रशियन सिक्योरिटी काऊन्सिल सचिव निकोलाय पत्रुशेव की भारत के प्रधानमंत्री से हुई अहम चर्चा

नई दिल्ली – रशिया के ‘सिक्योरिटी काऊन्सिल’ सचिव निकोलाय पत्रुशेव ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उससे पहले पत्रुशेव ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से चर्चा की। ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) की बैठक के लिए पत्रुशेव नई दिल्ली पहुंचे हैं। इस बैठक में बोलते हुए उन्होंने सार्वभूम देशों के कारोबार में हस्तक्षप करने की दुष्प्रवृत्ती की आलोचना की। साथ ही एकतरफा प्रतिबंध लगाने की नीति पर भी पत्रुशेव ने प्रहार किया। यह बयान करते हुए स्पष्ट ज़िक्र नहीं किया हो, फिर भी वह इसके ज़रिये अमरीका को लक्ष्य करते दिखाई दे रहे हैं।

निकोलाय पत्रुशेवप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के साथ निकोलाय पत्रुशेव की हुई मुलाकात का ज्यादा ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया गया है। नई दिल्ली में स्थित रशियन दूतावास ने पत्रुशेव ने प्रधानमंत्री मोदी से द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा होने की बात साझा की है। लेकिन, यूक्रेन युद्ध शुरू होते हुए रशियन सिक्योरिटी काऊन्सिल के सचिव पत्रुशेव ने भारत का यह दौरा करना ध्यान आकर्षित कर रहा है। फिलहाल यूक्रेन युद्ध अहम चरण पर पहुंचा है। उचित समय पर यह युद्ध बंद नहीं हुआ तो आनेवाले समय में इस युद्ध की तीव्रता अधिक बढ़ेगी और इसकी लपटे सिर्फ यूरोप ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व को नुकसान पहुंचाए बिना नहीं रहेगी, ऐसी चेतावनियां दी जा रही हैं।

ऐसी स्थिति में इस युद्ध को रोकने की कोशिश करने के बजाय अमरीका और यूरोपिय देश यह युद्ध लंबा चला रहे हैं, ऐसी आलोचना अब इन्हीं देशों में शुरू हूई है। यूक्रेन की सेना को भारी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति करके अमरीका और नाटो सदस्य देश इस युद्ध की तीव्रता बढ़ा रहे हैं। साथ ही रशिया इस युद्ध के भीषण परिणामों का अहसास इन देशों को करा रही हैं। ऐसी स्थिति में भारत कुछ समविचारी यूरोपिय देशों की सहायता से यह युद्ध रोकने की एवं इसकी तीव्रथा कम करने के लिए राजनीतिक स्तर पर कोशिश कर रहा हैं। भारत में नियुक्त फ्रान्स के राजदूत ने यह जानकारी सार्वजनिक की थी। साथ ही भारत के विदेश मंत्री ने भी अपने बयान से यही दर्शाया था।

ऐसी स्थिति में निकोलाय पत्रुशेव ने भारत के प्रधानमंत्री से चर्चा करना ध्यान आकर्षित कर रहा है। इसी बीच यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत के रशिया से शुरू व्यापारी एवं अन्य स्तरों के सहयोग की आलोचना कर रहे अमरीका और पश्चिमी देशों को बड़ा प्रत्युत्तर मिलता दिखाई दिया है।

भारत ने रशिया से ईंधन खरीद बढ़ाई हैं और द्विपक्षीय व्यपार बढ़ाने के लिए भी भारत ने अहम कदम बढ़ाए हैं। भारत और रशिया का व्यापार बढ़ाकर ५० अरब डॉलर्स करने का ध्येय दोनों देशों ने सामने रखा हैं और आर्क्टिक क्षेत्र के ईंधन खनन करने के क्षेत्र में भी भारत रशिया से सहयोग करेगा, ऐसी खबरें प्राप्त हो रही हैं। साथ ही भारत और रशिया का हो रहा रुपया-रुबल कारोबार अमरीका को स्पष्ट रुप से बेचैन करता दिखाई देने लगा है। लेकिन, यह सहयोग इससे भी आगे जाकर रशिया की पेमेंट सिस्टिम मिर और भारत के रुपे का सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों ने ज़रूरी गतिविधियां शुरू की हैं। 

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