दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स परिषद के दौरान – तुर्की रशिया एवं चीन के राष्ट्राध्यक्ष की ध्यान केंद्रित करने वाली चर्चा

जोहानेसबर्ग: ब्रिक्स का सदस्य देश ना होते हुए भी दक्षिण अफ्रीका में शुरु ब्रिक्स के परिषद के दौरान उपस्थित रहकर तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने विशेषज्ञों का ध्यान केंद्रित किया है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इनसे तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने किए चर्चा से अलग संकेत मिल रहे हैं। इस दौरान रशिया और चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने तुर्की के साथ सहयोग प्रस्थापित करने की गवाही राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन को दि है, ऐसा वृत्त है।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन एवं राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन इनमें महत्वपूर्ण चर्चा हुई है। उस समय रशिया और तुर्की के व्यापार में पिछले वर्ष ४० फीसदी से अधिक बढ़ोतरी होने की बात दोनों नेताओं ने कही है। इतना ही नहीं तो इस वर्ष के पहले ५ महीने में रशिया और तुर्की में शुरु व्यापार ४६ फीसदी से अधिक बढ़ने की जानकारी उस समय राष्ट्राध्यक्ष पुतिनने कही है। तथा तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने इस सहयोग पर समाधान व्यक्त करके तुर्की को लगभग ६० लाख रशियन भेट देंगे और इसकी वजह से तुर्की का पर्यटन विकास भी होगा इस पर विश्वास व्यक्त किया है।

दक्षिण अफ्रीका, ब्रिक्स परिषद, तुर्की, रशिया, चीन, राष्ट्राध्यक्ष, ध्यान केंद्रित, चर्चा, जोहानेसबर्गतथा रशिया और तुर्की में लष्करी व्यापारी सांस्कृतिक क्षेत्र के सहयोग अधिक व्यापक होंगे ऐसा विश्वास राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने व्यक्त किया है। दौरान दोनों देशों में यह सहयोग केवल ढाई वर्ष के काल खंड में विकसित हुए हैं। सन २०१५ वर्ष के नवंबर महीने में सीरिया में गश्ती करने वाले रशिया के लड़ाकू विमान तुर्की ने गिराए थे। उसके बाद रशिया ने तुर्की को भयंकर परिणामों की चेतावनी दी थी। इसकी वजह से दोनों देशों में युद्ध भड़क सकता है, ऐसा डर व्यक्त किया जा रहा था।

आने वाले समय में नाटो के सदस्य देश होने वाले तुर्की के रशिया के साथ संबंध अधिक दृढ़ बनते जा रहे हैं। इसीलिए दक्षिण अफ्रीका के भेंट में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने रशिया के साथ अन्य क्षेत्र में सहयोग दृढ़ करने की घोषणा करते हुए उसमें लष्कर के सहयोग का विशेष रूप से उल्लेख किया है। नाटो का सदस्य देश होने वाले तुर्की से यह सहयोग प्राप्त होना यह रशिया के लिए दावपेच और व्यूहरचनात्मक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग इनके साथ तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने चर्चा की है। उस समय चीन के वन बेल्ट वन रोड इस महत्वकांक्षी प्रकल्प का तुर्की यह स्वाभाविक साझेदार देश है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने कहा है। तथा तुर्की और चीन के सहयोग को लेकर राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने उस समय समाधान व्यक्त किया है। चीन एवं तुर्की आर्थिक बचावात्मक धारणा के विरोधक होकर खुली व्यापारी धारणा के पुरस्कार करते है, ऐसा दावा राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने एवं राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने किया है। दुसरे शब्दों में अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अपनाई अमरिका फर्स्ट धारणा के विरोध में हमारी एकजुट है, ऐसा संदेश जिनपिंग और एर्दोगन दे रहे हैं।

पिछले कई महीनों से तुर्की ने अमरिका एवं यूरोपीय देशों के तथा इस्राइल के विरोध में आक्रामक भूमिका का स्वीकार किया है। इस पृष्ठभूमि पर रशिया एवं चीन जैसे देशों के साथ तुर्की सहयोग बढा रहा है और इसकी वजह से दक्षिण अफ्रीका में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने रशिया एवं चीन के राष्ट्राध्यक्ष की भेंट करके सारे दुनिया का ध्यान केंद्रित किया है और इसके परिणाम जल्द ही सामने आएंगे, ऐसे संकेत दिखने लगे हैं।

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