ओबामा प्रशासन ने हिजबुल्लाह अमरिका में कर रहे नशीले पदार्थों के व्यापार को नजर अंदाज किया था- अमरिकी वेबसाइट का दावा

वॉशिंग्टन/तेहरान: अमरिका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने ईरान के साथ परमाणु अनुबंध करने के लिए, ‘हिजबुल्लाह’ यह आतंकवादी संगठन अमरिका में कर रहे नशीले पदार्थों के व्यापार की तरफ नजरअंदाज किया था, ऐसा सनसनीखेज दावा ‘पॉलिटिको’ इस वेबसाइट ने किया है। ‘पॉलिटिको’ के इस वृत्त से अमरिका और इस्रायल में तीव्र प्रतिक्रियाएं उमटी हैं। अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने दो महीनों पहले ईरान के साथ हुआ परमाणु अनुबंध ‘डिसर्टिफाई’ करने की घोषणा करके, उसमें परिवर्तन करने के लिए संसद को भेजने का निर्णय लिया था।

आतंकवादी संगठन

अप्रैल २०१५ में अमरिका के साथ सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य, यूरोपीय महासंघ और ईरान ने परमाणु कार्यक्रम के बारे में महत्वपूर्ण अनुबंध होने की घोषणा की थी। इस अनुबंध के अनुसार ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बंधन डालते समय, पुराने आर्थिक प्रतिबंधों को हटाया गया था। इस अनुबंध के लिए अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा और उनके प्रशासन ने विशेष पहल की थी। अमरिका की रिपब्लिकन पार्टी, इस्रायल और सऊदी अरेबिया ने राष्ट्राध्यक्ष ओबामा पर जोरदार टीका की थी। इस अनुबंध की वजह से अमरिका और इस्रायल के बिच संबंध ख़राब हुए थे।

सन २०१६ में अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष पदपर आए डोनाल्ड ट्रम्प ने, ईरान के साथ किया अनुबंध अमरिका के इतिहास का सबसे बुरा अनुबंध है, ऐसा कहकर उसे रद्द करने की घोषणा की थी। इस पर अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर तीव्र प्रतिक्रिया उमटी थी। ईरान, रशिया और यूरोपीय देशों ने इस मुद्दे पर अमरिका को समर्थन न देने की घोषणा की थी। इस पृष्ठभूमि पर भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने, परमाणु अनुबंध के लिए हिजबुल्लाह इस ईरान समर्थक आतंकवादी संगठन की कार्रवाइयों की तरफ नजरअंदाज किया था, यह ध्यान खींचने वाली बात साबित हुई है।

ईरान समर्थक संगठन ‘हिजबुल्लाह’ ने अमरिका और दक्षिण अमरिका में विविध समूह की सहायता से, नशीले पदार्थों के व्यापार का बहुत बड़ा नेटवर्क खड़ा किया है। इस व्यापार से हिजबुल्लाह को हर साल लगभग एक अरब डॉलर्स मिलने की बात कही जाती है। इन पैसों का इस्तेमाल हिजबुल्लाह हथियारों की खरीदारी के लिए करता है, यह बात सामने आई है।

अमरिका की सुरक्षा और गुप्तचर यंत्रणाओं ने इस बारे में मजबूत सबूत प्राप्त करके कार्रवाई करने के लिए विशेष मुहीम बनाई थी। उसके लिए अमरिका की ‘ड्रग एन्फोर्समेंट एजेंसी’ ने अन्य देशों की सुरक्षा यंत्रणाओं की सहायता ली थी। हिजबुल्लाह के नशीले पदार्थ और हथियार खरीदारी का नेटवर्क तोड़ने के लिए सन २००८ में ‘प्रोजेक्ट कॅसांड्रा’ नाम की मुहीम हाथ में ली गई थी।

इस मुहीम के लिए अमरिका के खजाने और न्याय विभाग की अनुमति आवश्यक थी। लेकिन ओबामा प्रशासन के अधिकारियों ने यह अनुमति देना टालकर इस मुहीम में रुकावट डालने की कोशिश की थी। यह सामरिक नीति का एक हिस्सा था, ऐसा दावा अमरिका के रक्षा विभाग के भूतपूर्व विश्लेषक ने किया है। ईरान के साथ संबंध सुधारने की कोशिश के एक हिस्से के तौर पर इस प्रकार का निर्णय लेने लिए जाने की जानकारी सूत्रों की ओरसे दी गई है।

भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी कैथरीन बोअर ने, संसद के सामने हुई सुनवाई में इसे मान्य करने का दावा ‘पॉलिटिको’ वेबसाइट ने किया है।

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