व्यापार के घोटालों के मुद्दों पर अमरिका से चीन पर कारवाई की सम्भावना

वॉशिंगटन /बीजिंग: अमरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के साथ शुरू द्विपक्षीय व्यापार की जांच करने के आदेश दिए है। अमरिका के वरिष्ठ व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लायथायझर पर जांच की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है। अमरिका के १९७४ के ‘ट्रेड ऐक्ट’ के अंतर्गत यह जांच शुरू होनेवाली है जिसकी आनेवाले समय में घोषणा की जाएगी। चीन विरोध में होनेवाली इस तहकीकात के लिए उनकी उत्तर कोरिया के मुद्दे पर दिखानेवाले टालमटोल व्यवहार ही जिम्मेदार होने की खबर है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिका और चीन के बिच युद्ध की आशंका दिखाई दे रही है यह बयान विदेशमंत्री ने दिया।

द्विपक्षीय व्यापार

अमरिका के प्रसार माध्यमों ने प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीयों के हवाले से इस चीन विरोधी कारवाई के संकेत दिए है। इसके अनुसार अमरिका के प्रमुख वरिष्ठ व्यापार प्रतिनिधी रॉबर्ट लायथायझर पर तहकीकात की ज़िम्मेदारी जल्द ही सौंपी जाएगी। आनेवाले समय में इसकी घोषणा की जाएगी यह दावा वरिष्ठ अधिकारियों ने किया है। चीन विरोधी कारवाई में अमरिका के १९७४ का ‘ट्रेड ऐक्ट’ अंतर्गत सेक्शन३०१ को उपयोग में लाया जायेगा।

इस प्रावधान के अनुसार, अन्य देशों से उपयोग हुए ग़लत व्यापारी तरीकों से अमरिकी व्यापार का नुकसान हो रहा है और अर्थ व्यवस्था को धक्का लग रहा है, तो ऐसे स्थिति में अमरिकी राष्ट्रपति ऐसे देश के विरोध में एकतर्फी कर आवेशित कर सकते है या उनपर प्रतिबन्ध जारी कर सकते है। इसके पूर्व १९८० में जापान के आयात को रोकने के लिए इस प्रकार की कारवाई हुई थी। उस वक्त लायथायझर व्यापार के उपप्रतिनिधी थे।

राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने चुनाव प्रचार में अमरिका और चीन के बीच व्यापार का मुद्दा आक्रामकरूप से पेश किया था। चीन अमरिका को लूट रहा है और हम इस लूट को रोकेंगे यह दावा किया था। पर राष्ट्रपति पद संभालने पर थोड़े समय तक ट्रम्प ने चीन से संबंध सुधारने का प्रयत्न किया था। चीन के साथ हुआ व्यापारी करार भी बहुत चर्चा में था।

पर पिछले कई दिनों से उत्तर कोरिया की तरफ चीन के रव्वैये ने राष्ट्रपति ट्रम्प को नाराज किया है। चीन उत्तर कोरिया पर अपने प्रभाव का उपयोग न करके कारवाई करने को टाल रहा है यह आरोप ट्रम्प ने किया। चीन ने इन आरोपों का खंडन किया पर फिर भी राष्ट्रपति ट्रम्प की चीन पर नाराजगी कायम है यह उनके निकटम अधिकारियों का कहना है। इस नाराजगी से ही चीन पर कारवाई करने का निर्णय लेने की खबर बताई जा रही है।

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