तेज़ी से बदलती जागतिक परिस्थिति में भारत के उद्योग रक्षा सामग्री का उत्पादन गतिमान करें – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग

नई दिल्ली – जागतिक स्तर पर सुरक्षा विषयक परिस्थिति तेज़ी से बदल रही है। इस बदलाव का प्रभाव दुनिया के हर एक हिस्से में दिख रहा है। इस कारण, आनेवाले समय में रक्षा सामग्री की माँग बढ़ेगी। जागतिक स्तर पर हो रहे ये बदलाव ध्यान में लेकर, रक्षा क्षेत्र की भारतीय कंपनियाँ रक्षा सामग्री का उत्पादन अधिक गतिमान करें। साथ ही, रक्षा क्षेत्र में संशोधन और विकास के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियाँ बड़े पैमाने पर निवेश करें, ऐसा आवाहन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने किया। ‘सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेन्स मॅन्यूफिक्चरींग’ ने आयोजित किए वार्षिक चर्चा सत्र में बात करते समय, रक्षा क्षेत्र की कंपनियों की उपस्थिति में प्रतिनिधियों को जागतिक स्तर पर हो रहे इन बदलावों का एहसास रक्षा मंत्री ने करा दिया।

Defense-Equipment-Singhदेशांतर्गत रक्षा सामग्री का उत्पादन बढ़ें इसके लिए पिछले कुछ सालों में भारत सरकार ने कई रणनीतिक सुधार किए हैं। साथ ही, प्राइवेट क्षेत्र के लिए सुलभ और पोषक वातावरण निर्माण हो, इसके लिए भी सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं। सामरिक साझेदारी मॉड्यूल के तहत, भारत में ही लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर्स, पनडुब्बियाँ, टैंक्स, तोपों का निर्माण किया जा सकें, इसके लिए अवसर उपलब्ध करा देने की कोशिश भी सरकार ने की है, इसपर रक्षा सामग्री उत्पादकों के संगठन ने आयोजित किए इस चर्चासत्र में राजनाथ सिंग ने गौर फरमाया।

जागतिक स्तर पर कितनी तेज़ी से परिस्थिति बदल रही है, यह हम सब जानते हैं। इस बदलाव के प्रभाव से दुनिया का कोई भी क्षेत्र अपने आपको दूर नहीं रख सकता। हर क्षेत्र में इन बदलावों का प्रभाव दिखाई दे रहा है। साथ ही व्यापार, अर्थव्यवस्था, संचार क्षेत्र पर भी इसका परिणाम हम देख सकते हैं। साथ ही, राजनीतिक समीकरण, लष्करी शक्तियों पर भी इसके परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। इस बदलाव के कारण आनेवाले समय में शस्त्रास्त्रों की तथा अन्य लष्करी सामग्री की माँग बढ़ेगी। भारत के रक्षा उद्योग ने, इस बदलाव का अनुसरण करके अपने उत्पादन में तेज़ी लानी चाहिए, ऐसा स्पष्ट मत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने ज़ाहिर किया। रक्षा क्षेत्र की प्राइवेट कंपनियाँ संशोधन और विकास यानी ‘आर अ‍ॅण्ड डी’ पर जोर दें। ख़ासकर साइबरस्पेस संबंधित तंत्रज्ञान में आर अ‍ॅण्ड डी के लिए, प्राइवेट उद्योगों ने बड़े पैमाने पर निवेश करने की आवश्यकता है, ऐसा राजनाथ सिंग ने कहा।

पिछले कुछ सालों में भारत ने रक्षा सामग्रियों की आयात पर निर्भरता कम करने पर ज़ोर दिया है। इसके लिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत देश में ही रक्षा सामग्री के उत्पादन पर ध्यान दिया जा रहा है। भारत में कुछ रक्षा सामग्रियों की आयात रुकें, देशांतर्गत उत्पादन को बढ़ावा मिलें, इसके लिए पिछले साल अगस्त महीने में सरकार ने १०१ शस्त्रों और लष्करी सामग्री की आयात पर पाबंदी लगाई थी। वहीं, कुछ ही महीने पहले अन्य १०८ रक्षा सामग्रियों की दूसरी सूची भी जारी की गई। इनमें रडार, टैंक्स का इंजन, अत्याधुनिक जहाज़ ऐसी चीजों का समावेश है। भारत ने सन २०२५ तक १.७५ लाख करोड़ रुपयों (२५ अरब डॉलर्स) की रक्षा सामग्री के देशांतर्गत उत्पादन का लक्ष्य रखा है। साथ ही, इसी कालावधी तक ३५ हजार करोड़ की निर्यात का भी लक्ष्य रखा गया है।

इसी बीच, केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा की जाने वाली मध्यवर्ती समीक्षा से पहले राजनाथ सिंग ने, २०२१-२२ के बजट में तीनों बलों के लिए किया गया वित्तीय प्रावधान खर्च करने के निर्देश दिए हैं। लष्कर, वायुसेना, नौदल ये तीनों बल निर्धारित समय में आवश्यक सामग्री पर अधिक खर्च करें, लेकिन वह प्रक्रिया तेज करें, ऐसे निर्देश देने की खबर है। 

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