सुरक्षा के लिए निवेश नहीं किया होता तो भारत की डोकलाम और गलवान में हार होती – उप-सेनाप्रमुख लेफ्टनंट जनरल मोहान्ती

नई दिल्ली – अपनी सुरक्षा के लिए आवश्‍यक निवेश नहीं किया होता तो डोकलाम और गलवान में भारत हार होता, ऐसा बयान उप-सेनाप्रमुख लेफ्टनंट जनरल सी.पी.मोहान्ती ने किया है। डोकलाम और गलवान के संघर्ष में विजय प्राप्त होने से आंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी, ऐसा उप-सेनाप्रमुख ने आगे कहा। एक समारोह में बोलते समय उप-सेनाप्रमुख ने सुरक्षा के लिए आवश्‍यक निवेश की अहमियत रेखांकित करके भारत के इसी निवेश की वजह से जम्मू-कश्‍मीर की सुरक्षा के साथ माओवादियों की समस्या भी काबू होने की बात स्पष्ट की।

डोकलाम और गलवानकुछ दिन पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी यह बयान किया था कि, गलवान में हमला करनेवाली ताकतों को भारत ने बड़ा सबक सिखाया था। हमारी संप्रभुता को चुनौती देनेवालों की भारत नहीं बक्षेगा, यह संदेश इससे विश्‍व को पहुँचा था, ऐसा कहकर राजनाथ सिंह ने इसके ज़रिये चीन को इशारा दिया था। इसके बाद अब उप-सेनाप्रमुख ने चीन के साथ डोकलाम और गलावन में हुए संघर्ष का दाखिला देना, ध्यान आकर्षित करनेवाली बात है।

डोकलाम और गलवान में हुए संघर्षों में भारत ने चीन के खिलाफ सख्त भूमिका अपनाई थी। इस संघर्ष में भारत की जीत हुई और इसकी गूँज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई पड़ी। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा में अधिक बढ़ोतरी हुई, ऐसा उप-सेनाप्रमुख लेफ्टनंट जनरल मोहान्ती ने कहा।

मौजूदा दौर में भारत की पूरी सुरक्षा प्रदान करनेवाले देश के तौर पर पहचान बनी है, इसका दाखिला भी उप-सेनाप्रमुख ने दिया। अमरीका और फ्रान्स के वरिष्ठ अफसरों ने हिंद महासागर और उसके आगे के क्षेत्र में नेट सिक्युरिटी प्रोवाइडर यानी पूरी सुरक्षा प्रदान करनेवला देश, इन शब्दों में भारत की सराहना की थी।

वर्ष २०१७ में डोकलाम से भूटान की सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश में जुटी चीन की सेना को भारतीय सैनिकों ने वहीं पर रोक रखा था। इस वजह से बेबस होकर चीन की सेना वहां से पीछे हटने के लिए मजबूर हुई थी। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने गलवान के संघर्ष में चीन को करारा प्रत्युत्तर देकर चीनी सेना की मर्यादा पूरे विश्‍व को दिखाई थी। इससे चीन की सेना के सामर्थ्य का गुब्बारा फटने के दावे भारत के पूर्व सेना अधिकारियों ने किए थे। बीते कई दशकों से चीन ने एक भी जंग नहीं लड़ी है। ऐसी चीनी सेना के सामर्थ्य को लेकर विश्‍वभर में फिजूल दावे किए जा रहे थे। लेकिन, गलवान के संघर्ष में चीन के सैनिक भारतीय सैनिकों के सामने बेबस हुए थे, इसका संज्ञान पूरे विश्‍व ने लिया था। इस संघर्ष के बाद पूरे विश्‍व में भारत का रुतबा बढ़ा। चीन से टकराने का सामर्थ्य और साहस भारत रखता है, यह अहसास इससे पूरे विश्‍व को हुआ था। लेकिन, अब इस बात का सरेआम ज़िक्र करके भारत के उप-सेनाप्रमुख चीन पर और दबाव बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

उप-सेनाप्रमुख लेफ्टनंट जनरल मोहान्ती ने तिब्बत पर चीन के अवैध कब्ज़े का भी अपने भाषण में ज़िक्र किया। तिब्बत यदि ताकतवर सेना रखता तो चीन कभी भी इस देश पर कब्ज़ा कर नही सकता था, ऐसा उप-सेनाप्रमुख ने कहा है। साथ ही भारत ने अपनी सुरक्षा के लिए आवश्‍यक निवेश किया नहीं होता तो जम्मू-कश्‍मीर में आतंकवाद की समस्या और ईशान कोण के राज्यों में माओवादियों की समस्या अधिक गंभीर हुई होती, इस ओर भी उप-सेनाप्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया।

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