‘इंडो-पॅसिफ़िक’ क्षेत्र में अमरिका के सामने चीन की चुनौती, भारत का सहकार्य – अमरिकी अधिकारी का दावा

वॉशिंगटन: अमरिका को ‘इंडो-पॅसिफ़िक’ क्षेत्र में अपने हितसंबंधों को सुरक्षित रखना है, तो इस क्षेत्र में उदय हो रही चीन की चुनौती का सामना करना पड़ेगा, ऐसा इशारा अमरिका के वरिष्ठ अधिकारी रैंडाल श्रायव्हर ने दिया है। अमरिकी संसद की ‘आर्म्ड सर्विसेज कमिटी’ के सामने बोलते समय श्रायव्हर ने आशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमरिकी हितसंबंध और चीन की महत्वाकांक्षा परस्पर विरोधी होने की वजह से बार बार झगडे होंगे, ऐसा इशारा दिया है। लेकिन इसी दौरान उन्होंने अमरिका की भारत के साथ रक्षा विषयक हिस्सेदारी का महत्व भी श्रायव्हर ने अधोरेखित किया है।

‘इंडो-पॅसिफ़िक’, चुनौती, आशिया-प्रशांत, भारत, सहकार्य, अमरिका, चीन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षाश्रायव्हर की रक्षा विभाग के ‘एशियन एंड पॅसिफ़िक सिक्यूरिटी अफेअर्स’ विभाग के सचिव के तौर पर नियुक्ति की घोषणा की गई है। उसके सन्दर्भ में संसदीय समिति के सामने अपनी भूमिका स्पष्ट करते समय श्रायव्हर ने चीन की चुनौती की तरफ ध्यान आकर्षित किया है। ‘चीन की आशिया-प्रशांत क्षेत्र में महत्वाकांक्षा व योजनाएं और अमरिका की इच्छाएँ व हितसंबंध कई मामलों में परस्पर विरोधी हैं’, ऐसा श्रायव्हर ने कहा है। चीन की इस क्षेत्र में महत्वाकांक्षा की वजह से अमरिका के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हुई है और यह हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी परिणामकारक चुनौती साबित होगी, ऐसा भी उन्होंने कहा है।

इस समय श्रायव्हर ने भारत और अमरिका के बिच सहकार्य की अवश्यकता की तरफ भी ध्यान खींचा है। भारत और अमरिका यह दोनों देश एकदूसरे के प्राकृतिक सामरिक भागीदार देश हैं। इस वजह से आने वाले समय में अमरिका भारत में सामरिक निवेश में बड़ी बढ़ोत्तरी करे, यह मांग श्रायव्हर ने की है। भारत और अमरिका इन दोनों देशों के संबंधों को ऐतिहासिक कहा जा सकता है, ऐसे शिखर पर हैं, ऐसा कहकर श्रायव्हर ने इसके लिए प्रमाण भी दिया है। सन २०१६ में अमरिका ने भारत को ‘मेजर डिफेन्स पार्टनर’ का दर्जा दिया है और इस वजह से अतिप्रगत तकनीक की भारत को आसानी से आपूर्ति करना अमरिका को संभव बन गया है।

इसका सन्दर्भ देकर भारत और अमरिका के बिच सामरिक सहकार्य दृढ बन रहा है, ऐसा श्रायव्हर ने कहा है। आने वाले समय में भारत और अमरिका अपना सहकार्य केवल इस क्षेत्र के लिए सीमित न रखे, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा विषयक नीति तक इस भागीदारी का विकास करे, ऐसी सिफारिश श्रायव्हर ने की है। दौरान, पिछले कुछ महीनों से ट्रम्प प्रशासन ने भारत के साथ सामरिक सहकार्य नई उंचाई तक ले जाने के लिए तेजी से कदम बढाए हैं। दोनों देशों के संबंधों पर इसका बहुत ही सकारात्मक परिणाम होने की बात सामने आई है। ऐसी परिस्थिति में श्रायव्हर ने अमरिका के सामने चीन की चुनौती की तरफ ध्यान खींचते समय भारत के महत्व को अधोरेखित करके अमरिकी नीतियों की योजना सामने रखी है।

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