जम्मू-कश्मीर के निर्वाचनक्षेत्रों की पुनर्रचना गतिमान – डिलिमिटेशन कमिशन द्वारा आदेश पर हस्ताक्षर

नई दिल्ली – जम्मू और कश्मीर के विधानसभा निर्वाचनक्षेत्रो की पुनर्रचना करनेवाली ‘डिलिमिटेशन’ की प्रक्रिया तेज़ कर दी गयी है। इसके लिए स्थापन किये गये डिलिमिटेशन कमिशन ने इसके अंतिम आदेश पर हस्ताक्षर किये हैं। इससे जम्मू और कश्मीर विधानसभा के निर्वाचनक्षेत्र 83 से बढ़कर 90 होनेवाले हैं। साथ ही, पाकिस्तानव्याप्त कश्मीर के लिए इसमें 24 निर्वाचनक्षेत्र आरक्षित रखे गये हैं। जम्मू और कश्मीर के कुछ राजनीतिक दलों ने इस प्रक्रिया का विरोध किया है। जनसंख्या की रचना के अनुसार विर्वाचनक्षेत्रों में बदलाव करना तह बात स्वाभाविक है, ऐसा केंद्र सरकार का कहना है।

जम्मू और कश्मीर में यह परिसीमन की यानी विधानसभा निर्वाचनक्षेत्रों की पुअर्रचना जब तक पूरी नहीं होती, तब तक यहाँ चुनाव संभव नहीं हैं, ऐसा केंद्रीय गृहमंत्री ने डटकर कहा था। साथ ही इसके लिए डिलिमिटेशन कमिशन का गठन करके केंद्र सरकार ने इसका एहसास दिलाया था कि सरकार इसकी ओर बहुत ही गंभीरतापूर्वक देख रही है। इस कारण, विशेष दर्जा प्रदान करनेवाली धारा-370 हटाने के बाद, केंद्रशासित प्रदेश बने हुए जम्मू-कश्मीर के लिए यह परिसीमन की प्रक्रिया बहुत ही बड़ी बात मानी जा रही है। कुछ स्थानीय राजनीतिक दलों ने और नेताओं ने इस प्रक्रिया का जमकर विरोध किया था। उस पृष्ठभूमि पर, डिलिमिटेशन कमिशन की नियत अवधि स्माप्त होने के एक दिन पहले इस आदेश पर हस्ताक्षर किये गये हैं।

इससे जम्मू-कश्मीर घाटी के विधानसभा निर्वाचनक्षेत्रों की संख्या 83 से 90 वक जायेगी। इसमें कश्मीर घाटी में 47 तथा जम्मू में 43 निर्वाचनक्षेत्र बँटे जायेंगे। इससे पहले जम्मू में 37 निर्वाचनक्षेत्र और कश्मीर घाटी में 46 निर्वाचनक्षेत्र थे। लेकिन बढ़ी हुई जनसंख्या के मद्देनज़र,  जम्मू में छह निर्वाचनक्षेत्र बढ़ाये गये हैं। वहीं, कश्मीर घाटी में एक निर्वाचनक्षेत्र बढ़ाया गया। अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 निर्वाचनक्षेत्र आरक्षित रखे गये हैं। वहीं, फिलहाल पाकिस्तान के कब्ज़े में होनेवाले कश्मीर के भूभाग के लिए 24 निर्वाचनक्षेत्रों का प्रावधान रखा गया है।

इससे जम्मू और कश्मीर की राजकीय परिस्थिति में बहुत बड़े बदलाव हो सकते हैं, ऐसा दावा किया जाता है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर की विधानसभा पर काश्मीर घाटी का वर्चस्व था। लेकिन आतंकवाद और अलगाववादियों की हरकतों के कारण जम्मू-कश्मीर में विधानसभा निर्वाचनक्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया प्रलंबित हुई थी। लेकिन अब जम्मू और कश्मीर के संदर्भ में फ़ैसले करने में भारत सरकार के लिए रोड़ा साबित होनेवाली धारा-370 हटायी दी जाने के कारण, परिसीमन की यह प्रक्रिया आसान बनी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.