हमास के हमलों का समर्थन कर रहें ईरान, तुर्की, कतर पैलेस्टिनी शरणार्थियों को आश्रय दे – अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हैले

वॉशिंग्टन – ‘गृहयुद्ध और आईएस के हमलों की वजह से सीरिया के लाखों नागरिक पश्चिमी देशों की ओर भाग रहे थे, तब संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका की राजदूत के तौर पर हमने इसके विरोध में आवाज़ उठाई थी। सीरियन शरणार्थियों की चिंता पश्चिमी देशों से अधिक उस क्षेत्र के पड़ोसी अरब देश करें, ऐसा हमने तब ड़टकर कहा था। अब भी हमास ने इस्रायल पर किए हमलों का समर्थन कर रहे ईरान, तुर्की, कतर यह देश पैलेस्टिनी शरणार्थियों को आश्रय दे’, इन शब्दों में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हैले ने हमास समर्थक देशों को तमाचा जड़ा है।

इस्रायल के दौरे पर रवाना होने से पहले अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने गाजा पट्टी में इस्रायल की जारी कार्रवाई के कारण बड़ी संख्या में पैलेस्टिनी जनता शरणार्थी बनने निकलेगी, ऐसी चिंता जताई थी। ईरान, तुर्की, कतर एवं लेबनान की आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह ने भी इस्रायल की हमास विरोधी कार्रवाई का विरोध किया था। हमास के हमलों का समर्थन कर रहें ईरान, तुर्की, कतर पैलेस्टिनी शरणार्थियों को आश्रय दे - अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हैलेइस्रायल ने गाजा में सैन्य कार्रवाई शुरू की तो इसके परिणाम काफी भीषण होंगे, ऐसी धमकी इन देशों ने दी थी। संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका की पूर्व राजदूत रही और अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष पद की मौजूदा उम्मीदवार बनी निक्की हैले ने इन हमास समर्थक देशों को आड़े हाथों लिया।

‘हमास ने किए हमलों के परिणाम भुगत रहे निरपराध पैलेस्टिनियों को लेकर अमेरिका को यकिनन चिंता हैं। लेकिन, इन पैलेस्टिनियों की अधिक चिंता अरब देशों ने करनी चाहिये। कतर, तुर्की, जॉर्डन, इजिप्ट इन देश पैलेस्टिनियों के लिए अपने दरवाज़े खोल दे। हर वर्ष अमेरिका से एक अरब डॉलर निधि के तौर पर पाने वाला इजिप्ट इन पैलेस्टिनियों के लिए अपनी सीमा क्यो खुली नहीं कर रहा हैं। क्यों कि, पैलेस्टिनियों के साथ हमास के आतंकवादी भी अपने देश में घुसपैठ करेंगे, यह ड़र इन देशों को सता रहा हैं। हमास के इन आतंकवादियों का स्वीकार करने के लिए यदि अरब देश ही तैयार नहीं होते हैं, तो इस्रायल भी क्यो भला इन आतंकवादियों को अपने पड़ोसी के तौर पर बर्दाश्त करेगा’, ऐसा सवाल हैले ने किया।

इस्रायल के हमलों के कारण विस्थापित हुए पैलेस्टिनियों के लिए अपनी सरहद खुली नहीं करेंगे, ऐसी स्पष्ट भूमिका इजिप्ट और जॉर्डन ने स्वीकारी है। पांच दशक पहले पैलेस्टिनी शरणार्थियों ने ने जॉर्डन में हुकूमत का तख्तापलट ने की कोशिश की थी। इसका अनुभव रखने वाले जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला पैलेस्टिनी शरणार्थियों का स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। पैलेस्टिनी नागरिकों को उन्हीं की भूमि में बसाया जाए, यह मांग जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला ने की है।

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