भारत-चीन संबंध अत्यधिक ख़राब स्थिति में – विदेशमंत्री एस. जयशंकर

नई दिल्ली – ‘इस सा में भारत और चीन के संबंध बहुत ही ख़राब स्थिति में पहुँचे हैं। अब तक लद्दाख की एलएसी पर चीन ने हज़ारों जवान तैनात किये होकर, अब तक चीन ने इसके लिए पाँच अलग अलग कारण सामने रखे हैं’, ऐसा दोषारोपण विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने रखा। भारत-चीन के बीच सीमाविवाद को लेकर कुछ समझौते हुए थे, उनका पालन करने के लिए चीन तैयार नहीं, इसी कारण यह स्थिति उद्भवित हुई, ऐसा आरोप भी भारत के विदेशमंत्री ने किया।

ऑस्ट्रेलिया के एक ‘थिंक टँक’ ने आयोजित किये व्हर्च्युअल कार्यक्रम में बात करते समय विदेशमंत्री जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों पर स्पष्ट रूप में भाष्य किया। ‘दोनों देशों के संबंध पिछले ३० से ४० साल अथवा उससे भी पहले के दौर में जितने नहीं थे, उतनी ख़राब अवस्था को पहुँच चुके हैं’ ऐसा जयशंकर ने कहा। चीन जो आक्रामकता दिखा रहा है, वह इसके लिए कारणीभूत है, ऐसा बताकर, चीन की इस नीति के कारण भारतीय जनमत पूरी तरह चीन के विरोध में गया है। इसी कारण, चीन के साथ होनेवाले भारत के संबंध पहले जैसे करना, यह बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है, इसका एहसास विदेशमंत्री जयशंकर ने करा दिया।

दोनों देशों की सीमा पर शांति और सौहार्द कायम रखने के लिए दोनों देशों के बीच कुछ समझुते हुए थे। उनके अनुसार, दोनों देश अपनी सीमा पर निश्चित रूप में कितने सैनिक तैनात करें, इसकी मर्यादा निर्धारित की गयी थी। लेकिन चीन ने इस मर्यादा का उल्लंघन कर लद्दाख की सीमा पर हज़ारों जवान तैनात किये। साथ ही, चीन इस क्षेत्र में लष्करी सिद्धता भी कर रहा है, इसपर जयशंकर ने ग़ौर फ़रमाकर, चीन की नीति में हुआ यह बदलाव आकस्मिक नहीं है, ऐसा जताया। सन २००८ से चीन के बर्ताव में बदलाव आते गए। कोई देश अधिक से अधिक ताकतवर बनता गया, तो उसका बर्ताव बदल जाता है, इसका अनुभव मुझे चीन के बर्ताव में हुए बदलाव के कारण हुआ, ऐसा ताना भारत के विदेशमंत्री ने मारा।

चीन के इसी ग़ैरज़िम्मेदाराना बर्ताव के कारण, दोनों देशों के संबंध बिगड़ गये हैं, इसका एहसास विदेशमंत्री जयशंकर ने करा दिया। उसी समय, सीमा पर अशांति तथा अस्थिरता होते हुए, दोनों देशों के संबंध सुधर नहीं सकते, ऐसा बताकर जयशंकर ने, आनेवाले समय में भी भारत चीन को झटके देनेवाले फ़ैसलें करेगा, ऐसे संकेत दिए। गलवान वैली में चीन के हमले के बाद भारत ने चिनी कंपनियों के ऍप्स पर पाबंदी लगाने का फ़ैसला किया था। उसी समय, व्यापारी मोरचे पर चीन की कंपनियों को झटके देनेवाले फ़ैसलें कर भारत ने चीन को उसकी आक्रामकता की क़ीमत चुकाने पर मजबूर किया था। भारत ने अपने विरोध में किये फ़ैसले को चुनौती देने के लिए चीन ने जागतिक व्यापारी परिषद में अपील करने की तैयारी की थी।

इसी बीच, लद्दाख की एलएसी पर भारत के साथ छेड़खानी करके चीन ने बहुत कुछ गँवाया है, ऐसा पश्चिमी विश्‍लेषक बता रहे हैं। मुख्य बात यानी चीन की इस आक्रामकता के कारण इस देश के ईरादें स्पष्ट रूप में सामने आये। उससे भारत की चीनविषयक नीति में बहुत बड़ा बदलाव होकर, उसमें अधिक स्पष्टता आयी, ऐसा दावा भारतीय विश्‍लेषक कर रहे हैं। ख़ासकर, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों के साथ ‘क्वाड’ संगथन में अधिक सक्रिय होने का भारत का निर्धार इससे पक्का हुआ, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है। पहले के दौर में, भारत ने इस मोरचे पर अपनायी नर्म वृत्ति के कारण काफ़ी समय बरबाद हुआ, ऐसी आलोचना भी इन्हीं विश्‍लेषकों ने की थी।

लेकिन अब भारत के नीति में आयी स्पष्टता के परिणाम दिखायी देने लगे हैं। चीन ने अब हालाँकि भारत के विरोध में कितनी भी आक्रामकता दिखाकर दबाव बनाने की कोशिश की, फिर भी ‘क्वाड’ के सहयोग के कारण यह देश आत्यंतिक असुरक्षित महसूस कर रहा होने के संकेत मिल रहे हैं। सामरिक स्तर पर दिखायी गई इस दृढ़ता का बहुत बड़ा लाभ भारत को मिलेगा, ऐसा विश्‍वास विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं।

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