‘आयएनएस अरिहंत’ भारतीय नौसेना में शामील हुई होने का मीडिया का दावा

नवी दिल्ली, दि. १८, (पीटीआय) – भारत में निर्माण की गई ‘आयएनएस अरिहंत’ यह पहली परमाणु पनडुब्बी नौसेना में शामील की गई है, ऐसी खबरें प्रकाशित हुई हैं| लेकिन नौसेना ने इन खबरों की पुष्टि नहीं की है, साथ ही, इन खबरों को नकारा भी नहीं है| इस सिलसिले में जल्द ही अहम घोषणा की जायेगी, ऐसी जानकारी रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी दे रहे हैं| इस परमाणु पनडुब्बी के नौसेना में शामिल होने से भारतीय नौसेना की क्षमता कई गुना बढनेवाली है और इससे, परमाणु पनडुब्बी विकसित करनेवाले कुछ चुनिंदा देशों की सूचि में भारत शामिल हुआ है|

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अगस्त महीने में ही ‘आयएनएस अरिहंत’ को नौसेना के काफिले में शामिल किया गया है, ऐसी खबरे प्रकाशित हुई हैं| लेकिन भारत ने इस संदर्भ की कोई जानकारी जारी नहीं की होकर, शांतिपूर्वक यह पूरी प्रक्रिया पूरी की गई, ऐसा दावा किया जा रहा है| इसकी वजह अब तक स्पष्ट नहीं हुई है| लेकिन भारत को अपनी परमाणु क्षमता के बारे में ढिंढ़ोरा पिटने में दिलचस्पी नहीं है, ऐसा इन खबरों से स्पष्ट हो रहा है| इसीलिए, २६ जुलाई २००९ में जलावतरण की गयी इस परमाणु पनडुब्बी का वृत्त भारत ने उजागर नहीं किया है| ‘यह परमाणु पनडुब्बी शामिल होने की वजह से भारत के सामर्थ्य में बढ़ोतरी होनेवाली है और इस क्षेत्र का समतोल बिगड़ेगा’ ऐसा डर पाकिस्तान ने जताया है| वहीं, चीन इस पर जहरी प्रतिक्रिया देना टाल रहा है| लेकिन भारतीय नौसेना की बढ़ती क्षमता चीन को अस्वस्थ करनेवाली है, ऐसा कई बार सामने आया है|

लगभग छ: हज़ार टन की इस परमाणु पनडुब्बी ‘आयएनएस अरिहंत’ में, परमाणु हमला करने की क्षमता है| इस वजह से आकाश से, ज़मीन से और सागर से परमाणु हमला करने की तिहरी क्षमताप्राप्त देशों की श्रेणी में भारत ने अब स्थान पाया है| परमाणु हथियार विकसित करते हुए भारत ने इस संदर्भ में ज़िम्मेदारीपूर्वक भूमिका निभायी है और पहले परमाणु हमला न करने की नीति भारत ने अपनाई है| लेकिन परमाणु युद्ध की स्थिति में इस नीति का पलटवार भारत पर हो सकता है| इस वजह से परमाणु हमले का प्रतिकार करने के लिए ज़रूरी ‘सेकंड स्ट्राईक’ क्षमता हासिल करना भारत के लिए अनिवार्य बन गया है| ‘आयएनएस अरिहंत’ नौसेना में शामिल होने की वजह से भारत ने यह क्षमता भी हासिल की है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

‘आयएनएस अरिहंत’ पर ‘के-१५’ यह कम दूरी पर हमला करनेवाले प्रक्षेपास्र तैनात हैं| यह प्रक्षेपास्र तक़रीबन ७०० किलोमीटर की दूरी पर के लक्ष्य को निशाना बना सकता है| साथ ही, ‘के-४’ यह बॅलेस्टिक प्रक्षेपास्र भी इस पनडुब्बी में लदे हैं| इस प्रक्षेपास्त्र की क्षमता ३५०० किलोमीटर है| इस वजह से भारतीय नौसेना की मारकक्षमता और अधिक भेदक हुई है|

इसी दौरान, भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने इस खबर पर कुछ भी कहने से इन्कार किया है| वहीं, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कुछ भी कहने से इन्कार किया है| लेकिन जल्द ही इस संदर्भ में अहम घोषणा की जायेगी, ऐसा इन वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है| मग़र फिलहाल तो भारत अपनी इस परमाणु पनडुब्बी की जानकारी सार्वजनिक करने में उत्सुक नहीं है, ऐसा दिखाई दे रहा है| इस वर्ष के फरवरी महीने में भारतीय नौसेना ने अपनी शक्ती का प्रदर्शन किया था|
इस समय भी इस पनडुब्बी को दूर रखा गया था| इस पनडुब्बी की जानकारी दूसरे देश की नौसना तक ना पहुँचें, इसके लिए यह एहतियात बरते जा रहे हैं, ऐसा कहा जा रहा है|

भारतीय नौसेना के लिए और दो परमाणु पनडुब्बियाँ विकसित की जा रही हैं| इनमें से ‘आयएनएस अरिधमन’ का जलावतरण सन २०१८ में होगा, ऐसा बताया जा रहा है| अपनी नौसेना की क्षमता को बढ़ाना भारत के लिए काफ़ी ज़रूरी बन चुका है| ख़ास तौर पर हिंद महासागर में अपना वर्चस्व स्थापित करते हुए भारत को चुनौती देने की तैयारी कर रहे चीन को रोकने के लिए, भारत को इस मोरचे पर विशेष कोशिशें करनी पड रही हैं| इसकी तैयारी भारत ने की है और परमाणु पनडुब्बी के साथ भारतीय नौसेना के लिए विनाशिका भी तैयार की जा रही है| आनेवाले समय में भारतीय नौसेना में तक़रीबन सात अत्याधुनिक विनाशिकाएँ शामिल होंगी, ऐसी जानकारी हाल ही में प्रकाशित हुई थी|

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