बाढ़ के बाद फैल रहीं महामारी के बीच पाकिस्तान के सामने औषधि और अनाज़ की किल्लत का महाभयंकर संकट

इस्लमाबाद – पाकिस्तान में भीषण बाढ़ के बाद दूसरी नई आपत्ति उभर रही है। पाकिस्तान में महामारी की लहर उठेगी और इससे कई लोग मारे जाएँगे, ऐसी चेतावनी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दी है। विशेष बात तो यह है कि, इस महामारी को रोकने के लिए आवश्यक औषधियों का भंड़ार और वैद्यकीय सुविधाएं पाकिस्तान में नहीं हैं। इस वजह से आनेवाले समय में हमारे देश की स्थिति बड़ी भयंकर होगी, ऐसी चिंता पाकिस्तान के माध्यम व्यक्त कर रहे हैं। इस बाढ़ ने १.६ करोड़ बच्चों को काफी भयंकर नुकसान पहुँचाया है और इनमें से ३० लाख से अधिक बच्चों पर शीघ्रता से ध्यान देना आवश्यक होने की बात संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अपने निवेदन में कही है।

पाकिस्तान में इस बाढ़ से अब तक १,५०० से अधिक लोग मारे गए हैं। इस दौरान एक तिहाई क्षेत्र पानी में डूबा हुआ था। इस वजह से पाकिस्तान के सामने एक नहीं बल्कि, एक ही समय पर कई संकट खड़े हुए हैं। बाढ़ का पानी अब उतर रहा है और इससे महामारी फैलने की कड़ी संभावना सामने आ रही है। इसी बीच पाकिस्तान को अनाज की किल्लत ने परेशान किया है और बाढ़ पीड़ितों की स्थिति काफी खराब है, ऐसा पाकिस्तान के माध्यम कह रहे हैं। इसी बीच औषधियों की अपर्याप्त मात्रा भी पाकिस्तान के सामने और एक संकट है और देश को इससे बाहर निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर से सहायता प्राप्त होगी, इस उम्मीद में पाकिस्तान दिन गुज़ार रहा है।

पाकिस्तान में पानी की सप्लाई बाधित हुई है। यहां के नागरिकों को साफ पानी नहीं मिल रहा है और इसकी वजह से कॉलरा की महामारी फैलने का ड़र डब्ल्यूएचओ के प्रमुख डॉ. टेड्रास घेब्रेस्यूएस ने व्यक्त किया।

पाकिस्तान में जगह-जगह पर पानी भरा हुआ है और इससे मच्छरों का निर्माण होने से पाकिस्तान में मलेरिया और डेंगू की महामारी कोहराम मचा सकती है, ऐसी चेतावनी घेब्रेस्यूएस ने दी है। पाकिस्तान में गर्भवती महिलाएं काफी पिच्छिल स्थिति में बच्चों को जन्म दे रही हैं, इस पर भी घेब्रेस्यूएस ने ध्यान आकर्षित किया।

पाकिस्तान में फैली इस बाढ़ में लगभग दो हज़ार से अधिक स्वास्थ्य केंद्र पानी में डूबे हुए हैं। इस कारण पाकिस्तान के स्वास्थ्य कर्मीयों पर भी मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में संयुक्त राष्ट्रसंघ और कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने पाकिस्तान में अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र बनाए हैं। वहीं पर मरीजों पर इलाज हो रहा हैं।

इसी बीच, पाकिस्तान में इस बाढ़ से १.६ करोड़ बच्चों को नुकसान पहुँचा है। इनमें से ३० लाख से अधिक बच्चों को शीघ्रता से औषधि उपलब्ध करानी पडेगी, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ ने कहा। सिंध प्रांत में अब तक ५२८ बच्चों की बाढ़ से मौत हुई है। इसी में पहले से कुपोषित बच्चों को अब विभिन्न बिमारियों की चपेट में हैं, यह भी संयुक्त राष्ट्रसंघ ने स्पष्ट किया। समय पर अंतरराष्ट्रीय स्तर से सहयोग प्राप्त नहीं हुआ तो पाकिस्तान में बच्चों की भारी संख्या में मौतें होंगी, यह ड़र संयुक्त राष्ट्रसंघ ने जताया है।

ऐसी स्थिति में भी पाकिस्तान में अंदरुनि राजनीति खत्म नहीं हुई। माँगने पर भारत जैसा पड़ोसी देश आसानी से पाकिस्तान को ज़रूरी अनाज और औषधि प्रदान कर सकता है। लेकिन, हमारी जनता भूख से तडप रही है, इसके बावजूद पाकिस्तान ने भारत से कोई माँग नहीं की। पाकिस्तान में टमाटर की कमी निर्माण हुई है और ऐसे में ईरान ने भेजे टमाटर इस देश के कुछ लोगों ने सड़क पर फेंकने के वीडियोज्‌‍ वायरल हुए थे। इस वजह से भारत से प्राप्त हुई सहायता का पाकिस्तान में इसी तरह ‘स्वागत’ होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

इतने ओछे विचारों वाले इस देश ने माँग किए बिना भारत किसी भी तरह की सहायता प्रदान ना करे, ऐसा भारतीय विश्लेषकों का कहना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान में बाढ़ फैलने के बाद खेद व्यक्त किया था। इसके बाद पाकिस्तान के कुछ बुद्धीमानों ने एवं पत्रकारों ने भारत से सहायता की माँग की थी। लेकिन, यह सहायता स्वीकारने की क्षमता हम नहीं रखते, यह पाकिस्तान ने फिर से दर्शाया है। चीन और खाड़ी क्षेत्र के अपने मित्रदेश बड़ी सहायता करेंगे और हमें संकट से बाहर निकालेंगे, यह विचार भारत का द्वेष करनेवाले विश्लेषक रखते हैं। लेकिन ऐसे कठिन समय पर चीन ने पाकिस्तान को पीठ दिखाई है और खाड़ी देश भी पाकिस्तान की बार-बार सहायता करके परेशान हो चुके हैं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ हमें अन्य देशों से भीख माँगनी पड़ती है, ऐसा कहकर इसपर अफसोस व्यक्त कर रहे हैं। स्वयं को भिखारी कहनेवाला यह प्रधानमंत्री देश का क्या भला करेगा, ऐसी आलोचना विपक्षी नेता कर रहे हैं। इस वजह से बाढ़ और इससे जुड़ी समस्याओं के साथ ही अनाज और औषधि की किल्लत के साथ तीव्र राजनीतिक मतभेद भी पाकिस्तान की भयंकर समस्या साबित हो रही है। इस वजह से इच्छा होने के बावजूद पाकिस्तान की सरकार के लिए सहायता पाना नामुमकिन बना हुआ है। इसका भयंकर असर पाकिस्तान की जनता को भुगतने पड़ रहा है। यह देश ऐसी स्थिति में ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएगा, ऐसी चेतावनी कुछ ज़िम्मेदार विश्लेषकों ने दी है।

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