इस्लामाबाद स्थित दूतावास तालिबान को सौंपकर पाकिस्तान की तालिबान को अप्रत्यक्ष मान्यता

islamabad-embassy-taliban-2इस्लामाबाद – अमरीका, रशिया, भारत तथा युरोपीय देश अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को इतनी जल्दी मान्यता ना देने की भूमिका पर अडिग हैं। इस कारण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तालिबान की वकालत करनेवाले पाकिस्तान का हौसला टूटता चला जा रहा है। पाकिस्तान ने तालिबान के लिए राजधानी इस्लामाबाद स्थित अफगानिस्तान का दूतावास खुला करा दिया। पाकिस्तान की यह कार्रवाई यानी तालिबान की हुकूमत को अप्रत्यक्ष रूप से मान्यता देने जैसा ही होने की बात दिखाई दे रही है।

islamabad-embassy-taliban-1तालिबान का कमांडर सदरार मोहम्मद शोकैब यानी मोसा फरहाद ने इस्लामाबाद स्थित अफगानी दूतावास के फर्स्ट सेक्रेटरी के रूप में बागडोर संभाली। वहीं, पाकिस्तान के कराची, पेशावर और क्वेट्टा इन शहरों में स्थित वाणिज्य दूतावासों में भी तालिबान ने अपने कमांडर्स की नियुक्ति की होने की खबर अमेरिकी न्यूज़ एजेंसी ने प्रकाशित की। तालिबान का अस्थाई विदेश मंत्री अमीर खान मोत्ताकी ने यह नियुक्ति की, यह जानकारी तालिबान के आतंकवादी ने, नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर साझा की।

पाकिस्तान की सहमति से ही यह सब कुछ हो रहा है, ऐसा तालिबान के इस आतंकवादी ने बताया। अफगानिस्तान में नियुक्त पाकिस्तान के राजदूत मन्सूर खान ने भी, तालिबान के आतंकवादियों के लिए पाकिस्तान स्थित अफगानी दूतावास और उच्चायुक्तालय खुले किए होने की बात मान्य करके उसका समर्थन किया। अफगानिस्तान की भेंट करनेवाले पाकिस्तानियों को वीज़ा उपलब्ध करा देने के लिए दूतावास और उच्चायुक्तालय शुरू करने पड़े। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि तालिबान को मान्यता दी है, ऐसा मन्सूर खान ने कहा है।

अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करके गैरकानूनी रूप में सत्ता में आए तालिबान के आतंकवादियों के लिए दूतावास खुला करा देनेवाले पाकिस्तान की भूमिका पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से प्रतिक्रिया आ सकती है। 

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