मणिपुर में सेना के काफिले पर विद्रोहियों का कायराना हमला – असम रायफल्स के अफसर के साथ सात शहीद

नई दिल्ली/इंफाल – मणिपुर में विद्रोहियों ने शनिवार की सुबह सेना के ‘४६ असम रायफल्स’ के काफिले पर हमला किया। इस हमले में कमांडिंग ऑफिसर, उसकी पत्नी, बेटा और चार सैनिक शहीद हुए। इनके अलावा हमले में तीन सैनिक घायल हुए हैं। वर्ष २०१५ के बाद मणिपुर में विद्रोहियों का यह सबसे बड़ा हमला है। इस हमले के पीछे ‘पीपल्स रिवोल्युशनरी पार्टी ऑफ कंगलिपक’ (पीआईपीएके) संगठन का हाथ होने की बात सामने आ रही है। इसके बाद इस इलाके में बड़ी मुहिम शुरू की गई है और विद्रोहियों के साथ मुठभेड़ शुरू होने का समाचार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले पर तीव्र शोक व्यक्त करके इन शहीदों के बलिदान का विस्मरण नहीं होगा, यह संदेश दिया है। तो, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इन हमलावरों को इस हरकत के परिणाम भुगतने पड़ेंगे, यह इशारा दिया है।

असम रायफल्स‘४६ असम रायफल्स’ का काफिला चुराचंदपुर जिले के सेहकन गांव के करीब पहुँचते ही विद्रोहियों ने आयईडी का विस्फोट किया और बाद में अंधाधुंध गोलीबारी शुरू की। इस दौरान असम रायफल्स की ‘क्विक रिस्पान्स टीम’ (क्यूआरटी) के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी समेत तीन सैनिक जगह पर ही शहीद हुए। ‘सीआरपीएफ’ के वाहन में कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी और छह साल का बेटा भी था। उनकी भी इस हमले में मौत हुई। एक सैनिक को अस्पताल की राह पर वीरगति प्राप्त हुई और तीन सैनिक घायल हुए हैं।

इस स्थान पर मुठभेड़ अभी तक जारी होने की खबरें हैं। इस स्थान पर अतिरिक्त फौज रवाना की गई है और पूरे इलाके को घेरा गया है। साथ ही बड़ी सर्च मुहिम भी चलाई गई है और दो विद्रोहियों को हिरासत में लेने की जानकारी प्राप्त हो रही है। शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी जुलाई तक मिज़ोराम में तैनात थे। तीन महीने पहले ही उनकी चुराचंदपुर में तैनाती हुई थी। मिज़ोराम में तैनाती के दौरान उनके नेतृत्व में बड़े ऑपरेशन चलाए गए थे। अवैध तस्करी पर रोक लगाने के लिए उन्होंने बड़ी अहम ज़िम्मा निभाया था। विभिन्न मुहिमों में उन्होंने बड़ी मात्रा में हथियारों का बड़ा भंड़ार भी जब्त किया था।

इसी बीच, इस हमले के बाद पूरे देश में शोक व्यक्त किया जा रहा है। वर्ष २०१५ में मणिपुर के चांडेल जिले में ‘युनायटेड लिब्रेशन फ्रन्ट ऑफ वेस्टर्न साऊथ ईस्ट एशिया’ नामक संगठन ने भारतीय सेना के काफिले पर ऐसा ही कायराना हमला किया था। इस हमले की याँदे आज के हमले ने ताज़ा कर दी। वर्ष २०१५ में हुए हमले में २० सैनिक शहीद हुए थे और १५ घायल हुए थे। इस हमले के बाद भारतीय सेना ने म्यांमार में घुसकर सर्जिकल स्ट्राईक किया था और आतंकियों के अड्डे तबाह किए थे। अब भी सरकार बड़ी कार्रवाई करेगी, यह संभावना जताई जा रही है।

प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री की प्रतिक्रिया इसके संकेत दे रही हैं। चार दिन पहले ही असम रायफल्स के सैनिकों ने मणिपुर में म्यांमार की सीमा के करीब २०० आयईडी बरामद किए थे। इन आयईडी से प्रचंड़ बड़ा हमला करना मुमकिन होता। लेकिन, असम रायफल्स की कार्रवाई से हमले की यह साज़िश नाकाम हुई। मणिपुर के साथ पूरे ईशान कोण भारत में अब भी हिंसा कर रहे विद्रोहियों के खिलाफ जोरदार कार्रवाई जारी है।

बीते वर्ष लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलटकर चीन समर्थक सेना ने म्यांमार की सत्ता हथियायी थी। इसके बाद म्यांमार की सीमा पर हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी एवं भारत विरोधी गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। ईशान कोण भारत के उल्फा समेत सभी प्रमुख विद्रोही संगठन सरकार के साथ शांतिवार्ता में शामिल हुए हैं। लेकिन, कुछ संगठनों ने हथियार ड़ालने से इन्कार किया है। चुराचंदपुर के हमले के बाद उन पर अधिक तीव्र कार्रवाई की जाएगी। साथ ही म्यांमार की लष्करी हुकूमत का भारत विरोधी कार्रवाईयों को प्राप्त छुपा समर्थन अब भारत की सुरक्षा के लिए खतरनाक होने की बात फिर से सामने आयी है।

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