सिर्फ नाटो ही यूरोप की सुरक्षा की गारन्टी दे सकती है – महासचिव जेन्स स्टॉल्टनबर्ग का विश्‍वास

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरब्रुसेल्स: रशिया अपनी लष्करी ताकत और तैयारी बढा रही है, ऐसे में सीर्फ नाटो ही यूरोप की सुरक्षा की गारन्टी दे सकती है, यह भरौसा नाटो के महासचिव जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने दिया| स्टॉल्टनबर्ग के बयान का समर्थन करके जर्मनी ने भी यूरोप के रक्षाविषयी हितसंबंधों से नाटो को अलग रखना मुमकिन नही होगा, यह भी स्पष्ट किया| कुछ दिन पहले फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने नाटो पर आलोचना की थी| इसे नाटो और जर्मनी ने जवाब दिया है|

‘सीर्फ नाटो ही यूरोप की सुरक्षा की पुरी गारन्टी दे सकता है| नाटो के सदस्य देशों ने इस बात का स्वीकार किया है| नाटो की फौज ने संघर्ष रोककर शांति स्थापित करने के लिए योगदान दिया है’, इन शब्दों में नाटो के महासचिव जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने नाटो की भूमिका रेखांकित की| इस दौरान उन्होंने रशिया के बढते लष्करी सामर्थ्य का भी जिक्र किया|

‘रशिया लगातार अपने लष्करी सामर्थ्य में बढोतरी कर रही है| रशिया का बर्ताव अन्य देशों को अस्थिर करनेवाला है| इसके विरोध में नाटो अपनी जिम्मेदारी पूरी ताकत के साथ निभाएगी यह भरौसा बाल्टिक देशों को दिया गया है’, यह बात स्टॉल्टनबर्ग ने आगे स्पष्ट की| अगले महीने में लंदन में होनेवाली नाटो की बैठक में रशिया के विरोध में कडी और एकता से भरी नीति तय करने के मुद्दे पर बातचीत होगी, यह संकेत भी उन्होंने दिए|

स्टॉल्टनबर्ग ने रखी इस भूमिका को जर्मनी ने समर्थन दिया है| ‘नाटो जीवित है, यह कहा जा सकता है| साथ ही यूरोप की सुरक्षा का मुद्दा नाटो से अलग नही कर सकते| भविष्य की सुरक्षा के लिए भी नाटो की जरूरत है और इसका विकास होना भी जरूरी है’, यह बात जर्मनी के विदेशमंत्री हैको मास ने स्पष्ट की|

इस महीने के शुरू में ही फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने एक मुलाकात के दौरान ‘नाटो’ यह संगठन ‘ब्रेन डेड’ होने का बयान किया था| मैक्रॉन ने पिछले वर्ष भी ‘यूरोपियन सेना’ संबंधी भूमिका रखते समय नाटो की अहमियत कम करने की कोशिश की थी| उनके बयान की वजह से यूरोपिय देशों में सनसनी फैली थी| इसपर जवाब देते समय जर्मनी ने मजबूत और सार्वभूम यूरोप यह सामर्थ्यशाली नाटो का हिस्सा होगा और इसका इस्तेमाल नाटो के विकल्प के तौर पर करना मुमकीन नही होगा, यह इशारा भी उन्होंने दिया था|

इससे पहले वर्तमान वर्ष के शुरू में हुए एक कार्यक्रम के दौरान नाटो के भूतपूर्व प्रमुख आंद्रेस रासमुसेन ने यूरोपियन देशों को यूरोपियन सेना नामक कागजी शेर की नही है, बल्कि ताकतवर नाटो के साथ डटकर खडे रहने की आवश्यकता होने की बात कही थी| नाटो के पीछे खडे रहकर यूरोपियन महासंघ के सदस्य देश अपनी सुरक्षा कडी करें, यह सुझाव भी उन्होंने रखा था|

नाटो के गठन को ७० वर्ष पूरे हुए है और इस अवसर पर नाटो की चुनौतियों की चर्चा शुरू हुई है| साथ ही यूरोपियन महासंघ की सेना के निर्माण की तैयारी जर्मनी और फ्रान्स ने शुरू की है| ऐसी पृष्ठभूमि पर नाटो ने ‘यूरोपियन सुरक्षा की हमी’ का मुद्दा उपस्थित करना अहमियत रखता है|

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