ब्रिटन के रक्षामंत्री भारत यात्रा पर

नयी दिल्ली, दि. १३: ब्रिटन के रक्षामंत्री मायकल फॅलॉन भारत दौरे पर आए हैं और उन्होंने भारत के रक्षामंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की| ब्रिटन भारत के साथ सहनिर्माण करने के लिए उत्सुक होकर, भारत को रक्षासंबंधी प्रगत प्राद्यौगिकी का हस्तांतरण करने की तैयारी भी ब्रिटन ने दिखाई है| फॅलॉन के इस दौरे से ऐसा दिखायी दे रहा है कि भारत के साथ रक्षाविषयक सहयोग बढ़ाने के लिए ब्रिटन प्रयास कर रहा है|

ब्रिटन के रक्षामंत्री

रक्षासामग्री का निर्माण करने के लिए ब्रिटन की ‘रोल्स रॉयस’ कंपनी भारत के ‘डिआरडीओ’ के साथ लडाकू विमानों के इंजिन के सहनिर्माण के लिए उत्सुकता दिखा रही है| दोनों कंपनियों ने एक साथ मिलकर सहनिर्माण करें, इसके लिए हम कोशिश कर रहे हैं, ऐसा रक्षामंत्री फॅलॉन ने कहा| इससे भारत में लड़ाकू विमानों के इंजिनों का निर्माण आसान होगा और यहाँ से ही तीसरे देश को इंजिन निर्यात किया जायेगा, ऐसा विश्‍वास फॅलॉन ने जताया| इसीके साथ, भारत के रक्षाबलों के साथ सहयोग विकसित करने के लिए ब्रिटन कोशिश कर रहा है| दोनों देशों के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास का आयोजन किया जायेगा, ऐसी जानकारी फॅलॉन ने दी|

भारत और ब्रिटन एकसाथ मिलकर लड़ाकू विमानों का सबसे बढ़िया इंजिन विकसित कर सकते हैं, ऐसा दावा ब्रिटन की ओर से किया जा रहा है| भारतीय वायुसेना को लड़ाकू विमानों की काफ़ी ज़रूरत है और इसके लिए भारत ने ठोस आर्थिक प्रावधान किया है| इसीलिए लड़ाक़ू विमानों का निर्माण करनेवाली दुनिया की जानीमानी कंपनियाँ भारत को विमानों की सप्लाई करने के लिए और संयुक्त परियोजनाओं के लिए जोरदार कोशिशें कर रही हैं| इनमें से कुछ कंपनीयों ने भारत को प्राद्यौगिकी मुहैय्या करने की तैयारी दिखाई है|

ब्रिटन भी भारत को आकर्षक प्रस्ताव देकर लड़ाकू विमानों के इंजिन निर्माण के लिए संयुक्त परियोजना हाथ में लेने की तैयारी कर रहा है| अमरिकी, रशियन और स्वीडिश कंपनियों की ओर से भी भारत को इसी तरह के प्रस्ताव मिल रहे हैं| लेकिन कुछ भी हो, जबतक लड़ाकू विमानों की प्राद्यौगिकी का पूरा हस्तांतरण न होने तक परियोजना को आगे बढाने की गलती इसके आगे नहीं होगी, ऐसी भारत की स्पष्ट भूमिका है| इस पृष्ठभूमि पर, भारत को प्राद्यौगिकी देने की तैयारी दिखाकर ब्रिटन इस प्रतियोगिता में आगे जाने की कोशिश कर रहा है|

इसी दौरान, ब्रिटन के रक्षामंत्री ने सायबर सुरक्षा, आतंकवादविरोधी सहयोग के मोरचे पर भी भारत और ब्रिटन एक दुसरे की बड़ी सहायता कर सकते हैं, ऐसा विश्‍वास जताया जा रहा है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.