किया था|

जम्मू-कश्मीर की स्वतंत्रता की माँग करनेवाले अलगाववादी नेता, अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देते हैं| इनके बच्चें यहाँ के प्रदर्शन में और आतंकवादी साज़िशों में शामिल नहीं होते| लेकिन ये अलगाववादी नेता यहाँ के युवाओं के सिर भड़काकर, उन्हीं के द्वारा हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं, इस बात पर जम्मू-कश्मीर की जनता ने ग़ौर करना चाहिए, ऐसा आवाहन ज़िम्मेदार नेता और मुत्सद्दियों द्वारा किया जा रहा हैं|

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