लद्दाख की एलएसी पर भूमि नहीं गँवायी है – रक्षा मंत्रालय ने दिलाया यकीन

नई दिल्ली – लद्दाख की एलएसी से सेना वापसी करने पर चीन के साथ हालाँकि सहमति हुई है, फिर भी भारत ने अपनी भूमि नहीं गँवायी है, ऐसा स्पष्टीकरण रक्षा मंत्रालय ने दिया है। उसी समय, लद्दाख की एलएसी पर फिंगर आठ तक भारत का भूभाग होकर, यहाँ गश्ती करने का अधिकार भारत कायम रख रहा है, यह भी रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया। इस क्षेत्र से सेना वापसी करने के लिए भारत ने गश्ती करने का अपना अधिकार छोड़ दिया और चीन को यह भूमि बहाल की, ऐसा एतराज कुछ लोगों ने दर्ज किया था। उस पर रक्षा मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण दिया है।

भूमि

पिछले १० महीनों से लद्दाख के पँगॉंग सरोवर की उत्तरी और दक्षिणी ओर भारत और चीन की सेनाएं तैनात थी। दोनों देशों के बीच चर्चा के कई सत्र होने के बाद भी यह विवाद कायम रहा था। लेकिन अब चीन ने इस क्षेत्र से पीछे हटने की गतिविधियां शुरू की हैं। लद्दाख की एलएसी से उनके टैंक्स पीछे हटने लगे हैं। भारतीय लष्कर की मांग के अनुसार चीन की सेना फिंगर आठ से पीछे हटने की तैयारी कर रही है। वहीं, भारतीय सेना ने भी फिंगर तीन पर के अपने अड्डे पर वापस जाने की तैयारी दर्शाई है। इस मसले का लष्करी तथा राजनीतिक चर्चाओं द्वारा हल निकलने तक, दोनों देशों ने इस क्षेत्र में लष्करी गश्त न करने का फैसला किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने इसकी जानकारी संसद में दी थी।

इस पर कुछ लोगों ने ऐतराज जताया था और इससे इस क्षेत्र का फिंगर तीन के आगे का भाग चीन के लिए छोड़ दिया होने की आलोचना भारत सरकार पर की थी। उसके बाद रक्षा मंत्रालय ने यह खुलासा किया। भारत की सीमा फिंगर आठ तक है और वहां तक गश्ती करने का अधिकार भारत ने अपने पास सुरक्षित रखा है, ऐसा रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया। साथ ही, सन १९६२ के युद्ध में चीन ने हथियाई ४३ हजार वर्ग किलोमीटर की भूमि भी भारत की ही है और देश के नक्शे में यह स्पष्ट रूप से दिखाया जाता है, इस पर रक्षा मंत्रालय ने गौर फरमाया।

इसी बीच, भारत ने एलएसी पर अपनाई आक्रामक नीति के कारण चीन को यहां से पीछे हटना पड़ा, ऐसा कहकर पूर्व लष्करी अधिकारी उस पर संतोष जता रहे हैं। अपनी घुसपैठ पर भारत से इतनी तीव्र प्रतिक्रिया आएगी, इसका विचार चीन ने किया नहीं था। कुछ समय तक इस क्षेत्र में अपने जवान तैनात करके, भारत पर दबाव बनाकर उसके बाद पीछे हटने की तैयारी चीन ने की थी। गलवान की वैली में हमला करके उसके बाद, शांति स्थापित करने के लिए चीन यहाँ से पीछे हट रहा है यह दिखाने की चीन की साजिश थी। लेकिन भारतीय सैनिकों ने उस साजिश को नाकाम किया। इस संघर्ष में भारत के २० सैनिक शहीद हुए; वहीं, चीन के ४५ जवान ढेर हुए होने की जानकारी हाल ही में एक रशियन माध्यम ने दी थी।

उसके बाद के दौर में भारत से संतप्त प्रतिक्रियाएं आईं और लद्दाख की एलएसी से अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखकर पीछे कैसे हटें, यह प्रश्न चीन के सामने था, ऐसा पूर्व लष्करी अधिकारी बता रहे हैं। इस कारण सहमति होने के बाद चीन के जवान इस क्षेत्र से तेजी से पीछे हट रहे दिख रहे हैं, इसकी ओर पूर्व लष्करी अधिकारी गौर फरमा रहे हैं। इसी बीच, हालाँकि पँगॉंगा त्सो सरोवर क्षेत्र से वापसी का मसला हल हुआ, फिर भी हॉटस्प्रिंग, गोग्रा और डेप्सांग से भी सेना वापसी करने पर अभी तक सहमति नहीं हुई है। आने वाले ४८ घंटों में उस पर दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों की चर्चा होने वाली है, ऐसी जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी है।

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