ऐतिहासिक ताल्लुकात वाले अफ़गानियों का भारत ड़टकर साथ देगा – राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल

दुशांबे – अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होने के बाद इस देश पर भारत का प्रभाव खत्म होगा, ऐसे दावे करने वाले पाकिस्तान को काफी बड़े झटके लग रहे हैं। तालिबान की हुकूमत में अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान का सीमा विवाद छिड़ गया है और इस मुद्दे पर संघर्ष शुरू होने की कड़ी संभावना जतायी जा रही है। साथ ही तालिबान ने अफ़गान जनता के लिए सहायता भेजने वाले भारत के साथ सहयोग स्थापित करने की तैयारी दर्शायी है। इस पृष्ठभूमि पर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित चौथी ‘रीजनल सिक्युरिटी डायलॉग ऑन अफ़गानिस्तान’ में बोलते हुए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल का समावेश और वहां पर पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार की अनुपस्थिति ध्यान आकर्षित कर रही है।

भारत के अफ़गानिस्तान के साथ ऐतिहासिक ताल्लुकात हैं। भारत ने हमेशा अफ़गान जनता का साथ दिया है। अफ़गानिस्तान के हितों से भारत का करीबी संबंध रहा है और कोई भी इसे बदल नहीं पाएगा, इन शब्दों में अजित डोवल ने भारत और अफ़गानिस्तान के ताल्लुकात की अहमियत रेखांकित की। साथ ही आतंकियों पर कार्रवाई करने की अफ़गानिस्तान की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता भी डोवल ने स्पष्ट की। इस क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए अफ़गानिस्तान के आतंकियों पर कार्रवाई अहमियत रखती है, इसका अहसास डोवल ने दुशांबे की इस परिषद में कराया है।

अफ़गानिस्तान से अन्य देशों में आतंकवाद का विस्तार नहीं होना चाहिये, इसके लिए भारत ने पहले भी पुख्ता भूमिका अपनायी थी। तालिबान ने भी अफ़गानिस्तान का इस्तेमाल अन्य देशों में आतंकी गतिविधियाँ करने के लिए नहीं होने देंगे, यह ऐलान किया था। इसी बीच, ‘अफ़गानिस्तान में मानवी जीवन का सम्मान हो, अल्पसंख्यांक और महिलाओं को अधिकार प्राप्त हो, बच्चों के साथ लड़कियों को भी शिक्षा का अधिकार मिले, यह भारत की उम्मीद हैं, ऐसा डोवल ने इस दौरान स्पष्ट किया। महिलाओं को काम करने का अधिकार प्राप्त हुआ तो अफ़गानिस्तान की उत्पादका बडेगी और इससे इस देश को बड़ा लाभ प्राप्त होगा। इस वजह से युवा वर्ग से चरमपंथ का प्रभाव कम होगा’, यह विश्वास अजित डोवल ने व्यक्त किया।

साथ ही अफ़गानिस्तान को प्रदान हो रही सहायता किसी भी भेदभाव के बिना सबको प्राप्त हो, यह माँग भी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस दौरान की। अफ़गानिस्तान को भुखमरी का भीषण संकट सता रहा है और इस देश के बच्चों को इसका सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचेगा, ऐसी रपट संयुक्त राष्ट्रसंघ ने हाल ही में जारी की थी। इससे पहले भारत ने अफ़गानिस्तान को तकरीबन ५० हज़ार मेट्रिक टन गेहूं निर्यात करने का ऐलान किया है। इनमें से १७ हज़ार टन गेहूं पहले ही अफ़गानिस्तान भेजा गया है।

इसके अलावा कोरोना की महामारी को रोकने के लिए अफ़गान जनता के लिए भारत ने तकरीबन पांच लाख कोवैक्सिन टीके प्रदान किए हैं। तथा तकरीबन १३ टन दवाईयाँ और आवश्यक सामान की आपूर्ति भी भारत ने अफ़गानिस्तान को की थी। इस सहायता के लिए तालिबान हुकूमत ने भारत का आभार व्यक्त किया था। काफी कठिन समय में भारत ने अफ़गानिस्तान को प्रदान की हुई इस सहायता का बड़ा प्रभाव पड़ा है। तालिबान ने भी भारत से सहयोग स्थापित करने के लिए पहल शुरू की है। लेकिन, तालिबान की हुकूमत से होनेवाली उम्मीद भारत ने स्पष्ट तौर पर रखी है और अन्य देशों की सहायता से तालिबान अफ़गानिस्तान में सुधार करे, इसके लिए भारत कोशिश कर रहा है। दुशांबे की इस परिषद में भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस दिशा में कोशिश करने की बात सामने आ रही है।

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