चीन और उत्तर कोरिया के खतरे का सामना करने के लिए जापान के रक्षा विभाग ने दिया ४० अरब डॉलर्स का प्रस्ताव

टोकियो – चीन और उत्तर कोरिया के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने के लिए जापान के रक्षा विभाग ने ४० अरब डॉलर्स से अधिक निधि का प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में हायपरसोनिक मिसाइल्स, ‘स्टैण्ड ऑफ मिसाइल्स’, विमान वाहक युद्धपोत, ड्रोन्स और प्रगत लड़ाकू विमानों के लिए आवश्यक प्रावधान हैं। जापान के रक्षा विभाग द्वारा पेश किया गया यह प्रस्ताव अब तक के समय की सबसे बड़ी माँग साबित हुई है। बजट के इस संभावित प्रावधान के अलावा जापान के रक्षा खर्च में भी अतिरिक्त प्रावधान हो सकता है, ऐसे संकेत सूत्र ने दिए हैं।

पिछले साल से चीन और उत्तर कोरिया की आक्रामक गतिविधियाँ जारी हैं। इन गतिविधियों को चुनौती देने के लिए जापान ने भी आक्रामक नीति अपनाई है। पिछले वर्ष के अन्त में जापान ने अपना रक्षा खर्चा बढ़ाकर ५० अरब डॉलर्स से अधिक करने का ऐलान किया था। इसके बाद अप्रैल में शासक ‘एलडीपी’ दल ने शत्रु के ठिकानों पर हमला करने की क्षमता पाने से संबंधित प्रस्ताव पेश किया था। इसके बाद जुलाई में जापान ने रक्षा संबंधित श्वेत पत्रिका का ऐलान किया था।

इस माध्यम से जापान ने चीन और उत्तर कोरिया के खतरे का मुकाबला करने के लिए बड़ी तैयारी करने के संकेत दिए थे। रक्षा विभाग ने रखी माँग से इसकी पुष्टि हुई है। रक्षा विभाग ने अपने प्रस्ताव में अगले पांच सालों में देश की रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए सात ‘की पिलर्स’ संबंधित मुद्दे का भी ज़िक्र किया है।

इसमें लंबी दूरी के मिसाइल्स का उत्पादन, हवाई सुरक्षा और मिसाइल विरोधी यंत्रणा, ड्रोन्स का इस्तेमाल बढ़ाना, अंतरिक्ष क्षेत्र के साथ सायबर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्र की क्षमता बढ़ाने के मुद्दों का समावेश है। इसके अलावा ‘कमांड कंट्रोल ऐण्ड इंटेलिजन्स फंक्शन्स’, युद्ध के मोर्चे पर सेना तैनाती और सहायता भेजने की क्षमता एवं रक्षाबलों को टिकाऊपन और लचीलापन देनेवाली नीति अपनाने का भी ज़िक्र है।

जापान की हवाई सेना अमरीका से १२ नए एफ-३५ लड़ाकू विमान खरीद रही है। साथ ही ‘नेक्स्ट जनरेशन’ लड़ाकू विमानों के लिए १० अरब डॉलर्स की माँग की गई है। जापान की नौसेना के दो ‘हेलिकॉप्टर कैरियर्स’ को विमान वाहक युद्धपोत में तब्दील किया जा रहा है। इसके लिए ३० करोड़ डॉलर्स निधि देने का प्रस्ताव होने की बात कही जा रही है।

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