पाकिस्तानी कट्टरपंथियों के आन्दोलन की वजह से सरकार दुविधा में

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पिछले दो हफ़्तों से कट्टरपंथियों ने शुरू किए हुए आन्दोलन की वजह से सरकार दुविधा में पड़ गई है, यह बात सामने आई है। राजधानी इस्लामाबाद की जनता के साथ, न्याय यंत्रणा और विरोधी पार्टियों ने सरकार पर टीका की है और आन्दोलन को हटाने की माँग तीव्र हुई है। विरोधी पार्टियों के नेताओं ने इस्लामाबाद की दुविधा दूर करने के लिए लष्कर की सहायता लेने की भी सलाह दी है।

पाकिस्तान में पिछले महीने में मंजूर हुए ‘इलेक्शन एक्ट २०१७’ में एक विवादास्पद प्रावधान किया गया था। कुछ समय बाद सुधार करने के बाद इस प्रावधान को निकाला गया था। लेकिन यह प्रावधान धार्मिक चीजों के साथ जुड़ने का दावा करते हुए पाकिस्तान के कट्टरपंथी समूहों ने कानून मंत्री झाहिद हमिद के इस्तीफे की माँग की है। हमिद ने इस्तीफा देने से इन्कार करने की वजह से ६ नवम्बर से राजधानी इस्लामाबाद में स्थित राजमार्ग को रोका गया था।

यह आन्दोलन ‘तेहरीक-आय-खातम-नबुव्वत’, ‘तेहरीक-आय-लबैक या रसूल अल्ला’ और ‘सुन्नी तेहरीक पाकिस्तान’ इन समूहों की ओर से किया जा रहा है। पाकिस्तान के कट्टरपंथी समूह के तौर पर पहचाने जाने वाले इन समूहों के करीब दो हजार समर्थक सड़क पर उतर आए हैं। आन्दोलकों ने राजधानी इस्लामाबाद का मुख्य राजमार्ग रोककर रखा है। दो हफ्ते पूरे होने के बाद भी पाकिस्तान सरकार इस समस्या का समाधान नहीं निकाल पाई है, इस वजह से प्रचंड असंतोष निर्माण हुआ है।पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के साथ इस्लामाबाद के उच्च न्यायालय ने भी इस आन्दोलन में हस्तक्षेप करके सरकार की अकार्यक्षमता पर टीका की है।

पाकिस्तान की विरोधी पार्टियों ने भी जोरदार टीका की है और सरकार ने सत्ता छोड़ने की माँग की है। उसी दौरान इस्लामाबाद की समस्या सुलझाने के लिए लष्कर की सहायता ली जाए, ऐसी सलाह भी दी गई है। इस्लामाबाद के नागरिकों में भी तीव्र प्रतिक्रिया उमट रही है और हर रोज करीब आठ लाख नागरिकों को इस आन्दोलन का नुकसान उठाना पड रहा है, यह बात कही जा रही है। इस आन्दोलन को हटाने में मिली असफलता की वजह से इन दिनों राजनीतिक दृष्टिकोण से अस्थिर हुए पाकिस्तान सरकार की कमजोरी अधिक तीव्रता से दुनिया के सामने आई है।

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