तौलनिक शरीरविज्ञानशास्त्र के जनक मार्सेलो मालपिघी (१६२८-१६९४)

दर्शनशास्त्र और वैद्यकशास्त्र। ये दोनों ही एक दूसरे से पूर्णत: भिन्न विषय हैं। परन्तु इटली के बोलोग्ना नामक प्रांत में जन्म लेनेवाली मार्सेलो मालपिघी नामक इस संशोधनकर्ता ने इन दोनों ही विषयों में उपाधि प्राप्त कर अनेकों को अचंभित कर दिया। दूसरों को अचंभित कर देनेवाले मार्सेलो ने स्वयं मानवी शरीर की अनेक पहेलियाँ सुलझाने में अपना संपूर्ण जीवन दाँव पर लगा दिया था। सूक्ष्म दर्शक का उपयोग करके मानवी चक्षुओं से भी परे होनेवाले मानवी शरीर रचना का शोध करनेवाले संशोधक के रुप में मालपिघी ने अपना नाम अजर-अमर बना दिया।

Marcello-Malpighi - मार्सेलो मालपिघी

मार्सेलो मालपिघी का जन्म दस मार्च १६२८ के दिन इटली के बोलोग्ना नामक प्रांत में हुआ था। शिक्षण के दौरान उम्र के इकीसवे वर्ष ही मार्सेलो को माता-पिता के निधन का आघात सहना पड़ाथा। मात्र ऐसी परिस्थिती में भी उन्होंने अपनी पढ़ाई की जिद पूरी करते हुए दर्शनशास्त्र एवं वैद्यकशास्त्र इन दोनों विषयों में उपाधि प्राप्त की। इसके पश्‍चात् एक शिक्षक के रूप में कार्यरत रहते समय उनके एक मित्र ने टस्कनी से उन्हें आमंत्रित किया और उसी समय के दौरान इटली के नामचीन पिसा विश्‍वविद्यालय में उन्होंने प्रवेश किया।

पिसा विश्‍वविद्यालय में ही मार्सेलो को अपने संशोधन की दिशा प्राप्त हुई। पिसा विश्‍वविद्यालय में ही मार्सेलो ने इससे पूर्व ही वैद्यक क्षेत्र में प्रस्थापित होनेवाले सिद्धांतों पर प्रश्‍नचिह्न लगाना शुरु कर दिया था। इसका कारण था, उन्हें प्राप्त होनेवाला सायमेंटो अकादमी का सदस्यत्व। पिसा में होनेवाली यह विज्ञान संस्था गॅलिलिओ ने विज्ञान में प्रस्तुत किए हुए तत्त्वों को आगे चलाने का कार्य कर रही थी। इस संस्था के सदस्यत्व ने ही मार्सेलो को विज्ञान के नवनवीन संशोधनों से जोड़ने का काम किया। इतना ही नहीं बल्कि मार्सेलों के संपूर्ण जीवन की दिशा को ही बदल देनेवाले ‘सूक्ष्मदर्शक’ यंत्र की पहचान भी मार्सेलो को इसी अकादमी ने करवायी।

पिसा विश्‍वविद्यालय में स्थिर हो रहे मार्सेको को पारिवारिक कारणों से अचानक पुन: बोलोग्ना में लौटना पड़ा। मात्र लौटते समय वे अपने साथ इस नये साथीदार को अर्थात सूक्ष्मदर्शक को ले जाना नहीं भूले। दो वर्ष बोलोग्ना में व्यतीत करते समय मार्सेलो ने इस दौरान मेंढ़क के शरीर पर अपना लक्ष्य केन्द्रित किया था। मेंढ़क के शरीर का विच्छेदन करके उसकी श्‍वसन संस्था एवं रक्ताभिसरण संस्था का अध्ययन करने हेतु उनका यह प्रयोग काफी उपयोगी साबित हुआ।

बोलोग्ना में दो वर्ष व्यतीत करने के पश्‍चात् मार्सेलो ने सिसिली के मेसिना विश्‍वविद्यालय में वैद्यकीय अध्यापक का पद स्वीकार किया। अपना अध्यापन कार्य संभालते हुए सूक्ष्मदर्शक की सहायता से शुरु किये गए अपने संशोधन कार्य का पृष्ठपोषण उन्होंने चालू रखा था। सिसिली में कार्यरत रहते मार्सेलो ने रक्त में होनेवाली लाल पेशियों के कारण ही रक्त को लाल रंग प्राप्त होने का शोध सूक्ष्मदर्शक के संशोधन द्वारा उन्होंने सिद्ध किया।

Marselo-2

इसके पश्‍चात् १६६७ में बोलोग्ना में लौटने वाले मार्सेलो ने मालपिघी के कार्यकाल की दृष्टि से अगले बारह वर्ष का समय काफी महत्त्वपूर्ण रहा। बोलोग्ना में वैद्यकीय व्यवसाय आरंभ किए मार्सेलो ने इस समय के दौरान यकृत, मस्तिष्क, मूत्रपिंड, अस्थि एवं त्वचा के स्तरों का भी सूक्ष्मदर्शक की सहायता से अध्यापन किया। अपने संशोधन के कारण ब्रिटन के रॉयल सोसायटी का सम्माननीय सदस्यत्व प्राप्त करने वाले वे प्रथम इटालियन वैज्ञानिक माने जाते हैं। रॉयल सोसायटी ने ही मालपिघी द्वारा सूक्ष्मदर्शक की सहायता से किया गया विशाल संशोधन दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया। इस संशोधन द्वारा दुनिया भर में चल रहे मानवी शरीर विषयक संशोधन को नवीन दिशा प्राप्त हुई।

मानवी शरीर के साथ ही मार्सेलो ने मालपिघी वनस्पति एवं छोटे कीड़ों से संबंधित भी संशोधन करने के लिए हामी भरी। स्वयं के शरीर से रेशम का उत्पादन करनेवाले ‘सिल्क वर्म’ कीड़ों की संरचना एवं विकास इनसे संबंधित मालपिघी द्वारा लिखा गया प्रबंध उनके संशोधन क्षेत्र का सर्वोच्च मानबिंदू माना जाता है। इस प्रबंध ने रेशम व्यवसाय के उत्कर्ष में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। संशोधन के उत्कर्ष के समय में ही १६८४ में व्यक्तिगत विद्वेष से मालपिघी का निवासस्थान जला दिया गया। इस घटना में मालपिघी के महत्त्वपूर्ण संशोधन भी जल गए। इसमें उस समय की इटली की सरकार और पोप ने दखलअंदाजी की तो सही परन्तु तब तक काफी देर हो चुकी थी।

संशोधन को जला दिया गया इस आघात से मालपिघी बीमार पड़ गए। वे स्वयं ही वैद्यकशास्त्री होने के कारण उन्होंने अपनी बीमारी को मात करने की कोशिश तो की; परन्तु वे मानसिक दृष्टि से निराश हो चुके थे। इसी आघात के कारण वे बिलकुल दशक के अन्दर ही अर्थात २९ सितंबर १६९४ के दिन मस्तिष्क की बीमारी के कारण मार्सेलो मालपिघी नामक इस श्रेष्ठ वैज्ञानिक का निधन हो गया। सूक्ष्मदर्शक की सहायता से मानवी शरीर के सूक्ष्म रहस्य को उजागर करनेवाले इस शास्त्रज्ञ का नाम मानवी त्वचा के नीचेवाले स्तर को देकर उनका नाम हर एक मनुष्य के साथ जोड़ दिया गया और यही उन्हें मानवजाति की ओर से दी गई आदरांजलि कहलाई।

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