भारत-अमरीका के संयुक्त निवेदन में पाकिस्तान को आंतकवाद का प्रायोजक करार दिया – इम्रान खान की आलोचना

इस्लामाबाद/वॉशिंग्टन – पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख एवं मौजूदा सरकार के नेताओं ने पिछले वर्ष से अमरीका के कई दौरे किए थे। लेकिन, इसके बावजूद भी पाकिस्तान का अस्तित्व सिर्फ आतंकवाद के प्रायोजक देश के तौर पर ही बचा है, यही भारत-अमरीका के संयुक्त निवेदन में दिखाया है, यह अफसोस पूर्व प्रधानमंत्री इम्रान खान ने व्यक्त किया। पाकिस्तान के प्रमुख माध्यम एवं विश्लेषकों ने भी भारत और अमरीका के संयुक्त निवेदन में शामिल इस मुद्दे को उठाया हैं।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के संयुक्त निवेदन में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुखता से रेखांकित किया गया। मुंबई पर किए २६/११ एवं पठानकोट में २०१६ में किए आतंकवादी हमलों के मास्टर माईंडस्‌ पर पाकिस्तान कार्रवाई करे, ऐसी मांग संयुक्त निवेदन में की गई ह। अमरिकी संसद में किए भाषण में भी प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में किसी भी तरह से ‘लेकिन’ – ‘वेकिन’ लाने की ज़रूरत नहीं हैं और आतंकवाद का समर्थन कर रही हुकूमतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता होने की बात कही थी।

‘अमरीका और भारत वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एकजूट के साथ लड़ेंगे। आतंकवाद और हिंसक चरमपंथी विचार धारा की सभी प्रकारों का दोनों देश निषेध करते हैं’, ऐसा इस संयुक्त निवेदन में कहा गया है। मुंबई पर किए गए २६/११ के हमलों के मास्टर माईंडस्‌ में से एक साजिद मिर के खिलाफ हो रही कार्रवाई को चीन ने रोका है। इसपर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दर्ज़ की है और आतंकवादियों पर कार्रवाई करने की चीन की इच्छाशक्ति पर ही भारत ने सवाल किए हैं। संकिर्ण स्वार्थ के लिए चीन ने यह निर्णय किया, ऐसा भारत के प्रतिनिधि ने स्पष्ट नाम लिए बिना कहा था। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के संयुक्त निवेदन में दर्ज़ मुद्दे ने पाकिस्तान को बड़ी मीर्च लगाया दिखाई दे रहा है। चीन ने भी इसपर प्रतिक्रिया दर्ज़ करने की उम्मीद  हैं।

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