तुर्की और युक्रैन ने लष्करी सहयोग के लिए किया समझौता

इस्तंबूल – तुर्की ने युक्रैन के साथ लष्करी सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता करने के साथ ही तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने क्रिमिया पर रशिया का कब्ज़ा अवैध होने का बयान करके तुर्की कभी भी इसे मंजूरी नहीं देगा, यह इशारा भी किया। युक्रैन के साथ किया गया समझौता और क्रिमिया के मुद्दे पर किया गया बयान यह दोनों बातें तुर्की से रशिया को चुनौती देने की कोशिशों का हिस्सा समझा जा रहा है। इस वजह से रशिया और तुर्की के बीच बना तनाव अधिक बढ़ने के संकेत विश्‍लेषकों ने दिए हैं।

लष्करी सहयोग

बीते सप्ताह में तुर्की के इस्तंबूल शहर में हुई बैठक में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन और युक्रैन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमिर झेलेन्स्की ने लष्करी सहयोग से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में दोनों देशों के रक्षा उद्योगों का सहयोग बढ़ाने के साथ लष्करी संबंधों का दायरा तय करने का समझौता भी है। तुर्की और युक्रैन के बीच हुआ यह लष्करी समझौता द्विपक्षीय रक्षा सहयोग का अहम चरण समझा जाता है। बीते वर्ष युक्रैन ने तुर्की से ड्रोन खरीदने के लिए बड़ा समझौता किया था। इसके बाद अब विमान का इंजन विकसित करने के लिए भी दोनों देशों की बातचीत जारी है।

ब्लैक सी क्षेत्र में शांति और स्थिरता बरकरार रखने के नज़रिये से युक्रैन एक अहम देश है, यह विचार तुर्की रखता है, इन शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने इस समझौते का समर्थन किया। इस दौरान उन्होंने क्रिमिया के मुद्दे पर भी अपनी भूमिका स्पष्ट की। क्रिमिया पर अवैध कब्ज़ा करने की हरकत को तुर्की ने कभी भी समर्थन नहीं दिया और इसके आगे भी नहीं देगा, यह बात एर्दोगन ने बयान की। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष की यह भूमिका रशिया को खुली चुनौती देनेवाली साबित होती है।

बीते कुछ वर्षों में रशिया के तुर्की के साथ बने संबंध संमिश्र स्वरूप के रहे हैं। रशिया से हथियार और र्इंधन खरीदनेवाला तुर्की, सीरिया और लीबिया में रशियन हितसंबंधों के विरोध में है। फिर भी रशिया ने अन्य मुद्दों पर तुर्की के साथा जारी सहयोग फिलहाल रोका नहीं है। लेकिन, आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में तुर्की की भूमिका पुतिन की बर्दाश्‍त करने की क्षमता की कसौटी लेनेवाली साबित हुई है। इससे तुर्की और उसके हितसंबंधों के विरोध में खुलेआम संघर्ष करने का निर्णय हो सकता है, यह इशारा रशियन विश्‍लेषक दे रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर तुर्की ने पुतिन के लिए संवेदनशील मुद्दा समझे जा रहे युक्रैन और क्रिमिया के मुद्दे पर अपनाई आक्रामक भूमिका रशिया और तुर्की के बीच संघर्ष का कारण साबित हो सकती है, यह समझा जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.