विमानवाहक युद्धपोतों के लिए भारतीय नौसेना ५७ लडाकू विमान ख़रीदने की तैयारी में

नई दिल्ली, दि. २७ : भारतीय नौसेना ने विमानवाहक युद्धपोत के लिए नये ५७ लड़ाक़ू विमानों को ख़रीदने का फ़ैसला किया है| इसके लिए कंपनियों की ओर से ‘रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन’ (आरएफआय) मँगाये गये हैं, यह जानकारी भारतीय नौसेना के सूत्रो के हवालो से प्रकाशित हुई| आनेवाले कुछ महीनों में स्वदेशी निर्माण का विमानवाहक युद्धपोत ‘आयएनएस विक्रांत’ भारतीय नौसेना के ताफे में शामिल होगा| इसके लिए नौसेना को आधुनिक लडाकू विमानों की जरूरत है| इस विमान के लिए ‘आरएफआय’ की माँग करते हुए नौसेना ने इस संदर्भ में गतिविधियाँ तेज़ की हैं, यह स्पष्ट होता है|

विमानवाहकभारतीय नौसेना के काफिले में अब दो विमानवाहक युद्धपोत हैं| इनमें ‘आयएनएस विक्रमादित्य’ यह विशाल युद्धपोत तीन साल पहले रशिया से लिया गया था| वहीं, ‘आयएनएस विराट’ जल्द ही सेवानिवृत्त हो रहा है| पूर्णत: स्वदेशी निर्माण का ‘आयएनएस विक्रांत’ यह विमानवाहक युद्धपोत जून महीने में नौसेना के काफिले में शामिल होने की संभावना है| तीन साल पहले इस विमानवाहक युद्धपोत का जलावतरण हुआ था और इस युद्धपोत के सभी परीक्षण पूरे होने को आये हैं| इसीके साथ, भारत ‘विक्रांत’ श्रेणी के ‘आयएनएस विशाल’ इस एक और आधुनिक विमानवाहक युद्धपोत का निर्माण कर रहा है|

भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, जल्द ही भारतीय नौसेना के काफ़िले में शामिल होनेवाले ‘आयएनएस विक्रांत’ और तीन साल पहले नौसेना के काफ़िले में शामील हुए ‘आयएनएस विक्रमादित्य’ इन युद्धपोतों के लिए आधुनिक विमानों की ज़रूरत है| भारत की ‘मेक इन इंडिया’ की नीति को देखते हुए, भारत में उत्पादन करने की तैय्यारी दर्शानेवालीं विमाननिर्माण कंपनियों को प्राथमिकता मिल सकती है, ऐसा भरोसा जताया जाता है|

नौसेना द्वारा ख़रीदे जानेवाले ५७ विमानों की दौड़ में, अमरीका की ‘बोईंग’ कंपनी के ‘एफ/ए-१८ई/एफ सुपर हॉर्नेट’, फ्रान्स की ‘डॅसॉल्ट’ कंपनी के ‘रफायल एम’ और रशिया के ‘मिग २९-के’ ये विमान शामिल हैं| इनमें से ‘मिग २९-के’ इस विमान के दो स्क्वॉड्रन भारतीय नौसेना के काफ़िले में पहले से ही शामिल थे| साथ ही, भारतीय नौसेना की ज़रूरत को देखते हुए, स्वीडन की ‘साब’ कंपनी के ‘सी ग्रीपेन’ विमान भी इस रेस में शामिल होने की संभावना है|

इन विमानों में, लाँग-रेंज तथा मीडियम-रेन्ज के, हवा से हवा में हमला चढ़ा सकनेवाले प्रक्षेपास्त्र तैनात करने की क्षमता चाहिए| साथ ही, शॉर्ट-रेंज के जहाज-विरोधक प्रक्षेपास्त्र भी तैनात किये जा सकने चाहिए, ऐसी नौसेना की माँग है| साथ ही, ‘स्टोबार’ (शॉर्ट टेक ऑफ अरेस्टेड रिकव्हरी) तथा ‘कॅटोबार’ (कॅटापूल्ट टेक ऑफ) ये दोनों क्षमताएँ इन विमानों में रहनी चाहिए, ऐसी भी नौसेना की माँग है, ऐसी ख़बर है|

भारत ने विकसित किया हल्के वज़न का ‘एमके-१ तेजस’ यह विमान भी हालाँकि रेस में था, मग़र कुछ ही दिन पहले, भारत के नौसेना प्रमुख ऍडमिरल सुनिल लान्बा ने, ‘तेजस’ उसके वज़न के कारण भारतीय नौसेना के लिए समुचित नहीं है, यह बयान दिया था| इसलिए इन विमानों के बारे में भारतीय नौसेना द्वारा विचार किया जायेगा या नहीं, इसपर भी सन्देह उपस्थित की जाती है|

लेकिन लड़ाकू विमानों की ख़रीदारी का विचार करते हुए ‘मेक इन इंडिया’ नीति महत्त्वपूर्ण साबित होगी| विमान के साथ ही उसकी टेक्नॉलॉजी भी देनेवाले और विमानों एवं उनके पूर्ज़ो का भारत में निर्माण करने के लिए तैयार रहनेवालीं कंपनियों को प्रधानता दी जायेगी, ऐसी स्पष्ट भूमिका रक्षामंत्रालय द्वारा अपनायी जायेगी, ऐसा दावा किया जाता है|

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